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एंड्रायड मोबाइल के अभाव में कैसे होगी सरकारी स्कूलों के बच्चों की आनलाइन पढ़ाई

locationहरदाPublished: Apr 02, 2020 08:08:32 pm

Submitted by:

gurudatt rajvaidya

-50 प्रतिशत से अधिक विद्यार्थियों और पालकों के पास नहीं हैं एंड्रायड मोबाइल-बिना रेडियो के बच्चे कैसे सुन सकेंगे लेसन प्लान

एंड्रायड मोबाइल के अभाव में कैसे होगी सरकारी स्कूलों के बच्चों की आनलाइन पढ़ाई

एंड्रायड मोबाइल के अभाव में कैसे होगी सरकारी स्कूलों के बच्चों की आनलाइन पढ़ाई

खिरकिया. सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को घर बैठे आनलाइन शिक्षा प्रदान किए जाने की तैयारी की जा रही है, लेकिन शासन की मंशा व्यवस्थाओं के अभाव में फेल होती दिख रही है। शासन द्वारा प्राथमिक, माध्यमिक ,हाइस्कूल व हायरसेकंडरी कक्षाओं के बच्चों को आनलाइन शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए अलग-अलग प्लान बनाए गए है। लेकिन अधिकांश बच्चों और उनके पालकों के पास संसाधान ही नहीं है। जानकारी के अनुसार हाइस्कूल एवं हायर सेकंडरी की कक्षाओ में आनलाइन शिक्षा के लिए व्हाट्सऐप गु्रप बनाने के निर्देश है। जिस पर बच्चों को शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराकर पढ़ाई कराया जाना है। कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों के लिए प्रतिदिन रेडियो पर लेसन प्लान प्रसारित किया जाना है। लेकिन अधिकांश बच्चों व उनके पालकों के पास एंड्रायड मोबाइल ही नहीं है। वहीं प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं के बच्चों के घरों में रेडियों ही नहीं है।
५० प्रतिशत से भी कम बच्चों के मिले एंड्रायड मोबाइल नंबर-
जानकारी के मुताबिक विकासखंड में प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं में करीब 18 हजार एवं हाइस्कूल व हायर सेकंडरी में करीब 2 हजार विद्यार्थी दर्ज है। जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा 31 मार्च को इसको लेकर आदेश जारी किए गए थे। इसके बाद शिक्षकों द्वारा बच्चों व उनके पालकों के मोबाइल नंबर जुटाए गए। इसमें से बमुश्किल केवल 50 प्रतिशत से भी कम बच्चों व उनके पालकों के पास एंड्रायड मोबाइल मिल सके। इसके अलावा 8वीं एवं 10वीं से आगामी कक्षा में जाने वाले विद्यार्थियों का डाटा भी वर्तमान में स्कूलों के पास नहीं है। ऐसी स्थिति में जिनके पास मोबाइल है, वह शिक्षण सामग्री प्राप्त कर करेंगे और जिनके पास मोबाइल नहीं है, वे बच्चे इससे उपेक्षित रहेंगे।
बच्चों के घरों में नहीं, स्कूलों में रखे है रेडियो-
कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों के लिए प्रतिदिन प्रात: 11 से 12 बजे तक रेडियों पर प्रोग्राम का प्रसारण होना है, लेकिन परिवारों के पास रेडियो का अभाव है। गांव के विद्यालयों में रेडियो मौजूद है, लेकिन लॉकडाउन के चलते विद्यार्थी स्कूल नहीं जा सकते, वहीं शिक्षक भी घरों से ही कार्य कर रहे है। परिवारों में रेडियों नहीं होने से बच्चों तक प्रोग्राम पहुंच नहीं सकेंगे। वनांचल के ग्रामों में तो नेटवर्क भी नहीं रहता है। जिन लोगों के पास एंड्रायड मोबाइल है, वे इस चेनल को मैच नहीं कर पाते है। मोबाइल से रेडियो का प्रसारण भी ठीक ढंग से नहीं होता है। ऐसी स्थिति में विद्यार्थी कार्यक्रम में रूचि नहीं लेंगे। इससे शासन का उद्धेश्य पूरा होने की संभावना कम है।
-जो रोजी रोटी को तरस रहे, वे कहां से डलाएंगे डाटा पैक
लॉकडाउन के कारण कामकाज ठप पड़ें है। ऐसे में सबसे अधिक परेशानी मजदूर वर्ग के परिवारों को है, और शासकीय स्कूलों में अधिकंाश बच्चे इन परिवारों से ही आते है। वर्तमान में जहां मजदूर वर्ग के परिवार रोजी रोटी को तरस रहे है, ऐसे में बच्चों को यह शिक्षक सामग्री उपलब्ध कराने के लिए मोबाइल में डाटा पैक कैसे डला पाएंगे। इसके अलावा दुकानें बंद होने से वे मोबाइल रिचार्ज कहां से कराएंगे। शिक्षकों को मिले अधिकांश एंड्रायड मोबाइलों के नंबर डाटा पैक नहीं होने के कारण बंद है।
गांवों में जा रहे शिक्षक, कैसे होगा लॉकडाउन का पालन-
व्हाट्सगु्रप बनाने के लिए शिक्षक गांवों में पहुंचकर पालकों से संपर्क कर उनके मोबाइल नंबर लेकर आने के निर्देश दिए है। इससे वे लॉकडाउन में घर-घर पहुंचेंगे एवं कई लोगों के संपर्क में आएंगे। ऐसे में केारोना का संक्रमण फैलने की संभावना भी बढ़ जाती है। इसके अलावा जिन बच्चों के पास मोबाइल नहीं है, वे दूसरे बच्चों से शिक्षण सामग्री प्राप्त करने के लिए संपर्क करेंगे या उनके घर पहुंचकर अध्ययन करेंगे। ऐसे न तो लॉकडाउन का पालन होगा और ना ही सोशल डिस्टेसिंग का। ऐसे में इसके क्रियांवयन व अन्य व्यवस्थाओं को लेकर विचार किए जाने की आवश्यकता है।
इनका कहना है-
शासन के आदेशानुसार योजना के क्रियांवयन के प्रयास किए जा रहे है। करीब 50 प्रतिशत बच्चों एवं पालकों के एंड्रायड मोबाइल नंबर मिले है। अधिकांश बच्चों एवं पालकों के पास एंड्रायड मोबाइल ही नहीं है।
एएस राजपूत, बीईओ, खिरकिया

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