बिजली फिटिंग और पंखे लगाकर भूला विभाग
जानकारी के अनुसार शहर के ३५ वार्डों में ८३ आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं। इसमें दो मिनी आंगनाबाड़ी हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा शहर के सभी केंद्रों पर बिजली की फिटिंग कराते हुए दो-दो पंखे लगवाए थे, ताकि गर्मी के दिनों में जहां बच्चों को हवा मिल सके। वहीं दिन के समय भी कमरों में रोशनी की व्यवस्था रहे। लेकिन तीसरा साल लगने पर भी विभाग ने केंद्रों पर मीटर लगवा दिए, किंतु बिजली कनेक्शन नहीं करवाए गए। इसके चलते हर गर्मी के मौसम में बच्चों को गर्मी से परेशान होना पड़ रहा है। केंद्रों की कार्यकर्ताओं द्वारा विभाग के अधिकारियों को बिजली कनेक्शन लगाए जाने की मांग की जा रही है। किंतु अब तक बिजली की व्यवस्था नहीं की गई।एक महीने बाद भीषण गर्मीका दौर शुरू होने वाला है। बच्चों को फिर से परेशान होना पड़ेगा।
जानकारी के अनुसार शहर के ३५ वार्डों में ८३ आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं। इसमें दो मिनी आंगनाबाड़ी हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा शहर के सभी केंद्रों पर बिजली की फिटिंग कराते हुए दो-दो पंखे लगवाए थे, ताकि गर्मी के दिनों में जहां बच्चों को हवा मिल सके। वहीं दिन के समय भी कमरों में रोशनी की व्यवस्था रहे। लेकिन तीसरा साल लगने पर भी विभाग ने केंद्रों पर मीटर लगवा दिए, किंतु बिजली कनेक्शन नहीं करवाए गए। इसके चलते हर गर्मी के मौसम में बच्चों को गर्मी से परेशान होना पड़ रहा है। केंद्रों की कार्यकर्ताओं द्वारा विभाग के अधिकारियों को बिजली कनेक्शन लगाए जाने की मांग की जा रही है। किंतु अब तक बिजली की व्यवस्था नहीं की गई।एक महीने बाद भीषण गर्मीका दौर शुरू होने वाला है। बच्चों को फिर से परेशान होना पड़ेगा।
हैंडपंपों से बुझा रहे हैं बच्चों की प्यास
शहर के आंगनबाड़ी केंद्रों पर 6 माह से 3 साल और 3 साल से लेकर 6 वर्ष तक के लगभग ५०-५० बच्चों की दर्जसंख्या हैं। लेकिन किसी भी केंद्र पर पेयजल की सुविधा नहीं की गई। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं को हैंडपंपों से पानी लाकर बच्चों की प्यास बुझानी पड़ रही है। केवल एक टंकी में पानी रहता है। यदि इस दौरान किसी को शौच जाना हो तो उसे भी हैंडपंप से ही पानी लाकर देना पड़ रहा है। शौचालय में नल कनेक्शन नहीं होने से रोजाना बच्चों को परेशान होना पड़ता है। केंद्रों पर अव्यवस्थाएं होने से हर केंद्र पर महज १० से १५ बच्चे ही आ रहे हैं। जबकि बच्चों की संख्या अधिक है।
शहर के आंगनबाड़ी केंद्रों पर 6 माह से 3 साल और 3 साल से लेकर 6 वर्ष तक के लगभग ५०-५० बच्चों की दर्जसंख्या हैं। लेकिन किसी भी केंद्र पर पेयजल की सुविधा नहीं की गई। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं को हैंडपंपों से पानी लाकर बच्चों की प्यास बुझानी पड़ रही है। केवल एक टंकी में पानी रहता है। यदि इस दौरान किसी को शौच जाना हो तो उसे भी हैंडपंप से ही पानी लाकर देना पड़ रहा है। शौचालय में नल कनेक्शन नहीं होने से रोजाना बच्चों को परेशान होना पड़ता है। केंद्रों पर अव्यवस्थाएं होने से हर केंद्र पर महज १० से १५ बच्चे ही आ रहे हैं। जबकि बच्चों की संख्या अधिक है।
किराए के एक कमरे में लग रहे हैं ६३ केंद्र
उल्लेखनीय है कि शहर के अलावा गांवों में आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन हो रहा है। लेकिन सालों बाद भी इन्हें सरकारी भवन नसीब नहीं हुए हैं। शहर में ८३ केंद्रों में से केवल २० केंद्र सरकार भवन में लग रहे हैं बाकी के ६३ आंगनबाडिय़ा किराए के भवन में चल रही है। किंतु ये केंद्र महज एक-एक कमरे में लग रहे हैं, वहीं पक्की छत की बजाय टीन लगे हुए हैं। गर्मी के मौसम इन कमरों में बैठना मुश्किल होता है। बारह महीने बच्चों को केंद्रों पर बिना बिजली और बगैर सुविधाओं के रहना पड़ रहा है। लेकिन विभाग द्वारा बच्चों के लिए कोई बेहतर व्यवस्था नहीं की जा रही है।
चुनाव के समय लगाए बिजली कनेक्शन, फिर कटवा दिए
गत वर्ष विधानसभा और लोकसभा चुनाव हुए थे। इसमें शहर के आंगनबाड़ी केंद्रों को मतदान केंद्र बनाए गए थे।प्रशासन ने नगर पालिका से केंद्रों की रंगाई-पुताई कराने के साथ ही बिजली कनेक्शन भी जुड़वाया था। लेकिन चुनाव की मतगणना के 15 दिन बाद ही केंद्रों के बिजली कनेक्शन कटवा दिए गए। केवल प्रशासन द्वारा निर्वाचन कार्य के लिए व्यवस्था की गईथी। लेकिन केंद्रों पर बारह महीने आने वाले छोटे बच्चों को गर्मी से निजात दिलाने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग स्थायी बिजली कनेक्शन नहीं लगवा सका है।
उल्लेखनीय है कि शहर के अलावा गांवों में आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन हो रहा है। लेकिन सालों बाद भी इन्हें सरकारी भवन नसीब नहीं हुए हैं। शहर में ८३ केंद्रों में से केवल २० केंद्र सरकार भवन में लग रहे हैं बाकी के ६३ आंगनबाडिय़ा किराए के भवन में चल रही है। किंतु ये केंद्र महज एक-एक कमरे में लग रहे हैं, वहीं पक्की छत की बजाय टीन लगे हुए हैं। गर्मी के मौसम इन कमरों में बैठना मुश्किल होता है। बारह महीने बच्चों को केंद्रों पर बिना बिजली और बगैर सुविधाओं के रहना पड़ रहा है। लेकिन विभाग द्वारा बच्चों के लिए कोई बेहतर व्यवस्था नहीं की जा रही है।
चुनाव के समय लगाए बिजली कनेक्शन, फिर कटवा दिए
गत वर्ष विधानसभा और लोकसभा चुनाव हुए थे। इसमें शहर के आंगनबाड़ी केंद्रों को मतदान केंद्र बनाए गए थे।प्रशासन ने नगर पालिका से केंद्रों की रंगाई-पुताई कराने के साथ ही बिजली कनेक्शन भी जुड़वाया था। लेकिन चुनाव की मतगणना के 15 दिन बाद ही केंद्रों के बिजली कनेक्शन कटवा दिए गए। केवल प्रशासन द्वारा निर्वाचन कार्य के लिए व्यवस्था की गईथी। लेकिन केंद्रों पर बारह महीने आने वाले छोटे बच्चों को गर्मी से निजात दिलाने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग स्थायी बिजली कनेक्शन नहीं लगवा सका है।
इनका कहना है
अभी विभाग के पास बजट नहीं है। इसलिए आंगनबाड़ी केंद्रों बिजली कनेक्शन नहीं करवाए हैं। आगामी महीनों में बिजली सुविधा शुरू कराने के लिए शासन
से मांग की गई है। संजय त्रिपाठी, महिला एवं बाल विकास विभाग अधिकारी, हरदा
अभी विभाग के पास बजट नहीं है। इसलिए आंगनबाड़ी केंद्रों बिजली कनेक्शन नहीं करवाए हैं। आगामी महीनों में बिजली सुविधा शुरू कराने के लिए शासन
से मांग की गई है। संजय त्रिपाठी, महिला एवं बाल विकास विभाग अधिकारी, हरदा