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रेल हादसे के बाद नदी को संरक्षण में लिया, बोर्ड लगाकर भूला गया केंद्रीय जल आयोग

locationहरदाPublished: Feb 09, 2019 10:39:48 pm

Submitted by:

sanjeev dubey

कालीमाचक नदी पर सुविधा तो दूर अब तक दुर्दशा सुधारने पर भी ध्यान नहीं दिया गया

patrika

canal made by the company’s arbitrariness, without any soil canal

खिरकिया. तीन साल पहले बाढ़ के कारण हुए रेल हादसे के बाद केंद्रीय जल आयोग ने माचक नदी को अपने संरक्षण में ले लिया था। हालांकि जल आयोग के अधिकारी इसके लिए कोई पहल नहीं कर रहे हंैं। आयोग द्वारा महज बोर्ड लगाकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली गई है। वर्ष 2015 में 4 एवं 5 अगस्त की मध्य रात्रि को मांदला की माचक नदी में आयी बाढ़ के बाद हुए रेल हादसे को कोई नहीं भूला है। रेल दुघर्टना होने के चलते केन्द्र भी इस घटना को लेकर चिंतिंत रहा। नदी में आयी बाढ़ से आधा से अधिक गांव पानी में डूब गया था। घटना को 3 वर्ष से अधिक समय बीत चुका है। घटना के बाद मांदला की इस माचक नदी को भारत सरकार के केन्द्रीय जल आयोग द्वारा संरक्षण में लिया गया था। यहां बोर्ड भी लगा दिया गया जिसमें नदी को आयोग द्वारा अपने संरक्षण में शामिल किया जाना बताया जा रहा है। उसके बावजूद सुविधाओं में वृद्धि नहीं की गई है। केन्द्रीय संरक्षण में शामिल होने के बाद भी यहां स्थिति जस की तस है। आयोग द्वारा बाढ़ नियंत्रण एवं जल संरक्षण आदि विषयों पर बात की जाती है, लेकिन इस नदी पर सुविधा तो दूर अब तक दुर्दशा सुधारने पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
दोहन पर नहीं रोक, होता है अवैध उत्खनन
मांदला की कालीमाचक नदी के दोहन पर रोक नहीं लग सकी है जिससे नदी का अस्तित्व भी खतरे में है। नदी से रेत, मिटटी, मुरूम के अवैध रूप से परिवहन हो रहा है। नदी पर खुलेआम एवं मनमाने तौर पर यहां-वहां खुदाई की जाती है, जिससे नदियो का स्वरूप बिगड़ रहा है। मांदला स्थित कालीमाचक नदी में ऐसे कई स्थान हैं, जहां पर अवैध उत्खनन करनेवालों ने किनारों को खोखला कर दिया है। इससे नदी की पालों का कटाव हो रहा है, वहीं इस कटाव से नदी का बहाव भी प्रभावित होता है। इन्हीं कारणों से बाढ या आपदा जैसी स्थिति निर्मित होती है। नदी से मिटटी निकालकर नदी के किनारे ही ईंट-भट्टों का संचालन भी किया जा रहा है। केन्द्रीय जल आयोग के संरक्षण मे होने के बावजूद नदी से अवैध उत्खनन नहीं रूक रहा है।
पुल पर रैलिंग नहीं, दुघर्टनाओं का अंदेशा
नदी पर सुविधाओं की वृद्धि तो दूर नदी पर बने पुल पर पूरी रैलिंग भी नहीं है। कहीं रेलिंग क्षतिग्रस्त हो गई तो कहीं टूटकर पुल से लटक रही है। यह नदी मांदला के किनारे स्थित है जिस पर होशंगाबाद खंडवा स्टेट हाईवे गुजरता है। नदी के उपर वर्षो पुराना पुल है, जो वर्तमान में कई स्थानों से क्षतिग्रस्त हो रहा है। लेकिन इन व्यवस्थाओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

इनका कहना है-
केन्द्रीय जल आयोग द्वारा नदी के किनारे बोर्ड लगाए जाने संबंधी जानकारी ली गई है। निगरानी रखकर अवैध उत्खनन करनेवालों पर कार्यवाही की जा रही है।
वीपी यादव, एसडीएम, खिरकिया
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