उच्च श्रेणी शिक्षकों के पद सबसे ज्यादा रिक्त
शिक्षा विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले के सरकारी स्कूलों में उच्च श्रेणी शिक्षक, अध्यापक व संविदा शिक्षक वर्ग 2 के १५२७ पद स्वीकृत हैं। इनमें से ८२७ पद रिक्त हैं। वहीं व्याख्याता, वरिष्ठ व्याख्याता व संविदा शाला शिक्षक वर्ग 1 के ४३७ स्वीकृत पदों में से ३२४ तथा सहायक शिक्षक, सहायक अध्यापक, संविदा शाला शिक्षक वर्ग 3 व इसी श्रेणी के प्रयोगशाला सहायक के १७०९ स्वीकृत पदों में से ३०७ पद रिक्त हैं। यानि सभी श्रेणी के ३६७३ शिक्षकों में से १४५८ पद रिक्त हैं। इन पदों की पूर्ति के लिए तीनों वर्गवार क्रमश:११९, ३०६ और १९२ यानि ६१७ अतिथि शिक्षक नियुक्त किए जा सके हैं।
शिक्षा विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले के सरकारी स्कूलों में उच्च श्रेणी शिक्षक, अध्यापक व संविदा शिक्षक वर्ग 2 के १५२७ पद स्वीकृत हैं। इनमें से ८२७ पद रिक्त हैं। वहीं व्याख्याता, वरिष्ठ व्याख्याता व संविदा शाला शिक्षक वर्ग 1 के ४३७ स्वीकृत पदों में से ३२४ तथा सहायक शिक्षक, सहायक अध्यापक, संविदा शाला शिक्षक वर्ग 3 व इसी श्रेणी के प्रयोगशाला सहायक के १७०९ स्वीकृत पदों में से ३०७ पद रिक्त हैं। यानि सभी श्रेणी के ३६७३ शिक्षकों में से १४५८ पद रिक्त हैं। इन पदों की पूर्ति के लिए तीनों वर्गवार क्रमश:११९, ३०६ और १९२ यानि ६१७ अतिथि शिक्षक नियुक्त किए जा सके हैं।
शारीरिक शिक्षा भी नहीं मिलती बच्चों को
बच्चों को स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम की सीख तो दी जाती है, लेकिन स्कूलों में शारीरिक शिक्षकों की कमी के चलते इस शिक्षा नहीं दी जा रही। जिले में व्यायाम शिक्षक व संविदा शाला शिक्षक वर्ग 3 (शरीरिक शिक्षा) के क्रमश: 8 व २६ पद स्वीकृत हैं। इनमें से २९ पद वर्षों से खाली हैं। लिहाजा बच्चों को अवसर आने पर औपचारिक शारीरिक शिक्षा दी जाती है।
बच्चों को स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम की सीख तो दी जाती है, लेकिन स्कूलों में शारीरिक शिक्षकों की कमी के चलते इस शिक्षा नहीं दी जा रही। जिले में व्यायाम शिक्षक व संविदा शाला शिक्षक वर्ग 3 (शरीरिक शिक्षा) के क्रमश: 8 व २६ पद स्वीकृत हैं। इनमें से २९ पद वर्षों से खाली हैं। लिहाजा बच्चों को अवसर आने पर औपचारिक शारीरिक शिक्षा दी जाती है।
निगरानी का जिम्मा भी प्रभारियों के भरोसे
शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षण व्यवस्था की निगरानी संकुल केंद्र बनाकर की जाती है। यहां पदस्थ जिन प्राचार्यों के जिम्मे यह काम रहता है उनके पद बड़ी संख्या में रिक्त होने से प्रभारी ही यह दायित्व औपचारिक रूप से निभा रहे हैं। जिले के हायर सेकंडरी स्कूलों में प्राचार्य के ३५ में से २५ एवं हाईस्कूलों में ५० में से ४० पद रिक्त हैं। विकासखंड शिक्षा अधिकारी के भी तीनों पद रिक्त हैं। वहीं मिडिल स्कूल के प्रधान पाठक के ९० में से २९ पद रिक्त हैं। प्राथमिक स्कूल इस मामले में ठीक स्थिति में हैं। यहां स्वीकृत प्रधानपाठक के सभी 50 पद भरे हुए हैं।
शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षण व्यवस्था की निगरानी संकुल केंद्र बनाकर की जाती है। यहां पदस्थ जिन प्राचार्यों के जिम्मे यह काम रहता है उनके पद बड़ी संख्या में रिक्त होने से प्रभारी ही यह दायित्व औपचारिक रूप से निभा रहे हैं। जिले के हायर सेकंडरी स्कूलों में प्राचार्य के ३५ में से २५ एवं हाईस्कूलों में ५० में से ४० पद रिक्त हैं। विकासखंड शिक्षा अधिकारी के भी तीनों पद रिक्त हैं। वहीं मिडिल स्कूल के प्रधान पाठक के ९० में से २९ पद रिक्त हैं। प्राथमिक स्कूल इस मामले में ठीक स्थिति में हैं। यहां स्वीकृत प्रधानपाठक के सभी 50 पद भरे हुए हैं।
जितने शिक्षक गए, उतने आए नहीं
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक संविलियन व ट्रांसफर के दौरान जिले से जितने शिक्षक गए उनके एवज में आने वालों की संख्या कम रही। यह अंतर करीब 100 शिक्षकों का रहा। इससे भी जिले में शिक्षकों की कमी बढ़ गई।
समय पर नहीं होती अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति
इधर, शिक्षक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सरकारी स्कूलों में अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति तो की जाती है, लेकिन यह कार्य समय से नहीं होता। शिक्षण सत्र शुरू होने के कई महीनों बाद भी पद भरे नहीं जाने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। कई स्कूलों में एक शिक्षक के भरोसे 3 से पांच कक्षाओं में पढ़ाई का जिम्मा रहता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बच्चों को क्या तथा किस तरह पढ़ाया जा सकता है। शिक्षा विभाग द्वारा लिए जाने वाले विभिन्न टेस्टों की रिपोर्ट भी इस बात की गवाही देती हैं कि शिक्षण व्यवस्था में आशानुकूल प्रगति नहीं हो रही।
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक संविलियन व ट्रांसफर के दौरान जिले से जितने शिक्षक गए उनके एवज में आने वालों की संख्या कम रही। यह अंतर करीब 100 शिक्षकों का रहा। इससे भी जिले में शिक्षकों की कमी बढ़ गई।
समय पर नहीं होती अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति
इधर, शिक्षक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सरकारी स्कूलों में अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति तो की जाती है, लेकिन यह कार्य समय से नहीं होता। शिक्षण सत्र शुरू होने के कई महीनों बाद भी पद भरे नहीं जाने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। कई स्कूलों में एक शिक्षक के भरोसे 3 से पांच कक्षाओं में पढ़ाई का जिम्मा रहता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बच्चों को क्या तथा किस तरह पढ़ाया जा सकता है। शिक्षा विभाग द्वारा लिए जाने वाले विभिन्न टेस्टों की रिपोर्ट भी इस बात की गवाही देती हैं कि शिक्षण व्यवस्था में आशानुकूल प्रगति नहीं हो रही।
इनका कहना है
शिक्षकों की भर्ती 2013 के बाद से नहीं हुई। रिक्त पदों की पूर्ति अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति कर की जाती है। प्रयास किए जाते हैं कि बच्चों का शिक्षण कार्य प्रभावित न हो।
– सीएस टैगोर, जिला शिक्षा अधिकारी, हरदा
शिक्षकों की भर्ती 2013 के बाद से नहीं हुई। रिक्त पदों की पूर्ति अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति कर की जाती है। प्रयास किए जाते हैं कि बच्चों का शिक्षण कार्य प्रभावित न हो।
– सीएस टैगोर, जिला शिक्षा अधिकारी, हरदा