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करोड़ों खर्च कर बनाया जलाशय, पानी होने के बाद भी किसानों के खेत सूखे

locationहरदाPublished: Nov 09, 2018 11:55:53 pm

Submitted by:

sanjeev dubey

-किसानों के खेतों तक नहीं पहुंच पाता है पानी, करोड़ों रुपए खर्चकर जलाशयों का निर्माण किया गया, नहरों की खुदाई भी की गई है

Canal water not reaching the field

करोड़ों खर्च कर बनाया जलाशय, पानी होने के बाद भी किसानों के खेत सूखे

खिरकिया. किसानों की सूखी भूमियों को सिंचित करने के लिए शासन द्वारा वर्षाजल संग्रहण करने के लिए जलाशयों का क्रियांवयन किया जा रहा है, लेकिन पर्याप्त साधन होने के बावजूद भी किसानों को उसको लाभ नहीं मिल रहा है। विभागीय व्यवस्थाओं एवं संसाधनों के अभाव में कृषकों को सिंचाई के लिए सुविधाएं नहीं मिल रही हैं, जिसके चलते सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी होने के बाद भी किसानों को सिंचाई के पानी के लिए तरसना पड़ता है। करोड़ों रुपए खर्च कर जलाशयों का निर्माण किया गया। नहरों की खुदाई की गई, लेकिन उसके बाद कुछ कार्य बाकी होने से किसानों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। जानकारी के अनुसार इमलीढाना जलाशय से लगे हुए किसानों को जलाशय में जल होने के बाद भी सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध नहीं हो पाता है। वाटर कोष एवं कुलावा के अभाव में क्षेत्रीय कृषक सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं। इस जलाशय के माध्यम से सैकड़ों एकड़ भूमि का सिंचिंत होने का लक्ष्य को लेकर करोड़ो रुपए की लागत से इमलीढाना जलाशय का निर्माण किया गया था, लेकिन यह जलाशय अभी लक्ष्य से दूर है। जिन किसानों के पास नलकूप व मोटर पाइपों की व्यवस्था है, वहां लंबी दूरी से भी पानी लाकर सिंचाई कर रहे हैं, लेकिन जिनके पास यह व्यवस्था नहीं है, उन्हें सिंचाई के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
वर्षों बाद भी नही हो सका कुलावा और वाटर कोष का निर्माण
विभाग द्वारा जलाशय के निर्माण के बाद सिंचाई के लिए नहर का निर्माण भी किया गया है, लेकिन नहरों के माध्यम से दूर स्थित किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए नहरों पर वाटर कोष एवं कुलावा का निर्माण नहीं किया गया है। नहरों से नालीनुमा कुलावा बनाकर किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाया जाता है, जिससे कि उनकी भूमि मे सुचाारु रूप से पानी पहुंच पाता है, लेकिन जलाशय के निर्माण के कई वर्ष बीतने के बाद अभी तक भी इनका निर्माण नहीं किया गया है। जलाशय का पानी नहर से लगे किसानों के खेतों तक ही सीमित है। नहर से दूर वाले किसानों के खेतों के तक पानी नहीं पहुंचा पाता है।
हजार एकड़ भूमि होना है सिंचिंत
इस जलाशय के माध्यम से सैकड़ों एक भूमि सिंचिंत होना है, लेकिन वाटर कोष एवं कुलावा के अभाव यह संभव नही हो पा रहा है। किसानों द्वारा जल संसाधन विभाग की परियोजनाओं में से किसी का भी लाभ नहीं मिल रहा है। कड़ोला, चारुवा महलपुरा, जटपुरा, सोनपुरा, सारसूद, सांगवा, अंजरुद, बीड़ सहित अन्य गांवों को इसका जल नहर के माध्यम से जाता है, जिसकी लगभग 1000 एकड़ भूमि को सिंचिंत किया जाना है। लेकिन यह योजना अपने लक्ष्य को पूर्ण नहीं कर पा रही है। वाटर कोष कुलावा नहीं होने के कारण किसानों को लंबी दूरी तक पाइप लाइन बिछाकर भी बड़ी मक्कतों के बाद पानी पहुंचाना पड़ता है।
कमांड क्षेत्र होने में होने के बावजूद देना पड़ती है राशि
विभागीय अव्यवस्थाओं के अभाव में इसका लाभ नहीं मिल रहा है। बावजूद इसके कमांड क्षेत्र में होने के कारण विभाग द्वारा बिल भी दिया जाता है, जिससे किसानों को बिना लाभ के ही राशि चुकानी पड़ती है। कई किसान तो अपने निजी जलस्त्रोतों से सिंचाई कर रहे हंै, बावजूद उन्हें बिल दिया जाता है। बिल की बात लेकर कार्यालय पहुंचते हैं तो जलाशय के कमांड क्षेत्र में आने की बात कही जाती है। यदि किसान इसके चुकाने में देरी होने के कारण किसानों पर दोगुना पेनाल्टी लगा दी जाती है। वहीं जलाशय से जुड़े नहर के भाग में मुरुम है। जबकि जलाशय से जुड़े एक से डेढ़ किमी में सीसी होना चाहिए, जिससे पानी का सीपेज न हो। सोमगांव माइनर तक इसे सीसी किया जाना चाहिए। पूर्व में विभाग द्वारा वाटर कोष निर्माण के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजे जाने की बात कही गई, लेकिन अभी तक उस पर स्वीकृति नहीं मिली है।
इनका कहना
जलाशय निर्माण के बाद वाटरकोष कुलावानिर्माण के लिए अवधि पूर्ण हो चुकी है। इनके निर्माण के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजा जाएगा।
बीएस चौहान, एसडीओ, जल संसाधन विभाग, खिरकिया

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