पहले शहरवासियों ने आस छोड़ी, अब अधिकारियों ने
पहले शहरवासियों ने आस छोड़ी, अब अधिकारियों ने
- 282 करोड़ के प्रोजेक्ट को लेकर हल निकलना मुश्किल
- अब पीएचईडी को पुरानी पाइप लाइनों की करवानी होगी मरम्मत
हनुमानगढ़. 282 करोड़ के प्रोजेक्ट को लेकर शहरवासी पहले से ही उम्मीद छोड़ चुके हैं। वहीं अब अधिकारियों ने भी आस छोड़ दी है। इस नए प्रोजेक्ट के तहत शहर के सभी वार्डों में पेयजल की पाइपलाइन बिछाई जानी थी।

पहले शहरवासियों ने आस छोड़ी, अब अधिकारियों ने
- 282 करोड़ के प्रोजेक्ट को लेकर हल निकलना मुश्किल
- अब पीएचईडी को पुरानी पाइप लाइनों की करवानी होगी मरम्मत
हनुमानगढ़. 282 करोड़ के प्रोजेक्ट को लेकर शहरवासी पहले से ही उम्मीद छोड़ चुके हैं। वहीं अब अधिकारियों ने भी आस छोड़ दी है। इस नए प्रोजेक्ट के तहत शहर के सभी वार्डों में पेयजल की पाइपलाइन बिछाई जानी थी। इसके चलते पेयजल पाइप लाइन क्षतिग्रस्त होने पर पीएचईडी की ओर से बदलने की बजाए दुरस्त करवाई जा रही थी क्योंकि 282 करोड़ के प्रोजेक्ट में सभी पाइपलाइन नई डाली जानी थी। लेकिन प्रोजेक्ट का मामला कोर्ट में विचाराधीन होने के कारण पीएचईडी की ओर से कई जगह नई पाइपलाइन बिछाने का कार्य किया जा रहा है। इससे साफ है कि अधिकारी भी इस प्रोजेक्ट को लेकर आस छोड़ चुके हैं। उल्लेखनीय है कि शहर का सबसे बड़े प्रोजेक्ट 66 करोड़ की सीवरेज लाइन और 282 करोड़ की मीठे पानी की योजना शहरवासियों के लिए सपना ही रहेगा। दरअसल हनुमानगढ़ शहर में पहली बार 282 करोड़ के बजट के साथ घरों में नहरी पानी की सप्लाई का प्रोजेक्ट शुरू हुआ था। छह प्रतिशत कार्य होने के पश्चात ही ठप हो गया था। निर्माण एजेंसी को शहर के 60 वार्डों में 522 किलोमीटर में पेयजल पाइप लाइन डालनी थी। मुख्य पाइप लाइन बीस किलोमीटर डाली जानी चाहिए। दो वर्षों में केवल चार किलोमीटर लाइन ही डली है। इन पाइप लाइन के जरिए चालीस हजार पेयजल कनेक्शन होने थे। अभी तक 348 कनेक्शन के लिए ही लाइन बिछी थी।
500 लीटर पानी देने की थी योजना
282 करोड़ के प्रोजेक्ट के तहत हनुमानगढ़ शहर की करीब दो लाख आबादी के घरों में प्रति व्यक्ति 500 लीटर नहरी पानी देने की योजना थी। आरयूआईडीपी का दावा था पेयजल सप्लाई का प्रेशर इतना अधिक होगा कि प्रथम व द्वितीय मंजिल पर रखी टंकी पर पानी पहुंच जाएगा। इसके लिए मोटर की आवश्यकता नहीं होगी और पेयजल की सप्लाई भी 24 घंटे रहेगी।
डूब गई सीवरेज योजना
इसी प्रोजेक्ट में टाउन व जंक्शन के शेष रह चुके इलाके में सीवरेज लाइन डाली जानी थी। इसके अलावा पूर्व की कंपनी की ओर से अधूरा छोड़ा गया कार्य भी पूरा किया जाना था। इसमें टाउन इलाके में मेगा हाइवे पर भारत माता चौक से भटनेर दुर्ग तक 1200 मीटर में सीवरेज लाइन डालने का कार्य होना था। इसी तरह टाउन व जंक्शन के शेष इलाकों में सीवरेज लाइन डाली जानी थी। लेकिन हालात जस के तस हैं।
इधर, जंग खा रहे करोड़ों रुपए के पंप हाउस
टाउन में आरयूआईडीपी ने सीवरेज के गंदे पानी की नीकासी के लिए दो पंप हाउस बना रखे हैं। इनके हालात बदतर हो चुके हैं। करोड़ों के सिस्टम पड़े-पड़े खराब हो रहे हैं। मशीनों को जंग लग रही है। साउंडप्रूफ जनरेटर धूल फांक रहे हंै। हालात यह है कि टाउन में सीवरेज की पाइप लाइन का कार्य पूरा नहीं होने के कारण पंप हाउस के निर्माण में खर्च किए गए करोड़ों रूपए बर्बाद हो चुके हैं। दरअसल टाउन में बाइपास की तरफ धानमंडी के बाहरी क्षेत्र में आरयूआईडीपी का पंप हाउस है। आरयूआईडीपी टाउन व जंक्शन में सीवरेज लाइन व पंप हाउस पर 54 करोड़ रुपए का भुगतान कर चुकी है। इसके बावजूद हालात जस के तस हैं।
42 लाख हुए बर्बाद
टाउन में भारत माता चौक से गुरुद्वारा सुखा सिंह महताब सिंह तक सीवरेज पाइप लाइन बिछाई जानी थी। साढ़े तीन वर्ष पूर्व सड़क की खुदाई व उसकी मरम्मत के लिए रिडकोर ने आरयूआईडीपी को 42 लाख रुपए का डिमांड नोटिस थमाया था। इसके चलते आरयूआईडीपी ने राशि तो जमा करवा दी। लेकिन अधिकारी पाइप लाइन तक नहीं बिछवा पाए। जानकारी के अनुसार द्वितीय चरण के अनुसार टाउन में केवल 1200 मीटर में सीवरेज लाइन डाली जानी शेष है।
16 को हैं सुनवाई
मामला आर्बिंटेशन कोर्ट में है। इस संबंध में वीसी के जरिए 16 जनवरी को सुनवाई होगी। प्रोजेक्ट को लेकर कुछ भी कहना संभव नहीं है।
आशीष गुप्ता, एससी, आरयूआईडीपी, श्रीगंगानगर
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