संजीवनी 108 एंबुलेंस के इएमटी व पायलेट तीन महीने से लगातार कर रहे ड्यूटी
– कोरोना वायरस के संक्रमण के डर से बच्चों व परिजनों से भी नहीं मिले
संजीवनी 108 एंबुलेंस के इएमटी व पायलेट तीन महीने से लगातार कर रहे ड्यूटी
हरदा. कोरोना वायरस के संक्रमित एवं संदिग्ध मरीजों को संजीवनी 108 एंबुलेंस से जिला अस्पताल लाया जाता है। इस एंबुलेंस के इएमटी एवं पायलट विगत करीब तीन माह से बिना अवकाश लिए लगातार ड्यूटी कर रहे हंै। उन्हें डर है कि उनकी वजह से कहीं परिजन एवं बच्चे भी कोराना वायरस के शिकार न हो जाएं। इस कारण वे उन्हें अपने हाल में छोड़कर कोरोना वायरस के मरीजों की सेवा में लगे हुए हैं। ज्ञात हो कि कोविड-१९ के संदिग्ध एवं सक्रंमित मरीजों की जानकारी लगते ही सबसे पहले मौके पर संजीवनी 108 एंबुलेंस ही पहुंचती है। इसमें पीपीइ किट पहने तैनात इएमटी एवं पायलट मरीज के घर पहुंचकर उनका एवं उनके परिजनों का हौसला बढ़ाते हुए उन्हें जिला अस्पताल ले जाने का कहते हैं। इस दौरान उन्हेें कई बार अप्रिय स्थिति का सामना भी करना पड़ता है। कुछ मरीज अस्पताल जाने से इंकार कर देते हैं तो कुछ मरीजों के परिजन उनसे विवाद करने पर उतारू हो जाते हैं। इसके बीच वे उन्हें समझा बुझाकर अस्तपाल तक ले जाते हैं। अब तक करीब १०० से अधिक संदिग्ध एवं संक्रमित मरीजों को उपचार के लिए संजीवनी १०८ से जिला अस्पताल लाया जा चुका है। इसमें करीब ३० मरीज ऐसे हैं जिनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद अस्पताल लाया गया।
चाहकर भी नहीं जा पा रहे घर
१०८ एंबुलेंस के इएमटी ललित पंवार मूल रूप से बैतूल जिले के रहने वाले हैं। उन्होंंने बताया कि वे करीब तीन माह से अपने परिवार से दूर हैं। पिछले कुछ दिनों में हरदा में कोरोना वायरस के संक्रिमत मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इस वजह से चाहकर भी अवकाश लेकर अपने घर नहीं जा पा रहे हैं।
बच्चे व पत्नी को ससुराल में छोड़कर कर रहे ड्यूटी-
संजीवनी १०८ के पायलट नितिन वर्मा ने बताया कि वे भी विगत तीन माह से लगातार ड्यूटी कर रहे हैं। ढाई साल का बेटा उन्हें देखकर पास आने के लिए मचलता था, लेकिन वे उसके पास नहीं जा पाते थे। उन्होंने अपनी पत्नी एवं बेटे को अपनी ससुराल इंदौर भेज दिया है।
बाहर नहीं जा पा रहे किडनी मरीज, इसलिए 4 माह से कर रहे ड्यूटी
जिला अस्पताल के डायलिसिस टेक्निशियन विकास राजपूत भी विगत करीब ४ माह से लगातार किडनी के मरीजों की सेवा में लगे हैं। उन्होंने बताया कि यहां पर डायलिसिस टेक्निशियन के पद पर वे अकेले कार्यरत हंै। लॉकडाउन के कारण बस एवं ट्रेनेंं बंद होने से किडनी के मरीज दूसरे शहरों में डायलिसिस कराने नहीं जा पा रहे है। ऐसे में वे चाहकर भी छुट्टी पर नहीं जा पा रहे हैं।
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