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कैसे पोषित होंगे बच्चे, पोषण पुनर्वास केन्द्र के बंद जैसे हालात

locationहरदाPublished: Sep 21, 2020 08:42:10 pm

Submitted by:

gurudatt rajvaidya

कुपोषित बच्चों को पोषित करने का गिरा ग्राफप्रदेश में दूसरे नंबर पर रहने वाले एनआरसी केन्द्र की कोरोना ने बिगाड़ी व्यवस्था

कैसे पोषित होंगे बच्चे,  पोषण पुनर्वास केन्द्र के बंद जैसे हालात

कैसे पोषित होंगे बच्चे, पोषण पुनर्वास केन्द्र के बंद जैसे हालात

खिरकिया. कुपोषित बच्चों को पोषण देने के मामले में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र स्थित पोषण पुनर्वास केन्द्र गत वर्ष प्रदेश में दूसरे नंबर पर रहा था, लेकिन इस वर्ष इसकी स्थिति बंद जैसी है। चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में कोरोना के बाद पूर्व से संचालित व्यवस्थाएं भी गड़बड़ा गई है। हालात यह है कि एनबीएसयू एवं एनआरसी जैसे महत्वपूर्ण केन्द्रों को बंद रखा जा रहा है। जानकारी के अनुसार अस्पताल के प्रथम तल पर बना पोषण पुनर्वास केन्द्र में बच्चों को भर्ती रखकर पोषण आहार व उपचार दिया जाता है, लेकिन यहां बच्चों की कमी बनी हुई है। वर्तमान में यहां एक मात्र कुपोषित बच्चा भर्ती है। कोरोना और अस्तपाल की व्यवस्थाओं का असर पोषण पुनर्वास केन्द्र पर भी देखने को मिल रहा है। ऐसे में विकासखंड के आदिवासी अंचल ं में कुपोषण से जिंदगी की जंग लड़ रहे बच्चों को पोषित करने का ग्राफ नीचे गिरता जा रहा है। पोषण पुनर्वास केन्द्र में स्वास्थ्य विभाग की आशाओं एवं महिला बाल विकास की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से बच्चे लाए जाते हैं। जिन्हें प्रोत्साहित करने के लिए राशि भी दी जाती है, लेकिन वे इस कार्य में रूचि नहीं ले रहे है।
लक्ष्य से पिछड़ रहा कुपोषण-
पोषण पुनर्वास केन्द्र में प्रतिमाह 20 बच्चों को भर्ती कर पोषण दिए जाने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन वर्तमान में लक्ष्य की पूर्ति नहीं हो पा रही है। 2018 में 115 प्रतिशत बच्चों की भर्ती हुई थी, जो लक्ष्य पूर्ति से भी 15 प्रतिशत अधिक रहा था। 2019 में लक्ष्य 80 प्रतिशत के आसपास ही रहा है। वर्ष 2016-17 में 240 बच्चों का लक्ष्य मिला था। इसमें लक्ष्य से 26 अधिक बच्चों को पोषण लाभ मिला था। वहीं वर्ष 2017-18 में भी लक्ष्य से अधिक पूर्ति हुई थी, लेकिन वर्तमान वर्ष में स्थिति बदतर हो गई है। एनआरसी की स्थिति गड़बड़ाने का प्रमुख कारण अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ चिकित्सक का ना होना है। पूर्व में यहां विशेषज्ञ पदस्थ थे, तब लक्ष्य की पूर्ति होती थी, लेकिन अब यहां कमी बनी हुई है। इससे कुपोषण के प्रति जागरूकता और उपचार व्यवस्थाओं में भी कमी आई है।
प्रदेश में दूसरे नंबर पर था खिरकिया एनआरसी-
समूचे प्रदेश में खिरकिया एनआरसी बच्चों को पोषण देने के मामले में दूसरे नंबर पर रहा है, लेकिन इस वर्ष इसकी रैंकिंग पिछड़ सकती है। गत वर्ष सभी राज्यों की एनआरसी टीम को प्रशिक्षण दिया गया था। इसमें मध्यप्रदेश से एकमात्र खिरकिया एनआरसी से तात्कालीन बीएमओ डॉ. आरके विश्वकर्मा एवं पोषक प्रशिक्षक मोनिका बारस्कर को उनके बेहतर कार्य के कारण प्रशिक्षण में बुलाया गया था, लेकिन बीएमओ का स्थानांतरण होने के बाद यहां व्यवस्था गडबड़ा गई। पोषण केन्द्रों तक बच्चों को पहुंचाने में भी चिकित्सकों की भूमिका होती है, जो वर्तमान में देखने को नहीं मिल रही है। गौरतलब है कि आदिवासी बहुल विकासखंड एवं कुपोषण को प्रति अज्ञानता के चलते कई बच्चे कुपोषण की गिरफ्त है, विगत वर्षों में स्थानीय स्वास्थ्य व्यवस्था व एनआरसी टीम की मदद से सैकडंो़ं बच्चों को नया जीवन मिला है, जो वर्तमान में पिछड़ रहा है।
अस्पताल में चिकित्सकों की कमी से बिगड़ रही अन्य व्यवस्था-
वर्तमान में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में बीएमओ एवं दो मेडिकल ऑफिसर पदस्थ है, इनके जिम्मे कोरोना की ड्यूटी का अधिक भार रहता है। बीएमओ डॉ. आर ओनकर विभागीय कार्यों के अलावा कोविड केयर सेंटर की व्यवस्था, कंटेनमेंट जोन में स्वास्थ्य सेवाएं व अन्य कार्य रहता है। एक चिकित्सक की नियमित रूप से फीवर क्लिनीक में ड्यूटी लगाई है, जबकि एक अन्य चिकित्सक को अन्य स्वास्थ्य सेवाओं के अतिरिक्त एमरजेंसी ड्यूटी संभालना पड़ता है। ऐसे में यहां व्यवस्थाओं में कमी है। चिकित्सकों की कमी से अस्पताल पहले से ही जूझ रहा है, लेकिन कोरोना के बाद यहां सुविधा वृद्धि की जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। यह अस्पताल ब्लॉक स्तरीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र है, लेकिन यहां चिकित्सकों की नियुक्ति प्राथमिक चिकित्सा केन्द्रों से कम या उनके बराबर ही है। यहां स्टॉफ की वृद्धि की जाना चाहिए।
इनका कहना
एनआरसी केन्द्र पर बच्चों की कमी है। केन्द्र में बच्चे नहीं पहुंच रहे है। इसके लिए शीघ्र व्यवस्था बनाई जा रही है। अस्पताल में चिकित्सा व्यवस्थाओं में वृद्धि की जाएगी।
डॉ. केके नागवंशी, सीएमएचओ, हरदा
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