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खातों में फर्जी ऋण राशि चढ़ाने पर बिफरे किसान

locationहरदाPublished: Jan 21, 2019 11:02:05 pm

Submitted by:

sanjeev dubey

एसडीएम की अगुवाई में विशेष दल करेगा खेड़ा सोसायटी में जांच, पूर्व विधायक के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचे थे किसान

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Bogus loan amount in accounts

हरदा. सहकारी समिति खेड़ा के ऋण खातों में लाखों रुपए की गड़बड़ी का आरोप सालों से लगा रहे किसान सोमवार को आक्रोशित होते हुए कलेक्ट्रेट पहुंच गए। उन्होंने समिति में भारी भ्रष्टाचार होने की बात कहते हुए जांच की मांग रखी तो संयुक्त कलेक्टर प्रियंका गोयल ने एसडीएम की अगुवाई में दल गठित कर जांच का भरोसा दिलाया। इस दौरान मौजूद कड़ौला उबारी और नीमगांव समिति के किसान सदस्यों ने भी गड़बड़ी की शिकायत की तो अधिकारियों ने यहां भी जांच कराने का आश्वासन दिया।
पूर्व विधायक डॉ. आरके दोगने व प्रदेश कांग्रेस सचिव ओम पटेल के साथ दोपहर 1 बजे कलेक्ट्रेट पहुंचे तीनों सहकारी समिति के किसान सदस्य कुछ देर बाहर ही रुके रहे। स्टाफ ने अधिकारियों को यह सूचना दी। इस दौरान उन्हें कलेक्टर के चेंबर के सामने स्थित हॉल में बैठाया गया। कुछ देर बाद संयुक्त कलेक्टर गोयल, एसडीएम चौधरी व उप संचालक कृषि एमपीएस चंद्रावत आए तो किसान अपनी पीड़ा सुनाने लगे। उनका कहना था कि खेड़ा की सहकारी समिति में किसानों के खातों में सालों से गड़बड़ी की जा रही है। इसकी कई शिकायतों के बाद भी जांच नहीं हो रही। जांच होती है तो दोषियों पर कार्रवाई नहीं होती। अब सरकार से मदद मिलने (ऋणमाफी) की बारी आई तो खातों में इतनी रकम दिखाई जा रही कि ऋण माफ होने के बाद भी वे लाखों रुपए के कर्जदार बने रहेंगे। उनका कहना था कि सहकारी समिति में ऐसे कर्मचारियों को रखा जाता है जिन्हें आसाना से मोहरा बनाकर गड़बड़ी कराई जा सके। समिति से जुड़े खेड़ा, अजनास और भंवरतलाब के कई लघु कृषक यहां के सदस्य हैं। उन्होंने नकद ऋण भी नहीं लिया। समिति से रबी व खरीफ सीजन में खाद व बीज लेते रहे हैं। उपज बिक्री के दौरान ऋण की राशि खातों में जमा भी की गई। इसके बावजूद उनके नाम पर ऋण की बड़ी रकम दिखाई जा रही है। इस राशि का उपयोग उन्होंने नहीं किया। ऋण माफी योजना के दौरान समिति की सूची सार्वजनिक हुई तो यह देखकर उनके पैरों तले जमीन खिसक गई कि वे लाखों रुपए के कर्जदार हैं।
सहकारिता के अफसर नहीं रहेंगे जांच दल में
आक्रोशित किसानों की बातें सुनकर संयुक्त कलेक्टर प्रियंका गोयल ने घोषणा की कि एसडीएम की अगुवाई में इसकी जांच कराई जाएगी। इस दौरान किसान कहने लगे कि जांच दल में सहकारिता से जुड़े अधिकारियों को शामिल नहीं किया जाए। वे भरोसा खो चुके हैं। उन्हें कई बार शिकायत की गई लेकिन कार्रवाई नहीं की गई। इस पर संयुक्त कलेक्टर ने किसानों की मांग मानते हुए कहा कि दल में अन्य विभाग के अधिकारियों को शामिल किया जाएगा।
तीन दिन में जांच पूरी कर कार्रवाई करो, वरना आत्महत्या कर लूंगा
चर्चा के दौरान खेड़ा के किसान लक्ष्मीनारायण कापडिय़ा खासे आक्रोशित हो उठे। किसान का कहना था कि वे उनके खातों में 2008 के बाद से ही भारी गड़बड़ी है। खुद के तथा बेटों के दो खातों पर करीब 17 लाख का कर्ज बताया जा रहा है। जबकि उन्होंने समिति से केवल खाद-बीज लिया। नकदी राशि ली ही नहीं। खाद-बीज का पैसा भी समय-समय पर चुकाया। लेखा में गड़बड़ी कर उन पर झूठी राशि थोपी जा रही है। यह वे नहीं चुका सकते। अधिकारियों ने तीन दिन में जांच पूरी कर कार्रवाई नहीं की तो उनके सामने मरने के सिवाय कोई विकल्प नहीं रहेगा। अन्य किसानों की भी यही स्थिति है। अधिकारियों द्वारा बार-बार टोकने के बावजूद भी आक्रोशित किसान जब बोलने से रुका ही नहीं तो पूर्व विधायक डॉ. दोगने को कहना पड़ा- अब हमारी सरकार बन गई हैं। जांच भी कराएंगे और दोषियों को कड़ी सजा भी दिलाएंगे।
गड़बड़ी करने वालों पर एफआईआर दर्ज करो
किसानों और अधिकारियों की चर्चा के दौरान किसान कांग्रेस के प्रदेश संगठन मंत्री चंद्रशेखर पटेल हॉल में पहुंच गए। उन्होंने केवल जांच के आश्वासन पर असंतोष प्रकट करते हुए दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की। अन्य किसानों ने भी इसका समर्थन किया। पटेल का कहना था कि शिकायतें तो सालों से हो रही हैं, लेकिन सहकारिता विभाग के अधिकारी इन्हें दबा देते हैं, कार्रवाई नहीं करते।
पटवारी दर्ज नहीं कर रहे आपत्ति
इस दौरान किसानों ने सूचियां सार्वजनिक होने के बाद आपत्ति दर्ज कराने की प्रक्रिया ठीक ढंग से संचालित नहीं होने की शिकायत भी की। उनका कहना था कि पटवारी इसमें सहयोग नहीं कर रहे। इस पर अधिकारियों ने उन्हें व्यवस्था में सुधार का आश्वासन दिया। अधिकारियों ने कहा कि वे लगातार भ्रमण कर इस कार्य की निगरानी रख रहे हैं। जहां गड़बड़ी सामने आएगी वहां जांच कराई जाएगी। ऋण माफी का लाभ हर एक पात्र किसान को अनिवार्य रूप से दिलाया जाएगा।
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