सोयाबीन फसल में अफलन, कीट प्रकोप से फूल झड़ रहे, उत्पादन प्रभावित होने की आशंका
हरदाPublished: Aug 12, 2020 09:52:19 pm
– जिले के 1 लाख 65 हजार हेक्टेयर में हुई है सोयाबीन की बुवाई
सोयाबीन फसल में अफलन, कीट प्रकोप से फूल झड़ रहे, उत्पादन प्रभावित होने की आशंका
हरदा/मसनगांव। जिले में खरीफ सीजन की मुख्य फसल सोयाबीन पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। अपेक्षाकृत कम बारिश होने से कहीं फसल में अफलन की स्थिति है तो कहीं पीला मोजेक का प्रकोप सामने आ रहा है। कीट प्रकोप से भी फसल प्रभावित हो रही है। इस स्थिति में उत्पादन प्रभावित होने से किसानों को आर्थिक नुकसान की चिंता सता रही है। मसनगांव क्षेत्र में अधिकतर किसानों ने जेएस ९३०५ किस्म की सोयाबीन बोई थी। गांव के किसान कय्यूम खान, कमल राजपूत, रामदास पाटिल आदि ने बताया कि कई खेतों में पौधे में फली नहीं बन सकी है। गांगला के कृषक जुगल किशोर तथा पलासनेर के कई किसानों के खेत में सोयाबीन के पौधे बांझ खड़े हुए हैं। इनमें फूल व फलियां गायब हैं। कृषक रामदास पाटिल ने बताया कि तेज गर्मी और उमस के कारण सोयाबीन में फली बनने से पहले जो करे आते हैं वह गिरने से अफलन की स्थिति बनी हुई है। वहीं कुछ किसानों का कहना है कि बारिश के बाद गिरने वाली धुंधार (कोहरे) से फूल तथा फलिया नष्ट हो गई हैं। इससे भी पौधों में फली नहीं बनी है। कुछ खेतों में पत्ते पीले पड़ कर पौधे सूखने लगे हैं। जिसमे पीले मोजक की आशंका बनी हुई है।
महंगे कीटनाशक के स्प्रे से लागत में हुआ इजाफा
फसल बचाने के लिए किसानों के द्वारा महंगे कीटनाशक का स्प्रे किया जा रहा है। इसके बावजूद फसल में बीमारियां थमने का नाम नही ले रही। हजारो रुपए खर्च करने के बावजूद सोयाबीन फसल में अफलन की स्थिति है।
तना खोखला हो तो स्प्रे किया जाए
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. आरसी शर्मा ने बताया कि सोयाबीन फसल में मक्खी के कारण तने में इल्ली होने से पूरे पौधे को बांझ कर रही है। इस वजह से कई स्थानों पर पौधों में फूल व फल नहीं आ रहे। उन्होंने बताया कि इस स्थिति में किसान पहले पौधे को चीर कर देखें। यदि तना खोखला है तो उस पर सोलोमन नामक दवाई का स्प्रे किया जाए। जिन किसानों के खेतों में अफलन की स्थिति है उन्हें भी स्प्रे करना चाहिए। इससे पौधों में फूल व फलियां आ सकती हैं। स दवा के स्प्रे से वापस पौधे में फूल फलियां आ सकती है।
फसल पर सफेल मक्खी का प्रकोप, किसानों की चिंता बढ़ी
बालागांव. क्षेत्र में किसानों ने तीन चरणों में बुवाई की है। कम बारिश से व्हाइटफ्लाई अर्थात सफेद मक्खी का अत्यधिक प्रकोप देखने को मिल रहा है। यह पीला मोजेक को बढ़ावा देती है। जिससे तना कुपोषित होकर अफलन की स्थिति बनती है। पौधे में फली का निर्माण तो होता है लेकिन लेकिन या तो छोटे आकार का आता है या आता ही नहीं। दूसरी ओर सेमीलूपर का प्रकोप भी देखने को मिल रहा है। यह पत्ता छेदक एवं फलियों को भी आघात पहुंचाती है। कृषक मित्र प्रेमनारायण गौर के अनुसार यदि तेज बारिश होती है तो सेमिलूपर इल्ली एवं व्हाइटफ्लाई मक्खी स्वत: ही समाप्त हो जाती है। कृषक संतोष गौर, सुनील गौर, नरेंद्र भाटी, राजकुमार भाटी, सत्यनारायण गुर्जर ने बताया कि बारिश अत्यधिक होने पर बेहतर उत्पादन की उम्मीद है। फसल को बीमारी की स्थिति से बचाव के लिए कीटनाशक का छिड़काव किया जा रहा है।
खेतों में पीला मोजेक का प्रकोप बढ़ रहा
सिराली। क्षेत्र में सोयाबीन फसल पर पीला मोजेक का प्रकोप बढ़ते जा रहा है। किसान लालू शिंदा ने बताया कि वर्तमान में सोयाबीन की फसल पर पीला मौजा नामक बीमारी लगी हुई है। इस बीमारी की रोकथाम के लिए कई बार स्प्रे किया गया, लेकिन नियंत्रण नहीं हो रहा है। किसान रामकृष्ण ने बताया कि तेज बारिश हो तो फसल को फायदा होगा। बारिश की ऐसी ही स्थिति रही तो फसल उत्पादन प्रभावित हो सकता है।