बिहार के कई परिवार काम-धंधे की तलाश में हरदा आए और फिर यहीं बस गए। इनमें से एक राजेश पासवान बताते हैं कि छठ पर्व के दीवाली के 6 दिन बाद पड़ता है। छठ पर्व पर मुख्यत: सूर्य देव की आराधना की जाती है और साथ ही छठी मइया की पूजा की जाती है। छठ व्रत के दौरान लगातार 36 घंटे का व्रत रखा जाता है और इस अवधि मेें व्रतधारी पानी भी ग्रहण नहीं करते। विशेष बात यह भी है कि छठ पूजा एकमात्र ऐसा त्योहार है जिसमें उदयाचल सूर्य के अलावा अस्ताचलगामी सूर्य की भी पूजा की जाती है। सूर्योपासना के इस पर्व पर पवित्र नदियों, तालाबों के किनारे पूजा कर सूर्यदेव को अघ्र्य दिया जाता है। मूलत: बिहार के जहानाबाद जिले के निवासी विजयशंकर यादव बताते हैं कि छठ पूजा के लिए नर्मदा तट हंडिया सबसे उपयुक्त स्थान है। हंडिया के अलावा नेमावर में भी नर्मदा तट पर जाकर कई महिलाएं सूर्य पूजन करती हैं। सूर्यदेव को अघ्र्य देकर छठी मैया की भी पूजा करती हैं।
चार दिवसीय छठ उत्सव की शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से हो जाती है। रेखा पासवान, सुमित्रा, द्रोपदी यादव आदि बताती हैं कि छठ पर्व की शुरूआत नहाय खाय से होती है और इसके बाद खरना होता है। खरना के अगले दिन व्रती शाम को संध्या अघ्र्य दिया जाता है। संध्या अघ्र्य के अगले दिन सुबह उषा अघ्र्य दिया जाता है। पूर्वांचल निवासी उषा अघ्र्य और सूर्य पूजन के लिए नर्मदा घाटों पर सुविधाएं जुटाने की बात कह रहे हैँ।
नर्मदा घाट हंडिया पर अभी अनेक अव्यवस्थाएं हैं जिसके कारण श्रद्धालुओं को परेशान होना पड़ता है। घाट पर गंदगी पसरी है, यहां आवारा मवेशियों के कारण पूजा में दिक्कत होती है। सूर्यपूजा के पहले महिलाएं स्नान करती हैं पर हंडिया घाट पर महिलाओं के कपड़े बदलने की उचित व्यवस्था नहीं है। दो पहिया वाहनों की पार्किंग की भी व्यवस्था नहीं है। कार्तिक अमावस्या पर स्नान के लिए गए श्रद्धालुओं को इन सब कारणों से बहुत परेशान होना पड़ा था।