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पब्लिक आंदोलन कर थक गई, मगर ठेके की लोकेशन तो घूस में बिक गई

locationहनुमानगढ़Published: Mar 30, 2019 11:39:45 am

Submitted by:

adrish khan

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hanumangarh mein acb ka chhapa

पब्लिक आंदोलन कर थक गई, मगर ठेके की लोकेशन तो घूस में बिक गई

पब्लिक आंदोलन कर थक गई, मगर ठेके की लोकेशन तो घूस में बिक गई
– शराब ठेकों की जगह बदलने की जनता की मांग आबकारी विभाग ने कभी नहीं सुनी
– ठेकेदारों से पैसे लेकर मनचाही लोकेशन कर दे पास
– पब्लिक का विरोध व मतदान प्रक्रिया दरकिनार
हनुमानगढ़. शराब ठेकों की जगह बदलवाने के लिए जिले में जनता ने दर्जनों बार धरना-प्रदर्शन, आंदोलन कर ज्ञापन दिए हैं। मगर आबकारी विभाग ने पब्लिक की मांग को कभी तवज्जो नहीं दी। एसीबी ने अब शराब ठेकों की मनचाही लोकेशन पास कराने के एवज में घूसखोरी की शिकायत का सत्यापन करवा कर जब आबकारी दफ्तर पर छापा मारा है तो यह भेद खुला है कि ठेकों की लोकेशन तो बेच दी जाती है। आबकारी विभाग के कार्मिकों पर ठेकों की लोकेशन पास कराने के एवज में रुपए मांगने के आरोप हैं। जाहिर है कि जब पैसे लेकर ठेकों की लोकेशन पास की जाती है तो पब्लिक के दबाव में आबकारी विभाग उनको क्यों बदलेगा। यही वजह है कि पिछले दो वर्ष के दौरान चार दर्जन से अधिक जगहों से ठेके हटाने को लेकर आंदोलन आदि हुए। लेकिन हर बार जनता की मांग की अनदेखी की गई।
देखा जाए तो लोकेशन पास में पैसे का यह खेल ही जनता के आंदोलनों की प्रमुख वजह है जो पुलिस प्रशासन के लिए समस्या का सबब बनता है। क्योंकि ठेकेदार तो मनचाही व पब्लिक पैलेस के पास ही शराब ठेका चाहेगा। इसके लिए जब वह पैसे दे देता है तो मोहर भी लग जाती है। इसमें नियम-कायदों की अनदेखी से भी इनकार नहीं किया जा सकता। इसका खमियाजा जनता को भुगतना पड़ता है। लेकिन ‘लोकेशन पास के इस खेल मेंÓ जनता की नहीं सुनी जाती। धरना प्रदर्शन कर और ज्ञापन देकर लोगबाग थक-हार कर शांत हो जाते हैं। मजेदार बात यह है कि आंदोलन के समय जब आबकारी विभाग के प्रतिनिधि वार्ता में शामिल होते हैं तो ठेके की लोकेशन नहीं बदल पाने की मजबूरी में सौ तरह के नियम बता देते हैं। मगर पैसे लेकर लोकेशन पास करते समय यह सब भुला दिया जाता है। एसीबी सीकर की टीम ने छापा मार नकदी वगैरह जब्त की है। अभी इसकी जांच चलेगी। संभव है कि आबकारी विभाग में चल रहे इस कथित खेल की कई परतें उधेड़ी जाएंगी।
लोकेशन निरस्त में अनदेखी
संगरिया के भाखरांवाली सहित कई गांवों से, जंक्शन में चूना फाटक पर बाबा हरिराम मंदिर के नजदीक से, गांधीनगर में रेलवे लाइन के पास से, वार्ड 31 स्थित प्रेमनगर से, सुरेशिया के वार्ड 44 से, किशनपुरा दिखनादा से, टाउन के वार्ड 16 व वार्ड 36 से, भादरा के वार्ड 10 से, गांव डंूगराना के मेघवाल मोहल्ले से, गांव जाटान स्थित बाबा रामदेव मंदिर के नजदीक से, नोहर कस्बे के वार्ड 29 के नागरिकों व राउमावि के प्राचार्य ने स्टेडियम के नजदीक से, दुकानदारों ने सिंधी बाजार से, साहवा बायपास से, गांव ढंढ़ेला से, गांव जनानिया से, ढाणी अराईयान के पास नहर किनारे से, डबलीराठान में मंदिर के पास से, संगरिया तहसील के गांव हरिपुरा में आबादी क्षेत्र से तथा कई अन्य जगहों से शराब ठेका हटाने की मांग मुखरता समय-समय पर उठती रही है। लेकिन कहीं भी मतदान की प्रक्रिया नहीं अपनाई गई।
हक है जो मिला नहीं
राज्य सरकार की ओर से घोषित आबकारी नीति के तहत आमजन को शराब ठेका बंद कराने का अधिकार दिया गया है। इसके तहत अगर किसी गांव या वार्ड के बीस प्रतिशत मतदाता ठेका बंद करने की मांग करते हैं तो ऐसे आवेदन को सक्षम स्तर पर सत्यापित करवाया जाएगा। सत्यापन के बाद ठेका बंद कराने के प्रस्ताव पर मतदान कराना होगा। यदि संबंधित वार्ड या ग्राम पंचायत के 51 प्रतिशत मतदाता ठेका बंद कराने के पक्ष में हैं तो अगले वित्तीय वर्ष में वहां ठेका संचालित नहीं किए जाने की व्यवस्था की जाएगी। दिक्कत यह है कि नीति लागू तो कर दी गई। लेकिन आबकारी विभाग ने शिकायतें मिलने के बावजूद नीति के अनुसार उनका सत्यापन नहीं करवाया। परिणामत: अधिकार अब तक कागजी साबित हो रहा है।
फैक्ट फाइल
देशी शराब के कम्पोजिट ठेके – 273
निकाय क्षेत्र में अंग्रेजी के ठेके – 26
पैसे दो, लोकेशन पास
पैसे देकर कहीं भी शराब ठेकों की लोकेशन मंजूर कराई जा सकती है। नियम-कायदे सब धरे रह जाते हैं। लेकिन जब जनता इस तरह के ठेकों को हटाने का विरोध करती है तो आबकारी विभाग मौन हो जाता है। कई बार जनता की मांग विभाग के समक्ष रखी जो जिसकी अनदेखी कर दी गई। – जगजीतसिंह जग्गी, प्रदेशाध्यक्ष डीवाईएफआई।
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