जिले में नहरी सिस्टम कृषि व्यवस्था पर आधारित है। ऐसे में समय पर आबयाना जमा करवाने के प्रति किसानों को गंभीरता दिखानी चाहिए। क्योंकि आबयाना वसूली से जो राशि प्राप्त होती है, उसी से नहरी तंत्र के विकास को लेकर प्लान बनाए जाते हैं। ऐसे में किसानों को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए समय पर आबयाना जमा करवाने को लेकर गंभीर होने की जरूरत है। जिले में खरीब व रबी सीजन दोनों मिलाकर करीब दस लाख हेक्टेयर में खेती हो रही है।
कुल गेहूं की सरकारी खरीद की तुलना में गत वर्ष श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिले के किसानों को केवल एफसीआई ने २४०० करोड़ रुपए का भुगतान किया था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले में कृषि क्षेत्र का कितना महत्व है। गेहूं के अलावा सरसों, चना, नरमा-कपास, किन्नू सहित अन्य फसलों की पैदावार दोनों जिलों में खूब होती है। सिंचाई का बड़ा आधार नहरी तंत्र होने के कारण आबयाना अहम स्थान रखता है।
जल संसाधन विभाग उत्तर संभाग हनुमानगढ़ के मुख्य अभियंता विनोद मित्तल ने बताया कि आबयाना वसूली को लेकर प्रयास तेज कर दिए गए हैं। जिले में कृषि का बड़ा आधार नहरी तंत्र ही है। किसानों को समय पर आबयाना जमा करवाने को लेकर गंभीर होना चाहिए। कुल बकाया आबयाना की तुलना में १८ फरवरी २०२० तक २९ प्रतिशत वसूल कर लिया गया है। शेष राशि की वसूली में जुटे हुए हैं। जिन किसानों ने आबयाना जमा नहीं करवाया है, आगे उनकी बारी काटने की कार्रवाई भी करेंगे। इस संबंध में उन्हें नोटिस दे रहे हैं।