प्रदेश की टीम में इनका हुआ चयन
बालक वर्ग
प्रमोद विश्नोई, सचिन गौड़, अश्विन गौड़, निशांत करसा, साहिल बाथम, आयुष गौड़, झलक, अखिल राजपूत, जयंत भारी, अरुण इवने, गौतम विश्नोई व शुभम।
बालिका वर्ग
निधि राणा, सूरज भदौरिया, राखी गौड़, सुनिधि रैकवार, मुस्कान शर्मा, किरण गाडेकर, संध्या बजरिया, मोनिका सोलंकी, अंजली यादव, उर्मिला सिंह, खुशबू यादव व ज्योति भाटी।
बालक वर्ग
प्रमोद विश्नोई, सचिन गौड़, अश्विन गौड़, निशांत करसा, साहिल बाथम, आयुष गौड़, झलक, अखिल राजपूत, जयंत भारी, अरुण इवने, गौतम विश्नोई व शुभम।
बालिका वर्ग
निधि राणा, सूरज भदौरिया, राखी गौड़, सुनिधि रैकवार, मुस्कान शर्मा, किरण गाडेकर, संध्या बजरिया, मोनिका सोलंकी, अंजली यादव, उर्मिला सिंह, खुशबू यादव व ज्योति भाटी।
प्रतियोगिता में आए बच्चे तीन बजे तक भूखे रहे
आलमपुर. गांव में चल रहे आनंद उत्सव के दूसरे दिन शुक्रवार को ग्राम दूधकच्छ, पानतलाई, छिदगांव, आलमपुर माध्यमिक एवं प्राथमिक शाला एवं सरस्वती शिशु मंदिर आलमपुर के बच्चों ने खेलकूद प्रतियोगिता में भाग लिया। चम्मच दौड़, कुर्सी दौड़, बोरा दौड़, 100 एवं 200 मीटर दौड़ एवं कबड्डी प्रतियोगिता में प्राथमिक एवं माध्यमिक के बच्चों द्वारा हिस्सा लेकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया गया। किंतु प्रतियोगिता में शामिल हुए बच्चों को दोपहर 3 बजे तक भोजन नहीं दिया गया। इसके चलते वे शिक्षकों के पास जाकर भूख लगने की शिकायत करते रहे। बाद में भोजन के पैकेट बांटे गए, लेकिन वह भी कम पड़ गए। भोजन बनाने वाली महिलाओं ने बताया कि उन्हें २०० बच्चों के हिसाब से पैकेट बनाने के लिए कहा गया था, किंतु बच्चों की संख्या बढ़ गई। इस वजह से भोजन में देरी हुई है। इसके अलावा जिस मैदान पर प्रतियोगिताएं कराई गईं वहां पर एक भी बैनर नहीं लगाया गया।
आलमपुर. गांव में चल रहे आनंद उत्सव के दूसरे दिन शुक्रवार को ग्राम दूधकच्छ, पानतलाई, छिदगांव, आलमपुर माध्यमिक एवं प्राथमिक शाला एवं सरस्वती शिशु मंदिर आलमपुर के बच्चों ने खेलकूद प्रतियोगिता में भाग लिया। चम्मच दौड़, कुर्सी दौड़, बोरा दौड़, 100 एवं 200 मीटर दौड़ एवं कबड्डी प्रतियोगिता में प्राथमिक एवं माध्यमिक के बच्चों द्वारा हिस्सा लेकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया गया। किंतु प्रतियोगिता में शामिल हुए बच्चों को दोपहर 3 बजे तक भोजन नहीं दिया गया। इसके चलते वे शिक्षकों के पास जाकर भूख लगने की शिकायत करते रहे। बाद में भोजन के पैकेट बांटे गए, लेकिन वह भी कम पड़ गए। भोजन बनाने वाली महिलाओं ने बताया कि उन्हें २०० बच्चों के हिसाब से पैकेट बनाने के लिए कहा गया था, किंतु बच्चों की संख्या बढ़ गई। इस वजह से भोजन में देरी हुई है। इसके अलावा जिस मैदान पर प्रतियोगिताएं कराई गईं वहां पर एक भी बैनर नहीं लगाया गया।