किसानों की शिकायत के बाद कृषि विभाग की टीम ने पूरे क्षेत्र की कपास खेतों का सघन निरीक्षण किया। इसमें विपरीत मौसम के कारण फलन कम होने की पुष्टि की गई है। इस तरह अब कृषि विभाग के उप निदेशक दानाराम गोदारा ने बताया कि वर्तमान में कपास की फसल फलन अवस्था में है। फलन अवस्था ठीक तरीके से चले इसके लिए पोषक तत्वों का होना जरूरी है। सॉट मारने की समस्या का समाधान करने के लिए किसानों को कुछ आवश्यक सलाह दी गई है। जिसे किसान मानते हैं तो काफी सुधार हो सकता है। इसमें कृषि अधिकारियों की ओर से निर्धारित की गई मात्रा के अनुसार एनपीके व मैग्गेनिशयम सल्फेट के घोल का छिडक़ाव करने की जानकारी दी गई है।
कृषि अधिकारियों के अनुसार वर्ष २०१५-१६ में सफेद मक्खी का प्रकोप आने के कारण बीते एक दशक में सबसे कम उत्पादन हुआ था। उस वक्त प्रति हेक्टेयर महज १४.७५ क्विंटल उत्पादन हुआ था। जबकि २०१८-१९ में समय पर प्रबंधन करने के कारण औसत उत्पादन २४ क्विंटल प्रति हेक्टेयर के करीब हुआ। इस बार कृषि विभाग अपने स्तर पर किसानों को जागरूक करने में लगा हुआ है।