प्रकरण के मुताबिक चक 6 यूएमडब्ल्यू में स्थित पवन कुमार पुत्र ढोंकलराम के खेत में आने जाने के लिए सन् 1954 से एकमात्र मंजूर शुदा सरकारी आम रास्ते को उपखंड अधिकारी अवि गर्ग ने विगत 18 मई 2018 को नियम विरुद्ध तरीके से निरस्त कर खेत मालिक प्रेमचंद एवं अन्य के पक्ष में डिक्री किए जाने के आदेश पारित कर दिए। पीडि़त किसान पवन कुमार ने राजस्व बोर्ड अजमेर को उपखंड अधिकारी की ओर से किए गए नियम विरूद्ध फैंसले की शिकायत प्रेषित कर दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग की।
पीडि़त किसान पवन कुमार ने बताया कि उनके चक 6 यूएमडब्ल्यू खेत में आने जाने के लिए मंजरूशुदा सरकारी गैर मुमकिन आम रास्ता सन् 1957 के रिकॉर्ड के अनुसार दीवानचंद पुत्र सोहनलाल के नाम अलॉटमेंट कृषि भूमि के किला नंबर 5, 6, 15, 16 व 25 में दर्ज है।
परंतु जमीन के वारिसों में से एक के राजकीय कर्मचारी होने से उन्होंने अपने पद का उपयोग कर विगत 20 अप्रैल 2018 को सरकारी रास्ते को बंद कर दिया। पीडि़त किसान पवन कुमार की ओर से उपखंड अधिकारी को रास्ता खुलवाने के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया। किसान द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र पर उपखंड अधिकारी के आदेशों पर कार्रवाई कर 27 अप्रैल को गिरदावर व पटवारी की उपस्थिति में बंद रास्ते को चालू करवा दिया गया लेकिन 10 मई 2018 को उस रास्ते को निरस्त करने की मांग को लेकर एक परिवाद उपखंड अधिकारी अवि गर्ग को सौंपा गया।
सौपे गए परिवाद पर उपखंड अधिकारी ने आनन फानन में महज 8 दिनों में ही कार्रवाई करते हुए 18 मई 2018 को मंजूर शुदा सरकारी रास्ते को निरस्त कर प्रेमचंद एवं अन्य के पक्ष में डिक्री करने के आदेश प्रदान कर दिए जबकि राजस्व बोर्ड अजमेर द्वारा 24 अगस्त 2015 को दिए गए फैसले के अनुसार मंजूर शुुदा सरकारी रास्ते को निरस्त करने एंव किसी प्राइवेट व्यक्ति के पक्ष में डिक्री करने का अधिकार उपखंड अधिकारी को भी नहीं है। पीडि़त किसान पवन कुमार का आरोप है कि उपखंड अधिकारी अवि गर्ग ने प्रभाव में आकर अपने पद का दुरूपयचोग कर नियम विरुद्ध तरीके से रास्ते को निरस्त कर दिया। जिससे उन्हें अपने खेत में आने जाने के लिए परेशानियां झेलनी पड़ रही है।
पीडि़त किसान की ओर से उक्त रास्ते के प्रकरण में उपखंड अधिकारी द्वारा दिए गए फैसले के विरुद्ध राजस्व अपील अधिकारी हनुमानगढ़ में अपील की गई। परंतु लाभार्थी परिवार में से एक व्यक्ति सरकारी पद पर कार्यरत होने की वजह से सुनवाई नहीं की जाकर जानबूझकर करीब एक वर्ष से गुमराह किया जा रहा है। गौरतलब है कि किसान पवन कुमार द्वारा उपखंड अधिकारी के विरूद्ध की गई राजस्व बोर्ड अजमेर को शिकायत की जाने पर कलेक्टर द्वारा शिकायत की जांच उपखंड अधिकारी पीलीबंगा को सौंपी गई।
उपखंड अधिकारी ने पीडि़त किसान को अपना पक्ष रखने के लिए 25 दिसंबर 2018 को (राष्ट्रीय अवकाश) के दिन की जानबूझकर तारीख दे दी गई। जिससे किसान को पक्ष रखने का अवसर भी नहीं मिला। (नसं.)
इनका कहना….
उक्त रास्ता पूर्व में उपयोग में नहीं लिया जा रहा था, जिस संबध में रास्ते को निरस्त करने की रिपोर्ट मैने उपखंड अधिकारी को प्रेषित कर दी। प्रार्थी की ओर से कार्रवाई से पूर्व ही राजस्व अपील अधिकारी हनुमानगढ़ में अपील कर दी गई।
– श्यामसुंदर बेनिवाल, नायब तहसीलदार, गोलूवाला
नायब तहसीलदार की रिपोर्ट के अनुसार उक्त रास्ता काफी वर्षों से बंद था। रिपोर्ट के आधार पर रास्ते की किसी किसान को आवश्यकता नहीं थी। मामला राजस्व अपील अधिकारी हनुमानगढ़ में विचाराधीन है। रास्ते को निरस्त किया गया था, जबकि इंतकाल दर्ज नहीं किया गया। उक्त किसान के साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाकर नियमों के अनुसार कार्रवाई की गई है।
– अवि गर्ग, उपखंड अधिकारी, पीलीबंगा