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बीस साल पहले 16 दिन धरना दिया तो प्रदेशभर में शुरू हुई थी प्लेटकांटे पर तुलाई, अब भी मांग मनवाकर ही उठेंगे

locationहरदाPublished: Aug 11, 2020 09:55:13 pm

Submitted by:

gurudatt rajvaidya

– तेरह दिन से शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे किसानों की सुध नहीं ले रही सरकार, अब गांवों में भी बैठेंगे धरने पर – कृषि मंत्री के क्षेत्र में किसानों के धरने के पहले दिन ही मिलने पहुंचे थे अधिकारी- कृषि मंडियों में समर्थन मूल्य पर उपज खरीदने सहित अन्य मांगों को लेकर दिया जा रहा धरना – सत्तारूढ़ दल से जुड़े संगठन की अनदेखी से भारतीय किसान संघ में रोष

बीस साल पहले 16 दिन धरना दिया तो प्रदेशभर में शुरू हुई थी प्लेटकांटे पर तुलाई, अब भी मांग मनवाकर ही उठेंगे

बीस साल पहले 16 दिन धरना दिया तो प्रदेशभर में शुरू हुई थी प्लेटकांटे पर तुलाई, अब भी मांग मनवाकर ही उठेंगे

हरदा। मूंग की समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू करने को लेकर शुरू हुआ भारतीय किसान संघ का बेमियादी धरना अब कृषि मंडियों में सभी उपज की खरीदी समर्थन मूल्य पर करने की मांग पर तटस्थ हो गया है। इस मांग के अलावा किसानों से जुड़ी अन्य समस्याओं के निराकरण को लेकर 13 दिन से धरने पर डटे किसान अब आंदोलन को गांव-गांव लेकर जाने के मूड में हैं। इस बात पर विचार किया जा रहा है कि जिस तहसील इकाई का नंबर जिला मुख्यालय पर आयोजित धरना में रहेगा उसी दिन वहां के गांवों में भी शांतिपूर्ण धरना दिया जाएगा। संघ ने आंदोलन की रणनीति में बदलाव अपने पुराने प्रदर्शन के आधार पर लिया है। संगठन पदाधिकारियों के मुताबिक कृषि मंडी में प्लेटकांटे से उपज तुलाई शुरू करने की मांग पर वर्ष 2000 में तत्कालीन कलेक्ट्रेट के सामने (एबीएम ग्राउंड पर) लगातार 16 दिन धरना दिया गया था। नतीजतन सरकार ने हरदा समेत पूरे प्रदेश में यह सिस्टम लागू किया। इसी तरह जिले की बिजली व्यवस्था को लेकर सड़क से कोर्ट तक की लड़ाई का नतीजा यह निकला कि पूरे जिले की विद्युत व्यवस्था में सुधार आया। इस बार वर्षों पुरानी मांग सभी उपज की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जाए के साथ धरना दिया जा रहा है। यह तब तक जारी रहेगा जब तक मांग पूरी नहीं होती। हालांकि आरएसएस का अनुषांगिक संगठन इस मुद्दे पर सरकार की बेरूखी से खासा खफा है। 27 जुलाई से धरने पर बैठे किसानों से मिलने पहले दिन ही अधिकारी पहुंचे थे। इसके बाद से उनकी सुध नहीं ली जा रही। ज्ञात हो कि वरिष्ठ स्वयंसेवक भाऊसाहब भुस्कुटे के प्रयासों से क्षेत्र में वर्ष 1981 से क्रियाशील सबसे बड़े किसान संगठन के वर्ष 2018 तक जिले में 52000 सदस्य हैं। बाद में भी सदस्यों की संख्या लगातार बड़ी है।
खुली बैठक में हो किसानों की मांग पर चर्चा
स्थानीय विधायक व कृषि मंत्री कमल पटेल के इस अवधि में कई दिन जिले में रहने के बावजूद उनकी ओर से बातचीत की पहल न करने से रुष्ठ किसान संघ जिला प्रशासन की बेरूखी से भी खफा है। अधिकारी उनसे मोबाइल पर चर्चा कर पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को चर्चा के लिए बुला रहे हैं। दूसरी ओर संघ की मांग है कि किसानों से जुड़े मुद्दे पर कलेक्टर की अध्यक्षता में खुली बैठक आयोजित की जाए। इसमें सभी जिला प्रमुख शामिल हों, ताकि किसानों से जुड़ी हर समस्या पर चर्चा कर निराकरण किया जा सके।
मंडी एक्ट में प्रावधान, फिर खरीदी क्यों नहीं
संघ के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य व जिला प्रभारी योगेंद्र सिंह भाम्बू, प्रांतीय महामंत्री चंद्रकांत गौर, जिला मंत्री भगवानदास गौर, जिला उपाध्यक्ष चिरौंजीलाल विश्नोई, खिरकिया तहसील अध्यक्ष कैलाश गुर्जर, राजेंद्र बांके, यशवंत राजपूत, रूपसिंह राजपूत आदि ने बताया कि उपज की खरीदी समर्थन मूल्य पर करने का प्रावधान मंडी एक्ट में है। देश के कई राज्यों के हाईकोर्ट इस नियम का पालन करने के लिए सरकारों से कह चुके। इसके बावजूद नियम की अनदेखी की जा रही है। इससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। भाकिसं इस बार आर-पार की लड़ाई के मूड में है। किसानों का कहना था कि मंडियों में करीब 97 प्रतिशत उपज एफएक्यू (निर्धारित मानक) की रहती है। फिर भी गुणवत्ता के नाम पर इसके कम भाव दिए जाते हैं। नियम के पालन में व्यवहारिक दिक्कत बताते हुए मंडी समितियां और सरकार चुप रहती है।
और इधर, रोज समर्थन मूल्य से कम पर बिक रहा मूंग
एक ओर भाकिसं सरकार से समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीदी शुरू करने की मांग कर रहा है। दूसरी ओर मंडियों में रोज बड़ी मात्रा में यह उपज समर्थन मूल्य से कम दाम पर बिक रही है। मंगलवार को स्थानीय मंडी में अनुमानित 4053 बोरा मूंग की आवक रही। इसके भाव समर्थन मूल्य 7050 से खासे कम 3050 से 6670 रुपए प्रति क्विंटल के बीच रहे। मंडी में गेहूं १५१५ से १७९५, चना ३७०० से ४३०१, सोयाबीन २९०० से ३७२०, उड़द ६०० से २४९०, मक्का ९०० से ११५९ व सरसों ३९०० से ४४८१ रुपए प्रति क्विंटल रहे। वहीं अनुमानित आवक 6863 बोरा रही।
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