विभाग द्वारा जलाशय के निर्माण के बाद सिंचाई के लिए नहर का निर्माण भी किया गया है, लेकिन नहरों के माध्यम से दूर स्थित किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए नहरों पर वाटर कोष एवं कुलावा का निर्माण नहीं किया गया है। नहरों से नालीनुमा कुलावा बनाकर किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाया जाता है, जिससे कि उनकी भूमि मे सुचाारु रूप से पानी पहुंच पाता है, लेकिन जलाशय के निर्माण के कई वर्ष बीतने के बाद अभी तक भी इनका निर्माण नहीं किया गया है। जलाशय का पानी नहर से लगे किसानों के खेतों तक ही सीमित है। नहर से दूर वाले किसानों के खेतों के तक पानी नहीं पहुंचा पाता है।
इस जलाशय के माध्यम से सैकड़ों एक भूमि सिंचिंत होना है, लेकिन वाटर कोष एवं कुलावा के अभाव यह संभव नही हो पा रहा है। किसानों द्वारा जल संसाधन विभाग की परियोजनाओं में से किसी का भी लाभ नहीं मिल रहा है। कड़ोला, चारुवा महलपुरा, जटपुरा, सोनपुरा, सारसूद, सांगवा, अंजरुद, बीड़ सहित अन्य गांवों को इसका जल नहर के माध्यम से जाता है, जिसकी लगभग 1000 एकड़ भूमि को सिंचिंत किया जाना है। लेकिन यह योजना अपने लक्ष्य को पूर्ण नहीं कर पा रही है। वाटर कोष कुलावा नहीं होने के कारण किसानों को लंबी दूरी तक पाइप लाइन बिछाकर भी बड़ी मक्कतों के बाद पानी पहुंचाना पड़ता है।
विभागीय अव्यवस्थाओं के अभाव में इसका लाभ नहीं मिल रहा है। बावजूद इसके कमांड क्षेत्र में होने के कारण विभाग द्वारा बिल भी दिया जाता है, जिससे किसानों को बिना लाभ के ही राशि चुकानी पड़ती है। कई किसान तो अपने निजी जलस्त्रोतों से सिंचाई कर रहे हंै, बावजूद उन्हें बिल दिया जाता है। बिल की बात लेकर कार्यालय पहुंचते हैं तो जलाशय के कमांड क्षेत्र में आने की बात कही जाती है। यदि किसान इसके चुकाने में देरी होने के कारण किसानों पर दोगुना पेनाल्टी लगा दी जाती है। वहीं जलाशय से जुड़े नहर के भाग में मुरुम है। जबकि जलाशय से जुड़े एक से डेढ़ किमी में सीसी होना चाहिए, जिससे पानी का सीपेज न हो। सोमगांव माइनर तक इसे सीसी किया जाना चाहिए। पूर्व में विभाग द्वारा वाटर कोष निर्माण के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजे जाने की बात कही गई, लेकिन अभी तक उस पर स्वीकृति नहीं मिली है।
जलाशय निर्माण के बाद वाटरकोष कुलावानिर्माण के लिए अवधि पूर्ण हो चुकी है। इनके निर्माण के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजा जाएगा।
बीएस चौहान, एसडीओ, जल संसाधन विभाग, खिरकिया