पश्चिमी उप्र में गुड बनाने के करीब 10 हजार कोल्हू हैं। जिनमें से करीब 5 हजार मेरठ और हापुड के अलावा बुलंदशहर में हैं। जबकि मुजफ्फरनगर में गुड बनाने के करीब तीन हजार कोल्हू हैं। गुड पश्चिमी उप्र का सबसे बड़ा ग्रामीण उद्योग है। इस उद्योग से करीब 50 हजार लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से जुड़़ा हुआ है। अभी चीनी मिलों में पेराई सत्र नहीं शुरू हुआ है। इस बार आगामी 15 अक्तूबर के बाद चीनी मिलों में पेराई सत्र की शुरूआत होगी। लेकिन गुड के कोल्हू एक अक्तूबर से चल गए हैं। इस समय चीनी का थोक मूल्य 3500 से 3700 के बीच है। जबकि चाकू गुड़ का भाव इस बार 1650 रुपये प्रति 40 किलो है। गुड़ लड्डू 1580, खुरपा गुड 1450 और शक्कर 1560 रुपये प्रति 40 किलो बिक रही है।
प्रदेश सरकार ने गुड़ के महत्व को देखते हुए इसे एक जनपद एक उत्पाद में शामिल किया है। गुड़ के उत्पादन और गुणवत्ता पर अब लगातार कार्य किया जा रहा है। दि गुड़ खांडसारी एसोसिएशन के अध्यक्ष एसके मित्तल ने बताया कि गुड़ सत्र का शुभारंभ हो गया है। 15 अक्तूबर तक गुड़ की आवक और तेजी से बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि इस समय पुराना गुड 3500 रुपये प्रति कुंटल बिक रहा है। रेवड़ी और गजक का सीजन अब शुरू हो चुका है। ऐसे में पुराने गुड़ की खपत उसमें होने के चलते मांग काफी बढ़ी है।