अफसर पहले देते ध्यान तो नहीं आता व्यवधान, मनमानी से बढ़ी जनता की दिक्कतें
हनुमानगढ़Published: Jun 21, 2019 10:23:50 pm
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हनुमानगढ़. जंक्शन के एकमात्र राजकीय बालिका उमावि को बंद कर वहां अंग्रेजी माध्यम का महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय खोलने का निर्णय अच्छा होते हुए भी गलत जगह के चयन के कारण विवादों में फंस गया। इसकी वजह यह रही कि शिक्षा विभाग के स्थानीय अधिकारियों ने बिना होमवर्क और गुण-दोष पर मंथन किए बगैर ही प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय को भिजवा दिया। ऐसे में एक बड़ा स्कूल बंद कर वहां एक नया स्कूल मिलने की स्थिति बन गई। इस कारण प्रस्ताव भिजवाते ही इसके खिलाफ कई लोग सक्रिय हो गए। अंतत: वही हुआ कि सरकार का अच्छा निर्णय स्कूल चयन में गलती की वजह से तारीफ की बजाय आलोचना का कारण बन गया। अब इस निर्णय की समीक्षा कर जो नया प्रस्ताव बनाकर भिजवाया गया है, नि:संदेह वह राजस्थान पत्रिका की ओर से किए जा रहे अथक प्रयासों के कारण हो रहा है।
अफसर पहले देते ध्यान तो नहीं आता व्यवधान, मनमानी से बढ़ी जनता की दिक्कतें
अफसर पहले देते ध्यान तो नहीं आता व्यवधान, मनमानी से बढ़ी जनता की दिक्कतें
– बोले नागरिक पहले होमवर्क पूरा कर नहीं बनाया गया था प्रस्ताव, अब राउप्रावि कैनाल कॉलोनी के भवन में संचालन का प्रस्ताव
– जंक्शन राबाउमावि को बंद कर वहां अंग्रेजी माध्यम का स्कूल खोलने का मुद्दा
हनुमानगढ़. जंक्शन के एकमात्र राजकीय बालिका उमावि को बंद कर वहां अंग्रेजी माध्यम का महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय खोलने का निर्णय अच्छा होते हुए भी गलत जगह के चयन के कारण विवादों में फंस गया। इसकी वजह यह रही कि शिक्षा विभाग के स्थानीय अधिकारियों ने बिना होमवर्क और गुण-दोष पर मंथन किए बगैर ही प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय को भिजवा दिया। ऐसे में एक बड़ा स्कूल बंद कर वहां एक नया स्कूल मिलने की स्थिति बन गई। मतलब फायदे के साथ नुकसान भी बड़ा हो रहा था। इस कारण प्रस्ताव भिजवाते ही इसके खिलाफ कई लोग सक्रिय हो गए। अंतत: वही हुआ कि सरकार का अच्छा निर्णय स्कूल चयन में गलती की वजह से तारीफ की बजाय आलोचना का कारण बन गया। अब इस निर्णय की समीक्षा कर जो नया प्रस्ताव बनाकर भिजवाया गया है, नि:संदेह वह राजस्थान पत्रिका की ओर से किए जा रहे अथक प्रयासों के कारण हो रहा है। राउप्रावि कैनाल कॉलोनी सहित खाली पड़े प्राथमिक शिक्षा के विद्यालयों में अंग्रेजी माध्यम का महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय शुरू करने का सुझाव भी समाचारों के माध्यम से पत्रिका ने ही दिया था। इसके बाद कई संगठन व नागरिक प्रेरित हुए तथा इसको लेकर मंत्री, विधायक तथा जिला प्रशासन को ज्ञापन दिए।
राजस्थान पत्रिका के शुक्रवार को व्यापार मंडल धर्मशाला में हुए ‘टॉक शोÓ में यह विचार निकल कर आए। जंक्शन के राबाउमावि को बंद कर वहां अंग्रेजी माध्यम का महात्मा गांधी स्कूल खोलने के निर्णय तथा अब भिजवाए गए नये प्रस्ताव के मुद्दे पर आयोजित टॉक शो में प्रबुद्ध नागरिकों तथा संगठनों से जुड़े लोग शामिल हुए। सबने एक सुर में कहा कि सरकार का अंग्रेजी माध्यम का स्कूल खोलने का निर्णय अच्छा है। लेकिन हनुमानगढ़ में गलत जगह का चयन कर लिया गया। इसके लिए कहीं ना कहीं शिक्षा विभाग के अधिकारियों की उदासीनता जिम्मेदार है। बिना होमवर्क तथा गुण-दोष पर मंथन किए बगैर ही स्कूलों के प्रस्ताव बनाए गए। अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया गया। जबकि कई जिलों के शिक्षा अधिकारियों ने यह कार्य अच्छे ढंग से किया। इसलिए वहां प्राथमिक शिक्षा के विद्यालयों का चयन किया गया। हनुमानगढ़ में भी दर्जनों स्कूल भवन खाली पड़े हैं या फिर आसपास दो प्राथमिक शिक्षा के स्कूल संचालित हैं, उनमें से एक बंद कर वहां महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलने का प्रस्ताव भिजवाया जा सकता था। मगर शायद डीईओ प्रारंभिक व डीईओ माध्यमिक (मुख्यालय) के बीच इसको लेकर संवाद ही नहीं हुआ। इस कारण विवाद की स्थिति पैदा हो गई। टॉक शो में व्यापार मंडल अध्यक्ष प्यारेलाल बंसल, पूर्व पार्षद उमाशंकर, मनोज सोनी, अनिल अग्रवाल, राजस्थान शिक्षक संघ प्रगतिशील के प्रदेश महामंत्री रामलुभाया तिन्ना व ओमप्रकाश नांदीवाल, सेवानिवृत्त ओएस सुमेरसिंह यादव, अश्विनी शर्मा आदि ने विचार व्यक्त किए।
केवी जाने तक समसा भवन में चले
शिक्षा विभाग से कार्यालय अधीक्षक के पद से सेवानिवृत्त सुमेरसिंह यादव ने कहा कि राउप्रावि कैनाल कॉलोनी का प्रस्ताव भिजवाना बिल्कुल सही है। अभी वहां जो केवी चल रहा है, उसके कारण भवन खाली होने में समय लग सकता है। मगर तब तक उसी परिसर में सामने के भवन में महात्मा गांधी स्कूल चलाया जा सकता है। क्योंकि उस भवन में अभी समसा के कई अधिकारी व कर्मचारी बैठते हैं। जबकि समसा के आधे कर्मचारी संगरिया रोड स्थित डीईओ माध्यमिक कार्यालय परिसर में बैठते हैं। अत: कैनाल कॉलोनी से समसा के सभी कार्मिकों को हटाकर उनको डीईओ कार्यालय परिसर में ड्यूटी करने के आदेश दिए जाए। वे हाजिरी लगाने के लिए डीईओ कार्यालय ही जाते हैं। इससे बेवजह समय तथा पेट्रोल खर्च होता है।
कोई भी बड़ा स्कूल बंद करना गलत
राजस्थान शिक्षक संघ प्रगतिशील के प्रांतीय महामंत्री रामलुभाया तिन्ना व ओमप्रकाश नांदीवाल ने कहा कि समानीकरण के तहत बंद किए गए दर्जनों स्कूल भवन खाली पड़े हैं। ऐसे में उच्च माध्यमिक स्तर का कोई भी स्कूल बंद कर वहां नया स्कूल चलाना ठीक नहीं लगता। अगर राउमावि जंक्शन भी बंद होता तो वह भी जंक्शन इलाके में एकमात्र उच्च माध्यमिक स्तर का स्कूल है। और राबाउमावि को बंद करना तो पूर्णत: गलत होगा। इसलिए सही निर्णय तो प्राथमिक शिक्षा के किसी खाली स्कूल भवन में संचालन करना ही है। राबाउमावि जंक्शन के विकास में जुटे पूर्व पार्षद उमाशंकर व उनकी टीम के सदस्य मनोज सोनी व अनिल अग्रवाल ने कहा कि हमारी टीम पैसा व समय खर्च कर स्कूल का विकास कर रही है। इसलिए उसे बंद कर नया स्कूल खोलना गलत है। सरकार तो कहीं और भी नया स्कूल चला सकती है। बेटियों का स्कूल बंद नहीं करना चाहिए।
सितम्बर में जाएगा केवी
कैनाल कॉलोनी स्थित राउप्रावि के खाली भवन में अभी केन्द्रीय विद्यालय चल रहा है। इसका स्थाई भवन अबोहर बाइपास पर निर्माणाधीन है। इसके लिए ठेकेदार ने 31 जुलाई का समय दे रखा है। केवी के प्राचार्य अनिल कुमार ने बताया कि उनका विद्यालय संभवत: सितम्बर तक नए भवन में शिफ्ट होगा। उनको जुलाई में भवन खाली करने को लेकर कोई आदेश नहीं मिला है।
क्या है मुद्दा
बालिका विद्यालय को बंद कर वहां अंग्रेजी माध्यम का स्कूल खोलने से होने वाली समस्याओं को लेकर पत्रिका लगातार ‘बेटियां मांग रही शिक्षा का अधिकार’ अभियान के तहत खबरें प्रकाशित कर रहा है। इसमें बताया जा रहा है कि शहर में प्राथमिक व उच्च प्राथमिक दर्जनों विद्यालय समायोजन के तहत बंद किए गए थे। उनके खाली भवन बेकार पड़े हैं। वहां पर अंग्रेजी माध्यम का स्कूल खोला जा सकता था। इसके बावजूद सैकड़ों की संख्या वाले बालिका स्कूल का चयन कर सरकार ने ही बालिका शिक्षा में पलीता लगा दिया है। इसके बाद शहर के कई संगठन व नागरिक सक्रिय हुए। शिक्षा मंत्री, स्थानीय विधायक से लेकर जिला प्रशासन तक को ज्ञापन दिए गए। उसका सुखद परिणाम यह रहा कि अब शिक्षा विभाग ने नया प्रस्ताव बनाकर भेजा है। इसमें जंक्शन की कैलाना कॉलोनी स्थित राउप्रावि के खाली भवन का नाम सुझाया गया है। गौरतलब है कि 500 से अधिक नामांकन वाले बालिका विद्यालय को बंद कर वहां अंग्रेजी माध्यम का स्कूल खुलने से बालिकाओं को अन्य विद्यालय में जाना पड़ेगा। जबकि जंक्शन क्षेत्र में चार-पांच किलोमीटर के दायरे में उच्च माध्यमिक स्तर का राजकीय बालिका स्कूल ही नहीं है। ऐसे में विद्यालय में पड़ रही जरूरतमंद परिवारों की बालिकाओं को विद्यालय छोडऩा पड़ेगा।