लक्ष्य अर्जित करने के लिए हनुमानगढ़ जिले में ३४३१ स्वयंसेवक तैयार किए गए हैं। जो इन चिन्ह्ति अनपढ़ लोगों को साक्षर करने का कार्य करेंगे। अभियान के सफल संचालन को लेकर ब्लॉक व ग्राम पंचायत स्तर पर कमेटियों का गठन कर लिया गया है। पाठ्य पुस्तक भी जिला साक्षरता एवं सतत शिक्षा कार्यालय को उपलब्ध हो गए हैं। ब्लॉक स्तर पर पाठ्य पुस्तकों को भिजवाया जा रहा है। अभियान के तहत प्रत्येक लर्नर की ओर से १२० घंटे के अध्यापन कार्य को सफलता पूर्वक पूर्ण करने के बाद बुनियादी साक्षरता परीक्षा में सफल होने पर प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा। इससे ऑपन लर्निंग सिस्टम के तहत उसकी आगे की शिक्षा सुलभ हो सकेगी। अभियान के तहत पहली बार मई में परीक्षा संभावित है। इसमें कलक्टर की ओर से कक्षाओं के संचालन को लेकर सभी ब्लॉक प्रभारियों को पाबंद कर दिया गया है।
हनुमानगढ़ जिले की ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी विद्यालयों में १७३२ कुक कम हेल्पर पोषाहार बनाने का काम कर रहे हैं। इसमें हनुमानगढ़ ब्लॉक में २९९ महिला व १५ पुरुष, संगरिया में १४२ महिला व ०६ पुरुष, पीलीबंगा में २८७ महिला व १० पुरुष, टिब्बी में १९७ महिला व १४ पुरुष, रावतसर में २४१ महिला व ५१ पुरुष, नोहर में २९३ महिला व ३५ पुरुष, भादरा में २७३ महिला व ३५ पुरुष हैं। अभियान के पहले चरण में ६१९ महिला व ३८ पुरुषों को पढऩा-लिखना अभियान से जोड़ा गया है।
पढऩा-लिखना अभियान के तहत प्रत्येक ब्लॉक पर चालीस प्रतिशत से कम महिला साक्षरता दर वाले एक ढाणी व गांव का चयन किया गया है। इसमें नवां, मायला, गुडिय़ा, सोनड़ी, कीकरवाली, सात एसटीबी व मुंसरी को शामिल किया गया है। इन गांव-ढाणियों में साक्षरता दर क्रमश: ३१, ३६, ३६, ३७, ३१, ३९ व ३२ है। इन गांवों से बीस-बीस निरक्षर महिलाओं को चिन्हित कर उन्हें साक्षर बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
पूर्व में वर्ष २०१८ तक संचालित साक्षर भारत मिशन में प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक-एक महिला व पुरुष प्रेरक लगाए गए थे। प्रत्येक को २००० रुपए का मानदेय मिलने के साथ ही पुस्तकालय के लिए ५०० रुपए का भुगतान किया जाता था। लेकिन हाल ही में शुरू किए गए पढऩा-लिखना अभियान में जो स्वयंसेवक तैयार किए गए हैं, उनको मानदेय देने का प्रावधान नहीं है। अच्छा काम करने पर उन्हें सरकार स्तर पर सम्मानित जरूर किया जाएगा।
-जिले में कुल २६९ ग्राम पंचायतों में चलेगा पढऩा-लिखना अभियान।
-जिले में १७३२ कुक कम हेल्पर हैं कार्यरत।
-पढऩा-लिखना अभियान के पहले चरण में जिले में ६०५३ निरक्षरों को साक्षर करने का लक्ष्य।
-प्रत्येक लर्नर की ओर से १२० घंटे के अध्यापन कार्य को सफलता पूर्वक पूर्ण करने के बाद बुनियादी साक्षरता परीक्षा में सफल होने पर जारी किया जाएगा प्रमाण पत्र।
सबकी ट्रेनिंग पूरी
पढऩा-लिखना अभियान के तहत निरक्षरों को साक्षर करने के तहत जिले को लक्ष्य आवंटित हो गया है। स्वयंसेवकों व मास्टर ट्रेनरों को को ट्रेनिंग दे दी गई है। पाठ्य पुस्तकों की उपलब्धता भी जिला स्तर पर करवा दी गई है। विद्यालयों में पोषाहार बनाने वाले कुक कम हेल्पर को इस मुहिम में प्राथमिकता से साक्षर करने पर जोर रहेगा।
-राजकुमार छाबड़ा, सहायक परियोजना अधिकारी, जिला साक्षरता एवं सतत शिक्षा कार्यालय हनुमानगढ़