मुंबई से 600 किमी पैदल चलकर आए 14 मजदूर थके तो घर से खाते में पैसे बुलाकर 7 साइकिल खरीदी
- एक साइकिल पर दो लोग बैठकर उप्र के बांदा के लिए आज सुबह रवाना होंगे

गुरुदत्त राजवैद्य, हरदा। लॉकडाउन के बाद आवागमन के साधन पूरी तरह बंद होने से मजदूरों को नित नई परेशानी झेलना पड़ रही है। कई लोग तो सैकड़ों किमी पैदल चलकर अपने गांव जाने में कामयाब हो रहे हैं, लेकिन कुछ ऐसे हैं जिनकी हिम्मत जवाब देने लगी। मुंबई से करीब 600 किमी पैदल चलकर यहां पहुंचा मजदूरों का ऐसा ही एक समूह अब साइकिल से आगे की यात्रा करेगा। पॉलिटेक्निक कॉलेज स्थित क्वॉरंटीन सेंटर में ठहरे इन लोगों के मुताबिक वे ट्रेन बंद होने से वे 20 अप्रैल को पैदल ही अपने गृहग्राम बांदा (उप्र) जाने के लिए रवाना हुए। हरदा पहुंचने तक सभी इतने थक गए थे कि आगे का सफर तय करना मुश्किल था। खाने तक के पैसे नहीं बचे तो उन्होंने घर वालों को आपबीती बताई। इसके बाद उनके खातों में पैसे ट्रांसफर किए गए। सोमवार को उन्होंने शहर के वीवी गिरी वार्ड स्थित स्टोर्स से 4450 रुपए प्रति साइकिल की दर से 7 साइकिल खरीदी। इन पर डबल सीट बैठकर वे मंगलवार को बांदा जाने के लिए रवाना होंगे।
परिवार की स्थिति ठीक नहीं, मजबूरी में बुलाए पैसे
क्वॉरंटीन सेंटर में ठहरे विमल, चीकू, राजेंद्र, लाला, राजेश आदि ने बताया कि जहां के मूल निवासी हैं वहां काम धंधा नहीं मिला। घर से मुंबई यह सोचकर गए थे कि कुछ पैसे कमाएंगे। खुद का पेट पालने के साथ ही गांव में रहने वाले परिजनों को भी मदद मिल जाएगी। लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था। कुछ समय वहां रहकर आइल कंपनी में 8 से 10 हजार रुपए महीने में काम किया। इसी बीच विश्व में कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से मुसीबत बढ़ गई। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के बावजूद उन्हें पैसे बुलाने पड़े।
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