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रेल की पटरियां उखाड़ी, टेलीफोन लाइन काटकर अंग्रेजों की व्यवस्था ठप कर दी थी

locationहरदाPublished: Aug 06, 2022 01:35:37 pm

Submitted by:

Manish Gite

freedom fighters- स्वतंत्रता सेनानी लक्ष्मीनारायण अग्रवाल ने नर्मदापुरम और जबलपुर जेल में काटी थी सजा…।

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हरदा। स्वतंत्रता संग्राम में हरदा के लोगों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। आंदोलनकारियों ने अंग्रेजों की नींद उड़ा दी थी। आजादी के परवानों ने रेल की पटरियों को उखाड़ दिया था। टेलीफोन लाइन काटकर अंग्रेजों की व्यवस्था को ही ठप कर दिया था। उस दौरान आंदोलन का नेतृत्व करने वालों में से एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लक्ष्मीनारायण पिता अनोखीलाल अग्रवाल भी थे।

 

 

वे अपने 130 स्वतंत्रता संग्राम साथियों के साथ मिलकर शहर में विदेशी कपड़ों की होली जलाते थे और खादी को अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित करते थे। साथ ही अंग्रेजी हुकूमत की दमनकारी नीतियों के विरोध में शहर के तत्कालीन डाकघर परिसर में अनशन करते थे। स्वतंत्रता सेनानी लक्ष्मीनारायण के पुत्र संजय अग्रवाल ने बताया कि उनके पिता उन्हें आंदोलन के किस्से सुनाया करते थे। सन् 1942 में महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया। इस आंदोलन में सेनानी अग्रवाल एवं शहर के अन्य क्रांतिकारी कूद गए थे। इसके बाद उन्होंने आंदोलन को तेज करते हुए सरकारी इमारतों में आग लगाना, रेल की पटरियों को उखाड़ना और टेलीफोन लाइन के तारों को काटा था, ताकि अंग्रेजों के आवागमन एवं टेलीफोन पर बातचीत करने की व्यवस्था ठप हो सके। साथ ही उन्होंने शहर में लोगों को देश की आजादी के लिए जगाना शुरू किया था। देखते ही देखते पूरा शहर गांधीजी के करो या मरो के नारे को सार्थक करने में जुट गया था।

(- जैसा की स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के पुत्र संजय ने बताया।)

सेनानी के पुत्र संजय ने बताया कि उनके पिता व उनके साथी अंग्रेजों के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहे थे। इसी दौरान अंग्रेजों ने अगस्त माह के प्रथम सप्ताह में उन्हें पकड़ लिया था। जिन्हें भारतीय सुरक्षा अधिनियम की धारा 26 के तहत होशंगाबाद (वर्तमान नर्मदापुरम) जेल में भेज दिया था। कुछ दिनों तक उन्हें यहां पर यातनाएं देते हुए कठोर कारावास में रखा था। इसके बाद 24 अगस्त 1942 को सेनानी अग्रवाल को जबलपुर जेल भेजा दिया था। इस दौरान वे जेल में करीब 22 दिन तक रहे थे। फिर 14 सितंबर 1942 को उन्हें जेल से रिहा किया गया था। किंतु इसके बाद भी वह देश की आजादी के लिए निरंतर प्रदर्शन करते रहे। सेनानी अग्रवाल एवं हरदा जिले के लगभग 130 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के योगदान से हमारा देश अंग्रेजों से सन 1947 में आजाद हुआ था।

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