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जाने-माने संत काशी मुनि का निधन, ट्रेन के सामने कूदकर दे दी जान, शोक की लहर

locationहरदाPublished: May 04, 2022 06:03:47 pm

Submitted by:

Manish Gite

sant kashi muni – ट्रेन के सामने कूदकर धर्मेश्वर के संत काशी मुनि उदासीन ने की खुदकुशी, समूचा क्षेत्र शोक में डूबा

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संत काशी मुनि के लाखों अनुयायी थे।

 

हरदा। देवास जिले की सतवास तहसील के पोखर गांव स्थित धर्मेश्वर महादेव मंदिर के मुख्य संत काशी मुनि उदासीन बाबा (75) ने पीलियाखाल के पास ट्रेन के सामने कूदकर खुदकुशी कर ली। बुधवार को उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।

जानकारी के मुताबिक, संत काशी मुनि शहर के छीपानेर रोड पर रहने वाले एक भक्त के घर पर दो दिन पहले आकर रुके। सुबह करीब साढ़े आठ बजे रेलवे स्टेशन पर किसी ट्रेन से जा रहे संतों से मिलने का कहकर निकले। एक युवक ने उन्हें मोटरसाइकिल से रेलवे स्टेशन छोड़ा। सुबह 9.50 बजे डाउन रेलवे ट्रैक से ट्रेन क्रमांक 12141 एलटीटी-पाटलीपुत्र सुपरफास्ट ट्रेन हरदा रेलवे स्टेशन से थ्रू निकली।

इसी दौरान संत काशी मुनि ने पीलियाखाल के पास रेलवे खंभा नंबर 670/30 पीलियाखाल के पास ट्रेन के सामने खड़े हो गए। ट्रेन की टक्कर से मौके पर ही मौत हो गई।

 

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ट्रेन के ड्राइवर ने चारखेड़ा रेलवे स्टेशन पर ट्रेन को खड़ाकर स्टेशन मास्टर को ट्रेन के सामने सुसाइड करने का मेमो दिया। इसके बाद ड्राइवर सुबह 10 बजे ट्रेन रवाना हुई्। चारखेड़ा रेलवे स्टेशन से हरदा के रेलवे स्टेशन प्रबंधक एचजे पाल को घटना की जानकारी दी गई। जिन्होंने सिटी पुलिस को घटनास्थल उनका क्षेत्र बताकर संत के खुदकुशी के बारे में बताया। जिस पर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को लेकर जिला अस्पताल आई।

 

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पोखर के जाने-माने संत थे संत काशी मुनि

ग्राम पोखर निवासी मोहन साईं ने बताया कि संत काशी मुनि क्षेत्र के जाने-माने संत थे। गांव से कुछ दूरी पर धर्मेश्वर महादेव मंदिर में रहते थे। जहां रोजाना सैकड़ों भक्त दर्शन के लिए जाते थे। गांव में कोई भी नवीन कार्य अथवा वाहन पूजन संत के आशीर्वाद के बाद ही उपयोग किया जाता। उन्होंने बताया कि वह 21 साल से बाबा की भक्ति में परिवार सहित जुटे थे। वहीं कई दिग्गज नेता एवं आइएएस, आइपीएस अधिकारी भी उनके भक्त थे।

 

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संत काशी मुनि उदासीन बाबा ज्योतिष एवं अनेक भाषाओं के ज्ञाता थे। धर्मेश्वर मंदिर में स्थापित शिव मूर्ति का पौराणिक इतिहास रहा है। जब यह मूर्ति पुनासा स्थित बांध नर्मदा पर बन जाने के बाद पुराना मंदिर डूब में आ जाने से मूर्ति को स्थान परिवर्तन कर सतवास-पुनासा मार्ग पर स्थापित की एवं वहां मंदिर बनाया गया। वे मंदिर में आने वाले नर्मदा परिक्रमावासी व दर्शनार्थियों के लिए अन्न क्षेत्र चलाते थे। उनके दर्शन के लिए दूर-दूर से लोगों का आना-जाना बना रहता था। उनके निधन की सूचना से सब लोग स्तब्ध रह गए।

संत के निधन की खबर मिलते ही खातेगांव विधायक आशीष शर्मा सहित पोखर और आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में बाबा के भक्त जिला अस्पताल पहुंचे। डॉ. बृजेश रघुवंशी ने मृतक का पीएम कर शव भक्तों को सौंपा, जिन्हें वे पोखर गांव ले गए। बुधवार सुबह उनका नर्मदा तट पर अंतिम संस्कार किया गया।

 

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