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एक शिक्षक के भरोसे सैकड़ों बच्चे

locationहरदाPublished: Aug 08, 2018 02:59:52 pm

Submitted by:

sandeep nayak

सरकारी स्कूलों में शिक्षकों कमी, मजबूरी में कर रहे हैं बच्चे अध्यापन, ११ स्कूलें भवनविहिन

Hundreds of children studying at a teacher's trust

एक शिक्षक के भरोसे सैकड़ों बच्चे

फैक्ट फाइल
जिले में सरकारी स्कूलों की संख्या -८८५
विद्यार्थियों की संख्या – ६७,५४८
शिक्षा विभाग में तैनात शिक्षक – १८८५
हरदा. प्रदेश सरकार गांवों स्कूलों भवनों के निर्माण व अन्य गतिविधियों के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, लेकिन शिक्षकों की व्यवस्था नहीं की जा रही है, जिससे सरकारी स्कूलों की शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार नहीं हो रहा है। लिहाजा, जिले की प्राथमिक, माध्यमिक से लेकर हाईस्कूल, हायर सेकेंडरी स्कूलों में एक शिक्षक के भरोसे सैकड़ों बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी है। इसके अलावा समय-समय पर शिक्षकों पर निर्वाचन और अन्य प्रशासनिक कार्यों को बोझ डाला जाता है। ऐसे में शिक्षक स्कूलों में पहुंचने की बजाय दूसरे कामों में उलझे रहते हैं और स्कूलों का स्तर गिरता जा रहा है। जिस पर शिक्षा विभाग का ध्यान नहीं है।
शिक्षक, अधिकारी नहीं पढ़ाते अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में
शहर से लेकर गांवों की सरकारी स्कूलों की स्थिति एक समान है। सरकार लोगों को सब पढ़े-सब बढ़े जैसे जुमले देकर सरकारी स्कूलों में दाखिला कराने के लिए प्रेरित करती है, लेकिन सरकारीस्कूलों के शिक्षकों से लेकर अफसर, कर्मचारी और शिक्षा विभाग के अधिकारी-कर्मचारी अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ गांवों के लोग भी अपने बच्चों का भविष्य संवारने के लिए शहर में आकर निजी स्कूलों में बच्चों का दाखिला करवा रहे हैं। सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों की सोच से ही पता चलता है कि शासकीय स्कूलों की हालत क्या होगी।
शासकीय स्कूलों में ऐसी है शिक्षकों और बच्चों की स्थिति
जिले की शासकीय प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में छात्र-छात्राओं की संख्या अधिक है, लेकिन उन्हें पढ़ाने के लिए पर्याप्त शिक्षक नहीं है। वर्तमान में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में बच्चों की संख्या ५४ हजार ५४८ है, जिसमें प्राथमिक में ३२ हजार ५९५ तथा माध्यमिक के २१९५३ विद्यार्थी शामिल हैं। जबकि प्राथमिक में १३४१ और माध्यमिक में ५४४ शिक्षक-शिक्षिकाएं हैं। इसी तरह हाईस्कूल, हायर सेकेेंडरी में लगभग १३ हजार छात्र-छात्राएं अध्ययनरत् हैं। हाईस्कूल में ८ हजार और हायर सेकेंडरी में 5 हजार विद्यार्थियों की दर्जसंख्या है। उक्त चारों शासकीय स्कूलों में शिक्षकों की कमी के चलते महज औपाचारिक रूप से कक्षाओं का संचालन हो रहा है।
प्राचार्यों के पद खाली, प्रभारियों के जिम्मे स्कूलें
जानकारी के अनुसार जिले में ३५ हायर सेकेंडरी और ५० हाईस्कूले हैं। उक्त ८५ स्कूलों में १९ प्राचार्यही कार्यरत् हैं। जबकि शेष स्कूलें प्रभारियों के भरोसे संचालित हो रही हैं। जिले में कई हाईस्कूलों एवं हायर सेकेंडरी स्कूलों में प्राचार्यों के पद खाली पड़े हुए हैं, जिन्हें भरा नहीं जा रहा है। प्रभारी प्राचार्यों के जिम्मे स्कूलें होने से उनका संचालन ठीक ढंग से नहीं हो रहा है। इस दिशा में शिक्षा विभाग द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
४ प्राइमरी और 7 हाईस्कूलें भवनविहीन
जिले की 50 शासकीय हाईस्कूलों में से सात हाईस्कूलें एवं चार प्राथमिक स्कूलें भवनविहीन हैं। ऐसी स्थिति में माध्यमिक की कक्षाएं प्राथमिक में तथा हाईस्कूल की हायर सेकेंडरी के भवनों में लग रही हैं। बच्चों का अभावों में पढ़ाई करने का मजबूर होना पड़ रहा है। शिक्षा विभाग के मुताबिक जिले में लगभग ८०० प्राथमिक, माध्यमिक स्कूल भवन हैं। किंतु महागांव, टेमरुबहार, रातामाटी और मरापाढोल में प्राथमिक स्कूल भवन नहीं हैं। वहीं करनपुरा, लछोरा, पानतलाई, बड़झिरी, बेडिय़ाकला, सोमगांवकला, रक्ट्या की हाईस्कूल भवनविहिन है।
सरकारी स्कूलों की हालत जर्जर
गांवों के साथ-साथ शहर की सरकारी स्कूलों की हालत जर्जर हो गई है, किंतु उन्हें ठीक नहीं करवाया जा रहा है। शहर के वार्ड १४ के अंतर्गत आने वाले मानपुरा की शुक्रवार प्राथमिक शाला, वार्ड २९ डॉ. जाकिर हुसैन के फाइल वार्ड सहित अन्य सरकारी स्कूलों के भवन जर्जर हो गए हैं। दीवारों में जहां दरारें आ गईहैं, वहीं छत भी गिरने की कगार पर हैं। रोजाना बच्चों को जान जोखिम में डालकर जर्जर भवनों में पढऩा पड़ रहा है।
इनका कहना है
जिले की शासकीय प्राथमिक, माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों की काफी कमी है। अतिथि शिक्षकों के माध्यम से अध्यापन करवाया जा रहा है। शिक्षकों के खाली पदों को शासन स्तर से भरने के प्रयास किए जा रहे हैं।
डॉ. आरएस तिवारी, डीपीसी, जिला शिक्षा केंद्र, हरदा
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