सोशल डिस्टेंसिंग के साथ सड़क पर बैठे
प्रदर्शनकारी आदिवासियों को जब पुलिस ने मगरधा रोड पर रोका तो आदिवासी सड़क पर ही दो कतारों में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बैठ गए। आदिवासियों का प्रतिनिधित्व कर रहे लोगों से वहीं पर एसडीएम एचएस चौधरी व एसडीओपी हिमानी मिश्रा ने चर्चा की। एसडीएम और एसडीओपी से चर्चा के बाद भी आदिवासी नहीं माने और कलेक्टर को मौके पर बुलाने की मांग की। जिस पर अधिकारियों ने उन्हें प्रतिनिधिमंडल के रूप में कलेक्ट्रेट चलकर चर्चा करने का कहा, लेकिन वे नहीं माने। उन्होंने आरोप लगाए कि पहले भी वे अपर कलेक्टर प्रियंका गोयल से मिले थे, लेकिन उनका रवैया ठीक नहीं रहा। अब वे दोबारा मिलने नहीं जाएंगे। प्रदर्शनकारियों की यह बात जब वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंची तो अपर कलेक्टर गोयल व एएसपी गजेंद्र वर्धमान उनसे मिलने पहुंचे। अपर कलेक्टर ने पिछली मुलाकात में खुद के रवैये को स्पष्ट करते हुए कहा कि उन्होंने तब भी शिकायत सुनी थी, अब भी वे इसीलिए आई हैं। इस दौरान देर तक दोनों पक्षों में आरोप-प्रत्यारोप और स्पष्टीकरण का दौर चला। आखिर में तय हुआ कि मौके पर ही ज्ञापन लेकर प्रदर्शन में शामिल आदिवासी महिला, पुरुषों को उनके गांव लौटाया जाए। इस दौरान प्रशासन का कहना रहा कि कोविड 10 के संक्रमण काल में प्रदर्शन ठीक नहीं पुलिस द्वारा कार्रवाई की जा रही है। चार आरोपी जेल में बंद हैं। प्रदर्शनकारियों की ओर से जब इसी दौरान रातामाटी के भूमि विवाद का मुद्दा उठाया गया तो एडीएम ने इस मामले में अधिवक्ता के साथ कार्यालय आकर दोबारा चर्चा करने को कहा। करीब 45 मिनट चले घटनाक्रम के अंत में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित अन्य के नाम संबोधित ज्ञापन में नाबालिग की हत्या के मामले की सीबीआई जांच कराने सहित अन्य मांग की गई है। इधर, जितनी देर प्रदर्शन चला तब तक मगरधा रोड पर वाहनों की आवाजाही रोक दी गई। प्रदर्शन के दौरान पुलिसकर्मी लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराते रहे।
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