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हरदा

कराया करोड़ों का बीमा पर हैं बदहाल, जानिए क्या है हकीकत

करोड़ों का बीमा

हरदाJan 14, 2019 / 08:42 pm

बृजेश चौकसे

best insurance policy of india

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अपने ही पैसों के लिए किसान परेशान, दो साल से लगा रहे बंैक का चक्कर
– नहीं दिया बीमा का पैसा
– अन्य बैंकों में हो चुका है भुगतान
– नाराज किसानों ने जताया विरोध
खिरकिया। प्रदेश सरकार जहाँ एक ओर किसानों के कर्जमाफी की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर किसानों को अपने ही पैसे नहीं दिए जा रहे हैं। विकासखंड के कई किसानों को पिछले साल की फसल नुकसानी की बीमा राशि नहीं दी जा रही है। इसके लिए किसान बैंक शाखा के चक्कर लगा-लगाकर परेशान हो चुके हैं।
जानकारी के अनुसार वर्ष 2017 में अल्पवृष्टि के कारण क्षेत्र के किसानों की फसल खराब हो गयी थी। किसान क्रेडिट कार्डधारी किसानों का बैंकों द्वारा फसल बीमा कराया जाता है। ऐसे में किसानों ने बीमा राशि के लिए क्लेम किया। इसपर उनकी फसल नुकसानी का आकलन भी किया गया पर इसके बाद भी उसकी दावा राशि किसानों को नहीं दी गयी। तहसील के ग्राम मांदला स्थित सतपुड़ा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के खाताधारक किसानों को उनकी बीमा राशि अब तक नहीं मिली है। हैरत की बात तो यह है कि अन्य बैंकों में बीमा राशि दे दी गई है। दूसरे बैंकों के खाताधारक अधिकांश किसानों को यह राशि मिले महीनों हो गए हैं।

किसानों ने घेरी बैंक शाखा
अपनी बीमा राशि नहीं मिलने पर चिंतित एवं परेशान किसानों ने सोमवार को बैंक शाखा पहुँचकर कड़ा विरोध जताया और बैंक का घेराव किया। इस दौरान किसान मुंशीलाल चावड़ा, राजेन्द्र प्रसाद, हरिओम शर्मा, मनोज कुमार, भागीरथ आदि मौजूद थे। इन किसानों ने बैंक शाखा प्रबंधक को ज्ञापन सौंपकर उसके निराकरण की मांग की। किसानों ने बताया की सभी किसान केसीसी धारक है। वे फसल बीमा की निश्चित प्रीमियम राशि भी जमा करते हैं। बीमा राशि के लिए वे हर तरह से पात्र हैं। उसके बावजूद किसानों को पिछले 3 से 4 वर्षों से बीमा राशि नहीं दी जा रही जा रही है।
नहीं दिखाई शालीनता
किसानों ने बताया कि आज जब वे बीमा राशि के लिए बैंक शाखा पहुंचे तो कर्मचारियों द्वारा उनके साथ शालीनता से बात नहीं की गई। किसान संघ के लक्ष्मीनारायण राजपूत ने बताया कि कर्मचारियों द्वारा ठीक ढंग से बात न करते हुए कोई स्पष्ट जवाब भी नहीं दिया गया। किसान अपनी राशि के लिए परेशान है, लेकिन बैंक द्वारा स्पष्ट जवाब नहीं देने से उनका गुस्सा बढ़ रहा है।
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