scriptसात माह से एनआरसी में नहीं है शिशु रोग विशेषज्ञ, बढऩे लगा क्षेत्र में कुपोषण का ग्राफ | docter is not available in NRC for seven 7 months, graph incresed | Patrika News

सात माह से एनआरसी में नहीं है शिशु रोग विशेषज्ञ, बढऩे लगा क्षेत्र में कुपोषण का ग्राफ

locationहरदाPublished: Nov 15, 2019 11:51:43 am

Submitted by:

Rahul Saran

– इस वर्ष लक्ष्य पूर्ति पूरी भी हो रही मुश्किल

hoshangabad, nrc, child specialist,

hoshangabad, nrc, child specialist,

खिरकिया। कुपोषित बच्चों को पोषण देने के मामले में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र स्थित पोषण पुनर्वास केन्द्र पिछले साल प्रदेश में दूसरे नंबर पर रहा था मगर इस बार पोषण के मामले में पिछड़ रहा है। केंद्र के लिए शिशु रोग विशेषज्ञ का सात महीने से नहीं होना और कुपोषित बच्चों को अस्पताल लाने वाले कर्मचारियों के हाथ भुगतान नहीं लगना कुपोषण का ग्राफ बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं मगर जिम्मेदार इससे बेपरवाह हैं।
————
कमियों से लक्ष्य पर असर
अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था अच्छी नहीं होने से केन्द्र में बच्चों की आवक पर इसका असर दिख रहा है। विकासखंड के आदिवासी अंचलों में कुपोषण से जिंदगी की जंग लड़ रहे बच्चों को पोषित करने का ग्राफ पिछले कुछ वर्षो में ऊपर चढ़ा था लेकिन अब दोबारा इसका स्तर नीचे गिर रहा है। विभागीय लापरवाही से कुपोषित बच्चे पुनर्वास केन्द्र तक नहीं पहुंच पा रहे हंै। शत प्रतिशत लक्ष्य पूर्ति वाला करने वाला पुनर्वास केन्द्र केवल 30 से 35 प्रतिशत ही लक्ष्य हासिल कर पा रहा है।
—————-
गत वर्ष 115, इस साल 80 बच्चे
केन्द्र में प्रतिमाह 20 बच्चों को भर्ती करने का लक्ष्य रखा गया है लेकिन अभी लक्ष्य की पूर्ति नहीं हो पा रही है। अक्टूबर माह में लक्ष्य 30 से 35 प्रतिशत ही रहा है जबकि वर्ष 2018 के अक्टूबर माह में लक्ष्य हासिल हो गया था। वर्ष 2018 में 115 प्रतिशत बच्चों की भर्ती हुई थी अभी यह आंकड़ा 80 को भी नहीं छू पाया है। वर्ष 2016-17 में 2६६ बच्चों को भर्ती किया गया था। वर्ष 2017-18 में भी लक्ष्य से ज्यादा बच्चे केंद्र में आए थे।
——————-
शिशु रोग विशेषज्ञ की कमी
एनआरसी में कुपोषित बच्चों के कम भर्ती होने से की एक बड़ी वजह शिशु रोग विशेषज्ञ की सुविधा नहीं होना है। अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ का पद खाली है। करीब सात माह से पद खाली है। अस्पताल के अन्य चिकित्सकों द्वारा एनआरसी का निरीक्षण भी नहीं किया जाता है जिससे केंद्र अब खाली रहने लगा है।
——————-
बिना वेतन कर्मचारी भी परेशान
केन्द्र में स्वास्थ्य विभाग की आशा एवं महिला बाल विकास विभाग के कर्मचारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा बच्चे लाए जाते हंै। जिन्हें प्रोत्साहित करने तय राशि दी जाती है, कर्मचारियों को उनका भुगतान नहीं हो रहा है जिससे वे इस कार्य में रुचि नहीं ले रहे हंै। बच्चों के अस्पताल में भर्ती होने पर उनकी माताओं को भी राशि दी जाती है। इसका भी भुगतान नहीं किया जा रहा है।
—————
गत वर्ष दूसरी पोजीशन पर था एनआरसी
खिरकिया एनआरसी बच्चों को पोषण देने के मामले में वर्ष 2018 में प्रदेश में दूसरे नंबर पर आया था। इस बार उसकी रैंकिंग पिछड़ सकती है। क्षेत्र में बड़ी संख्या में कुपोषित बच्चे होने के बावजूद उन्हें एनआरसी तक लाने के प्रयास गंभीरता से होते नहीं दिख रहे हैं।
—————
इनका कहना है
एनआरसी में बच्चों को भर्ती कराने के लिए महिला बाल विकास विभाग को लिखा जाएगा। एनआरसी के लिए कार्यरत कर्मचारियों को भुगतान करने की प्रक्रिया करायी जा रही है। ज्यादा से ज्यादा बच्चों को पोषण देने का प्रयास किया जा रहा है।
डॉ आर ओनकर, बीएमओ खिरकिया
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो