चार वर्षीय मासूम से कुकर्म के दोषी को दस साल रहना होगा कारागार में
हनुमानगढ़. चार वर्षीय बालक से कुकर्म के मामले में विशिष्ट न्यायाधीश पोक्सो प्रकरण मदनगोपाल आर्य ने एक जने को दोषी करार दिया।
चार वर्षीय मासूम से कुकर्म के दोषी को दस साल रहना होगा कारागार में
चार वर्षीय मासूम से कुकर्म के दोषी को दस साल रहना होगा कारागार में
– विशिष्ट न्यायालय पोक्सो प्रकरण ने सुनाया फैसला
– नाबालिग से दुराचार के मामले में एक सप्ताह के भीतर दूसरा कड़ा फैसला
हनुमानगढ़. चार वर्षीय बालक से कुकर्म के मामले में विशिष्ट न्यायाधीश पोक्सो प्रकरण मदनगोपाल आर्य ने एक जने को दोषी करार दिया। न्यायाधीश ने शुक्रवार को भजनलाल (23) पुत्र धाराराम निवासी प्रेमपुरा 139 आरडी पीएस पीलीबंगा को दस साल कठोर कारावास की सजा सुनाई। साथ ही उस पर 55 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। अर्थदंड अदा नहीं करने पर दोषी को एक बरस का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। राज्य की ओर से विशिष्ट लोक अभियोजक विनोद डूडी तथा परिवादी पक्ष की ओर से एडवोकेट विष्णु मूंदड़ा ने पैरवी की।
प्रकरण के अनुसार पीलीबंगा थाने में एक जनवरी 2019 को एक व्यक्ति ने रिपोर्ट दी थी कि उसका चार वर्षीय बालक रोज शाम पड़ोस में रिश्तेदार की ढाणी में दूध लेने जाता है। 29 दिसम्बर 2018 को शाम सात बजे वह दूध लेने जा रहा था। उसे रास्ते में बाइक पर सवार आरोपी भजनलाल मिला। उसने बालक को ढाणी तक छोडऩे की बात कही। वहां से आरोपी बालक को 35 एसटीजी ठेके पर ले गया। ठेके से शराब खरीद कर बालक को परिवादी की ढाणी के नजदीक खेत में ले गया। बालक से कुकर्म किया। परिवादी ने जब खेत में बाइक खड़ी देखी तो जांच करने गया। वहां बालक के रोने-चिल्लाने की आवाज सुनी। मौके पर गया तो आरोपी भजनलाल उसे देखकर भाग गया। गंभीर हालत में बालक को अस्पताल में भर्ती कराया। पुलिस ने पोक्सो अधिनियम सहित विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया। जांच कर आरोपी के खिलाफ चालान पेश किया। ट्रायल के दौरान अभियोजन पक्ष ने दस गवाह तथा 20 दस्तावेज पेश किए। कोर्ट ने भजनलाल को आईपीसी की धारा 363 में सात साल की सजा तथा पांच हजार रुपए जुर्माने की सजा दी। जबकि 377 आईपीसी एवं 5(एम)/6 पोक्सो एक्ट में दस वर्ष कठोर कारावास और 50 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई।
जाएगा कड़ा संदेश जो बहुत जरूरी
विशिष्ट लोक अभियोजक विनोद डूडी का कहना है कि बच्चों को शारीरिक शोषण से बचाना वर्तमान दौर की अहम चुनौती है। समाज में मूल्यों का जो हस हुआ है, उससे संकट बढ़ गया है। अभिभावकों को भी अतिरिक्त जागरुकता बरतनी होगी। बच्चों को देह शोषण के खतरे से इस तरह आगाह किया जाए कि उन तक संदेश भी पहुंच जाए और उनकी मासूमियत भी बरकरार रहे। एक सप्ताह के भीतर नाबालिग से बलात्कार व कुकर्म के प्रकरणों में दो कड़ी सजा के आदेश होने से निश्चित रूप से विकृत मानसिकता के लोगों में सख्त संदेश जाएगा। यह बहुत जरूरी है।
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