scriptपांच दिन में 3500 लोग उल्टी-दस्त और बुखार से बीमार | 3500 people sick with vomiting-diarrhea and fever in five days | Patrika News

पांच दिन में 3500 लोग उल्टी-दस्त और बुखार से बीमार

locationहरदाPublished: Sep 23, 2019 11:16:06 pm

Submitted by:

rakesh malviya

बारिश बंद होने के बाद फैली मौसमी बीमारियां, जिला अस्पताल के वार्डों में जमीन पर बेड देकर भर्ती किया जा रहा है

पांच दिन में 3500 लोग उल्टी-दस्त और बुखार से बीमार

पांच दिन में 3500 लोग उल्टी-दस्त और बुखार से बीमार

हरदा. जिले बारिश का दौर थमते ही मौसमी बीमारियों ने पांव पसार लिए हैं। तेज धूप और उमस, गर्मी ने लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर दिया है। उल्टी-दस्त, बुखार, सर्दी-खांसी ने लोगों को जकड़ लिया है। प्रतिदिन जिला अस्पताल में लगभग 700 लोग उक्त बीमारियों का इलाज कराने के लिए आ रहे हैं। गंभीर स्थिति वाले मरीजों को भर्ती किया जा रहा है, लेकिन लगातार मरीजों की संख्या बढऩे से पलंगों की कमी हो गई है। इसके चलते नए मरीजों को जमीन पर बेडदेकर भर्ती कर इलाज दिया जा रहा है। पलंग नहीं मिलने से रोगियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल में पर्चियां बनवाने से लेकर डॉक्टर को दिखाने और दवा लेने के लिए लोगों को लाइन में खड़े रहना पड़ रहा है।
पर्चियां बनवाने कतार में खड़े रह रहे हैं मरीज
पिछले पांच दिनों से जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या में इजाफा हो गया है। सुबह से लेकर दोपहर तक पर्चियां बनवाने के लिए मरीजों की कतार लगी रहती है। इसके बाद उन्हें डॉक्टरों से जांच करवाने के लिए भी इंतजार करना पड़ रहा है। रोगियों को पर्ची बनवाने में ही घंटों खड़े रहना पड़ रहा है। हालात यह है कि मरीजों को इलाज के पहले ही दर्दझेलना पड़ रहा है। मरीजों की संख्या के कारण डॉक्टर भी ओपीडी से उठ नहीं पा रहे हैं। सोमवार को सुबह 9 से लेकर दोपहर 1 बजे तक ओपीडी में मरीजों की भीड़ बनी रही है। दो काउंटरों से भी पर्चियां बनने पर भी समय पर रोगियों पर्चियां मिल नहीं पा रही हैं।
जमीन पर इलाज कराने को मजबूर मरीज
वैसे तो जिला अस्पताल १०० बिस्तर वाला है। किंतु प्रतिदिन ७०० मरीजों के आने से महिला, पुरुष, बच्चा वार्ड में करीब ३०० मरीज भर्तीहैं। इसके बाद भी मरीजों के आने का क्रम बना हुआ है, जिससे वार्डों में पलंग खाली नहीं हैं। स्वास्थ्य कर्मियां द्वारा नए मरीजों को जमीन पर बेड देकर भर्ती कर लिया जा रहा है। किंतु अब स्थिति यह हो गई है कि रोगियों को बेड भी नहीं मिल रहे हैं। स्टॉफ नर्सों द्वारा एक पलंग पर दो-दो रोगियों को भर्ती कर इलाज दिया जा रहा है। इसमें दोनों मरीज बमुश्किल सो पा रहे हैं। यही हाल अन्य वार्डांे का बना हुआ है। एक साथ दो मरीजों के भर्ती रहने से उन्हें संक्रमण भी होने की आशंका बढ़ रही है। किंतु रोगियों को इलाज देने के लिए इसके अलावा कोई रास्ता नहीं दिख रहा है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा अतिरिक्त बेड या पलंगों की व्यवस्था नहीं की जा रही है।
मौसम में आया बदलाव, बीमारियों से जकड़ रहे हैं लोग
मौसमी बुखार का प्रकोप इतना बढ़ गया है कि हर घर में एक व्यक्ति बीमार है। सरकारी अस्पताल के साथ-साथ प्राइवेट अस्पतालों में भी मरीजों की भीड़ नजर आ रही है। बीते पांच दिनों में जिला अस्पताल उल्टी-दस्त, बुखार, सर्दी-खांसी के लगभग 3500 लोगों ने इलाज कराया है। इनमें से कई रोगी अभी भी वार्डाे में भर्ती हैं। बारिश के जारी रहने से मौसम में नमी थी, किंतु अब बारिश रवाना होने पर आ गई है। कभी-कभार बरसात हो रही है, किंतु मौसम साफ होते ही तेज धूप, उमस, गर्मी ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। मौसम में आए इस बदलाव की वह वजह से लोग बीमारियों से जकड़ रहे हैं।
तीन टेक्नीशियनों के भरोसे चल रही लैब
इन दिनों मौसमी बीमारी के चलते चिकित्सकों द्वारा हर मरीज को खून की जांच करने के लिए लिखा जा रहा है। किंतु जिला अस्पताल की प्रयोगशाला में केवल तीन टेक्नीशियन होने से लोगों को समय पर जांच रिपोर्ट नहीं मिल रही है, वहीं टेक्नीशियन भी सुबह से लेकर दोपहर तक सैकड़ों मरीजों के सैंपल लेने में ही लगे रहते हैं। यहां पांच टेक्नीशियनों में से दो का तबादला हो गया, वहीं एक मेडिकल अवकाश पर है। तीन कर्मचारियों को २४ घंटे की ड्यिूटी निभानी पड़ रही है। प्रतिदिन लैब में १५० मरीज जांच करवाने के लिए आ रहे हैं।खून से संबंधित हर मरीज की करीब १० जांचें होती हैं। इस तरह कर्मचारियों को ४०० जांचे करने में परेशानियां हो रही हैं, वहीं रिपोर्ट तैयार करने के लिए शाम तक परेशान होना पड़ रहा है। अस्पताल प्रबंधक द्वारा टेक्नीशियनों की व्यवस्था नहीं की जा रही है।
इनका कहना है
बारिश के बाद फिर से तेज धूप निकलने से गर्मी बढऩे के कारण लोग बुखार से पीडि़त हो रहे हैं। लोगों को भीड़भाड़ वाले सार्वजनिक स्थलों पर जाने से बचना चाहिए। वहीं होटलों की खुली खाद्य सामग्रियां नहीं खाए और स्वच्छ पानी ही पिएं। जिला अस्पताल में आ रहे मरीजों को इलाज एवं दवाइयां दी जा रही हैं।
डॉ. मनीष शर्मा, चिकित्साधिकारी, जिला अस्पताल, हरदा
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो