खिरकिया व चारुवा के कारसेवकों ने भी अयोध्या पहुंचकर विवादित ढांचा गिराने में किया था सहयोग
कारसेवको के घर में आज भी मौजूद है विवादित ढांचे की ईंट
कारसेवको के घर में आज भी मौजूद है विवादित ढांचे की ईंट
राजेश मेहता/ खिरकिया. अयोध्या में विवादित ढांचा गिराने के 28 वर्ष बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए फैसले पर अब राम मंदिर का भूमिपूजन किया जाएगा। यह क्षण भारतवासियों के साथ ही उन लोगों के लिए भी एतिहासिक होगा जिन्होंने इसके लिए लंबी लड़ाई लड़ी। विवादित ढांचा गिराने के लिए देशभर से कारसेवक अयोध्या पहुंचे थे और विवादित ढांचा गिर दिया। इसके साथ ही भगवान राम की जन्मभूमि पर उनके भव्य मंदिर निर्माण की प्रकिया प्रारंभ हो गई। आखिरकर इसमें भारतीय आस्था, संस्कृति व विश्वास को जीत मिली। आज अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर की नींव रखी जाएगी। लेकिन विवादित ढांचे को हटाकर अस्थाई रूप से मंदिर की नींव 6 दिसंबर 1992 में रख दी गई थी। इसमें नगर सहित ग्राम चारूवा से 7 कारसेवकों ने पहुंचकर अपना सहयोग दिया था। जब देशभर से विवादित ढांचे को गिराने एवं राम मंदिर की नींव रखने के लिए लाखों कारसेवक आयोध्या पहुंच रहे थे। नगर से दिनेश कनौजिया, सुभाष गढ़वाल, सुधीर सोनी, जयराम वर्मा एवं चारूवा से जगदीश पालीवाल, सुखराम गौड़ और राम मंडलोई अयोध्या पहुंचे थे।
विवादित ढांचे की साथ में लाए ईंट, गांव में कराया था भ्रमण
सुभाष गढ़वाल ने बताया कि 2 दिसंबर को अयोध्या के लिए रवाना हुए थे। नगर से पैसेंजर से हरदा पहुंचे थे। इसके बाद वहां से इटारसी पहुंचे तो यूपी की ओर जाने वाली सभी टे्रनों में कारसेवकों की भीड़ थी। यूपी की सीमा में अयोध्या के जाने एवं आने के दौरान पत्थरबाजी का सामना भी करना पड़ा। अयोध्या पहुंचने के पहले भरतपुर फिर हनुमान गढ़ी में रूके। इसके बाद आयोध्या में कारसेवकों की सभा में शामिल हुए। सभा के बाद कारसेवा का दौर प्रारंभ हुआ। 2 से 3 घंटें में विवादित ढांचा गिरा दिया गया। विवादित ढांचा गिराने के बाद कार सेवकों द्वारा अपने साथ विवादित ढांचे की एक-एक ईंट भी रखकर लाए थे। ग्राम चारूवा के जगदीश पालीवाल द्वारा इस ईंट का गांव चारूवा में भ्रमण भी कराया था। कारसेवा के दिनों को याद करते हुए जगदीश पालीवाल ने बताया कि अस्थाई मंदिर निर्माण के लिए उन्होंने मटेरियल की तगारियां भी उठाई थी। कारसेवा के दौरान पेंटर सुभाष गढ़वाल ने अयोध्या की दीवारों पर नारे लिखे थे।