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सांगवा की पामड़ी नदी के दोनों ओर बसे गांव, नदी पार करने नहीं बनाया जा रहा पुल या रपटा

locationहरदाPublished: Sep 16, 2020 10:36:07 pm

Submitted by:

gurudatt rajvaidya

-ग्रामीणों को उठानी पड़ रही परेशानी-ग्रामीण लंबे समय से कर रहे पुल निर्माण की मांग, जिम्मेदार नहीं दे ध्यान

सांगवा की पामड़ी नदी के दोनों ओर बसे गांव, नदी पार करने नहीं बनाया जा रहा पुल या रपटा

सांगवा की पामड़ी नदी के दोनों ओर बसे गांव, नदी पार करने नहीं बनाया जा रहा पुल या रपटा

खिरकिया. गांवों को एक दूसरे से जोडऩे वाले मार्गों की दयनीय स्थिति होने के कारण ग्रामीणों को खासी परेशानियां उठानी पड़ती है। मार्गों पर पडऩे वाले नदी नालों पर पुल पुलियाओं का भी अभाव है। इससे हाल ही में हुई बारिश के बाद ग्रामीणों की परेशानी और अधिक बढ़ गई है। ऐसे में ग्रामीणों को या तो कई किमी का फेर लगाना पड़ता है या जान जोखिम मे डालकर नदी नालों को पार करना पड़ता है। कुछ ऐसी ही स्थिति ग्राम सांगवा में स्थित पामड़ी नदी से होकर गुजरने वाले मार्ग की भी बनी हुई है। जहां पर नदी के दोनों ओर मार्ग का निर्माण तो कर दिया है, लेकिन नदी पार करने के लिए पुल का निर्माण नहीं है। ऐसे में कई वर्षों से ग्रामीण परेशानी से जूझ रहे है, लेकिन नदी को पार करने के लिए पुल या रपटे का निर्माण नहीं किया जा रहा है।
कई किमी का लगाना पड़ता है फेर-
खिरकिया-आंवलिया मार्ग से चारुवा के पास अंजरूद माल से सड़क बनाई गई है। जो सांगवा नदी पर जाकर समाप्त होती है। जबकि नदी के उस पार भी प्रधानमंत्री सड़क उपलब्ध है, जो आगे के ग्रामों को जोड़ती है। लेकिन नदी पर पुल निर्माण नहीं होने से आदिवासी क्षेत्र की ग्रामीणों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। खासकर बारिश के दिनों में जब नदी मेंं पानी होता तो मार्ग पूरी तरह बाधित हो जाता है। इससे ग्रामीणो को दूसरे रास्तों से कई किमी का फेर भी लगाना पड़ता है।
जान जोखिम में डालकर नदी को पार करते है ग्रामीण-
नदी में अधिक पानी होने पर तो मार्ग बंद हो जाता है। लेकिन कम पानी होने की स्थिति में ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार करते है। इसमें बुजुर्ग महिलाएं एवं बच्चे भी शामिल होते हैं। बारिश के दौरान राहगीरों को ऐसे ही नदी पार करनी पड़ रही है। सांगवा के रहवासियों की कृषि भूमि नदी के उस पार होने से उन्हें भी अपने खेतों तक पहुंचने एवं फसलों को लाने ले जाने में परेशानी होती है। वर्तमान में नदी के किनारे मार्गों पर मिट््टी जमा हो गई है। इससे वाहन फंसते है। जिन्हें टैक्टर ट्रॉलियो से खिंचवाया जाता है। ऐसी स्थिति में किसी भी दिन कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है।
आधा सैकड़ा आदिवासी गांवों को जोड़ता है मार्ग-
खिरकिया-आंवलिया मार्ग से चारूवा होते हुए यह मार्ग करीब आधा सैकड़ा आदिवासी गांवों को जोड़ता है। घुंघराघाट, सावलखेड़ा, कुकड़ापानी, अंजरुद समेत दर्जनों आदिवासी अंचल के गांवों को मुख्य मार्ग से जोड़ती है। नदी पर पानी होने के चलते ग्रामीणों को कड़ोला सारसूद से लगभग 8 किलोमीटर का फेर लगाते हुए चारूवा आना पड़ता है। इससे उनका समय व धन दोनों ही बर्बाद होता है।ग्रामीणों ने बताया कि इस संबंध में पूर्व में जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपकर समस्या से अवगत भी कराया था। जिस पर विधानसभा में प्रश्न भी उठाया था, इसके बावजूद पुल का निर्माण नहीं हुआ है।
इनका कहना है-
नदी पर पुल निर्माण के लिए सर्वे कराया जाएगा। कृषि मंत्री के माध्यम से प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा जाएगा। स्वीकृति प्राप्त होने पर आगामी प्रक्रिया की जाएगी।
विनोद बरकने, एसडीओ, पीडब्ल्यूडी, खिरकिया
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