नगर परिषद की अनदेखी से छीपाबड़ का वर्षों पुराना नीलकंठ सरोवर हो रहा बदहाल
हरदाPublished: Nov 23, 2020 08:59:57 pm
आधा एकड़ रकबे में बने प्राचीन सरोवर को सहजने की आवश्यकतादुर्घटनाओं का कारण भी बन रहा क्षतिग्रस्त सरोवर
नगर परिषद की अनदेखी से छीपाबड़ का वर्षों पुराना नीलकंठ सरोवर हो रहा बदहाल
खिरकिया. जलस्त्रोतों को सहजने के लिए शासन स्तर पर लाखों रुपए खर्च किए जा रहे है। श्रमदान के माध्यम से लोगों को इनके रखरखाव के लिए प्रेरित भी किया जा रहा है। इसके बावजूद पुराने जल स्त्रोतों की अनदेखी के कारण यह बदहाल और अनुपयोगी साबित हो रहे है। कुछ ऐसी ही स्थिति नगर में स्थित नीलकंठ सरोवर की बनी हुई है। जिस पर स्थानीय निकाय का ध्यान नहीं होने के कारण इसकी स्थिति दिनों दिन बदतर होती जा रही है। जानकारी के अनुसार नगर पंचायत क्षेत्र अंतर्गत छीपाबड़ में कालधड़ मार्ग पर वर्षों पुराना नीलकंठ सरोवर स्थित है। जो अब यह बदहाल स्थिति में है। यह सरोवर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। इसको सहजने और जीर्णोंद्धार की मांग नागरिकों की ओर से की जा रही है। बारिश के बाद वर्तमान में सरोवर में पानी भरा है, लेकिन रखरखाव के अभाव में पानी खत्म हो जाएगा। यदि इसे सहेजा जाए तो इसके पानी से आसपास से जलस्त्रोत रिचार्ज होते रहे, साथ ही नगर में जलस्त्रोत में भी वृद्धि हो सकती है।
क्षतिग्रस्त हुई सरोवर की दीवारें-
नीलकंठ सरोवर के नाम से प्रसिद्ध इस छोटे तालाब की उपयोगिता से छीपाबड के रहवासी एवं आसपास के किसान भलीभांति परिचित है, लेकिन नगर परिषद इसकी सुध नहीं ले रही है। सरोवर की दीवारें क्षतिग्रस्त होने के कारण बारिश में भरा पानी रिसकर खाली हो रहा है। लगभग आधा एकड़ क्षेत्र में फैले इस सरोवर के चारों और दीवारें थी, लेकिन तीन तरफ की दीवार बारिश के कारण टूट गईं हैं। एक ओर ही दीवार बची है। दीवार गिरने के कारण ईंट और मिट्टी भी सरोवर में जा गिरी। इसके चलते इसकी गहराई भी कम हो गई। पूर्व में इस सरोवर से पानी की सप्लाई के लिए पंप हाउस भी बनाया गया था, वह भी क्षतिग्रस्त हो गया है।
वीरान पड़ा है बगीचा-
पूर्व में इस सरोवर से लगी भूमि में बगीचा भी था, लेकिन देखरेख और रखरखाव के अभाव में वह भी वीरान हो गया है। सरोवर के पानी से बगीचे में विभिन्न पेड़ पौधे लगाऐ जाते थे, लेकिन अब जमीन बंजर पड़ी हुई है। इससे शासकीय भूमि अनुपयोगी साबित हो रही है। छीपाबड़ के निवासियों ने बताया कि इस भूमि पर उद्यान को विकसित किया जा सकता है। नगर में उद्यान के लिए जगह की कमी को भी दूर किया जा सकता है। यदि इन जलस्त्रोतों को सहजने पर नगर परिषद ध्यान दे तो नगर में जल की पूर्ति के लिए इतनी मशक्कत नहीं करना पड़ेगी।
सरोबर को सहजने की आवश्यकता-
लगभग 20 फीट गहरे सरोवर में पानी भरा है। लेकिन वर्तमान में गंदगी, खरपतवार व कचरे के कारण पानी दूषित हो रहा है। सरोवर में जल की आवक बनी रहती है। यदि इसकी खुदाई कर दीवारों का निर्माण कर दिया जाए तो स्थिति बदल सकती है। छीपाबड़ के लोगों ने बताया कि नगर परिषद को इसकी खुदाई कराई जानी चाहिए। यदि ऐसा किया जाए तो छीपाबड़ के 5 वार्डों सहित नगर के अन्य वार्डों की पेयजल समस्या का स्थाई हल निकल सकेगा। इसके पूर्व में भी व्यवस्था बनाई जाती थी। जलस्त्रोतों को रिचार्ज करने व कृषि भूमि की सिंचाई में सरोवर महत्वपूर्ण साबित होगा।
हादसे की बनी रहती है आशंका-
नीलकंठ सरोवर की बदहाली के चलते यह दुर्घटनाओं को न्यौता दे रहा है। वर्तमान में दीवारों के टूटने के कारण बाजू से निर्मित मार्ग भी क्षतिग्रस्त हो रहा है। ऐसी स्थिति में सरोवर के बाजू से गुजरने वाले राहगीरों को हादसे की आशंका बनी रहती है। इस सरोवर के आसपास बड़े क्षेत्र में किसानो की कृषि भूमि है, जहां किसानों का दिन रात आना जाना लगा रहता है। ऐसी स्थिति में अनदेखी के चलते यह दुर्घटना का कारण बन सकता है। इसके चलते इसे भी सुरक्षित किए जाने की भी आवश्यकता बताई जा रही है।
इनका कहना है
नीलकंठ सरोवर का शीघ्र ही निरीक्षण किया जाएगा। इसके जीर्णोद्धार पर विचार कर बेहतर व्यवस्था करने के प्रयास किए जाएंगे।
एआर सांवरे, सीएमओ, नपं खिरकिया