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कोर्ट के आदेश पर जांच करने पहुंची टीम को एसटीपी व रिको क्षेत्र में मिली ढेरों खामियां

locationहनुमानगढ़Published: May 22, 2019 12:28:33 pm

Submitted by:

Anurag thareja

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हालात ऐसे कि दो मिनट भी वहां रहना मुश्किल

हालात ऐसे कि दो मिनट भी वहां रहना मुश्किल

हालात ऐसे कि दो मिनट भी वहां रहना मुश्किल
– कोर्ट के आदेश पर जांच करने पहुंची टीम को एसटीपी व रिको क्षेत्र में मिली ढेरों खामियां
– नियुक्त कमीश्नर कोर्ट के समक्ष रखेंगे वस्तुस्थिति की रिपोर्ट
हनुमानगढ़. जंक्शन में रीको क्षेत्र की फैक्ट्रियों से निकल रहे अपशिष्ठ को लेकर स्थाई लोक अदालत के निर्देश पर टीम ने निरीक्षण किया। स्थाई लोक अदालत के निर्देशानुसार नियुक्त कमीश्नर अधिवक्ता रमेश मोदी ने मंगलवार को मौके का निरीक्षण कर वस्तुस्थिति की रिपोर्ट तैयार की। निरीक्षण के दौरान रिको क्षेत्र में बाइपास व रेलवे लाइन के पास हालात इतने गंभीर थे कि वहां दुर्गंध के कारण जांच करने आए अधिकारियों का खड़ा रहना भी मुश्किल हो गया। खाली भूमि पर छोड़े जा रहे खुले में केमिकल युक्त गंदा पानी के कारण पेड़ भी जल चुके हैं। ऐसे में इस जगह पर स्वच्छ सांस लेना भी मुश्किल था। इसके अलावा 2008 में रिको को नगर परिषद की ओर से आवंंटित की गई 15.15 बीघा भूमि पर आज तक कॉमन इंफ्यूलेंट ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण नहीं किया गया। जिसकी वजह से केमिकल युक्त गंदा पानी ट्रीट नहीं होने से खुले में छोडऩे के कारण सिविल लाइन के नागरिकों का स्वच्छ सांस लेना मुश्किल हो गया है। इधर, अबोहर बाइपास पर नगर परिषद के एसटीपी की क्षमता बेहद कम होने व पोंड बनाकर गंदा पानी एकत्रित जैसे स्थिति को भी टीम ने बारिकियों से देखा। गौरतलब है कि सिविल लाइन के जगराज सिंह ने साढ़े चार वर्ष पूर्व लोक अदालत में जनहित याचिका लगाई थी। इसमें बताया था कि इलाके में रिको व नगर परिषद का एकत्रित गंदा पानी के दुर्गंध से सांस लेने में परेशानी होती है। इसी याचिका की सुनवाई के दौरान स्थाई लोक अदालत ने कमीश्नर नियुक्त कर वस्तुस्थिति की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिए थे। गत दिनों में जिला प्रशासन के अधिकारियों ने भी इन इलाकों का निरीक्षण किया था।
नप की यह है खामियां
अबोहर बाइपास पर आरयूआईडीपी फेज द्वितीय के अंतर्गत 7.5 एमएलडी का ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया था। इसका संचालन नगर परिषद की ओर से किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार जंक्शन क्षेत्र में बीस हजार मकान हैं, इनमें से चार हजार मकानों का गंदा पानी इस एसटीपी में छोड़ा जाता है। नप का दावा है कि इस पानी को 100 बीओडी (बाइलोजिकल ऑक्सीजन डिमांड) पर ट्रीट कर खेतों में प्रयोग किया जा सकता है। लेकिन निरीक्षण के दौरान टीम को ट्रीट गया पानी काला व गंदा मिला। शेष करीब 16000 मकानों का गंदा पाने को एकत्रित करने के लिए नगर परिषद ने 66 बीघा भूमि के कुछ हिस्से पर पोंड बनाकर एकत्रित किया जाता है। दरअसल इस भूमि को नगर परिषद ने साढ़े आठ लाख रुपए में ठेके पर दिया हुआ है। ठेकेदार इस भूमि पर इस गंदे पानी को खेती करने में इस्तेमाल करता है और पोंड में गंदे पानी की मात्रा अधिक होने पर इसे आसपास के खेतों में भी छोड़ा जाता है। इस पर नगर परिषद के अधिकारियों ने मौके पर तर्क दिया इस एसटीपी के साथ एक ओर 4.5 एमएलडी (मीलियंस ऑफ लीटर पर डे) का एक और एसटीपी का निर्माण होगा। जिसकी पानी ट्रीट करने की क्षमता 10 बीओडी तक होगी। इसी तरह पुराने एसटीपी में ट्रीटमेंट की क्षमता को अपग्रेड किया जा रहा है। इसके अलावा ढाई लाख क्षमता के उच्च जलाश्य का निर्माण आरयूआईडीपी से करवाने की जानकारी भी नगर परिषद ने टीम को दी। एसटीपी से ट्रीटकर गंदा पानी उच्च जलाश्य के माध्यम से खेतों व पार्कों में सप्लाई देने की योजना के बारे में भी जिक्र किया।
बंधा टूटने से जलमग्न
कुछ माह पूर्व अबोहर बाइपास पर स्थित नगर परिषद के पोंड का एक हिस्सा टूटने से सिविल लाइन जलमग्न हो गई थी। याचिकाकर्ता जगराज सिंह ने बताया कि यह पोंड सिविल लाइन से करीब पांच से छह फीट की ऊंचाई पर हैं। ऐसे में दूसरी बार पोंड टूटने की घटना होने पर सिविल लाइन के घरों तक गंदा पानी पहुंच जाएगा। वर्तमान में इस मार्ग के किनारे एकत्रित गंदे पानी आदि जगहों का भी टीम के सदस्यों ने निरीक्षण किया।
नहीं जमा करवाई लीज राशि
रिको क्षेत्र में फेज वन व टू में उद्योग संचालित हैं। बताया जा रहा है कि फेज टू की फैक्ट्रियों में ट्रीटमेंट करने की सुविधा है जबकि फेज वन की फैक्ट्रियों का गंदा पानी नगर परिषद की 37 बीघा भूमि में खुले में छोड़ा जा रहा है। इन फैक्ट्रियों के अपशिष्ठ की दुर्गंध के कारण यहां पर खंड़ा होना तो दूर यहां से निकलना भी मुश्किल हैं। करीब डेढ़ किलोमीटर के दायरे में सांस लेना दुर्भर है। ऐसे में इस 37 बीघा भूमि में से सीईटीपी (कॉमन इनफ्लूमेंट ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण के लिए 27-8-2008 को 75 रुपए प्रतिवर्ग के हिसाब से 35,73,282 कीमत लेकर 15.15 बीघा भूमि रिको को आवंटित की थी। इस भूमि का कब्जा भी रिको को दिया जा चुका है। लेकिन लीज राशि जमा नहीं करवाने के लिए नगर परिषद ने 18-06-2013 को रिको के प्रबंधन को पत्र लिखकर 57,18,128 लीज राशि जमा कराने के लिए रीको को डिमांड नोटिस भेजा था। लेकिन डिमांड नोटिस को जवाब नप को नहीं मिला। स्थाई लोक अदालत की फटकार के बाद नप ने 7-02-2019 को फिर से रीको को पत्र लिख मौजूदा दर के हिसाब से लीज राशि जमा कराने के लिए 68 लाख रुपए का डिमांड नोटिस भेजा है। इतने वर्षों तक रीको के अधिकारी यहां ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण तक नहीं करवा पाए। निरीक्षण के दौरान नगरपरिषद अधिशाषी अभियंता सुभाष बंसल, इण्डस्ट्रीज एसोसिएशन अध्यक्ष जयपाल जैन, जिला पर्यावरण संरक्षण समिति सदस्य बलवीर सिंह रैंजर, जिला उद्योग केन्द्र महाप्रबंधक आकाशदीप सिधू, सिविल लाईन्स वेलफेयर सोसायटी अध्यक्ष बृजमोहन मूण्ड, सचिव कृष्ण चाहर, पूर्व सचिव जगराज सिंह, पूर्व अध्यक्ष रामकुमार बिश्नोई आदि मौजूद रहे।
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