scriptगांवों से ही सब्जी व दूध बेचने का किया आग्रह | kisan andolan news | Patrika News

गांवों से ही सब्जी व दूध बेचने का किया आग्रह

locationहरदाPublished: May 28, 2018 02:24:45 pm

Submitted by:

pradeep sahu

गांव बंद आंदोलन को लेकर तैयारी

kisan andolan news

kisan andolan news

हरदा. शहरों में दूध, फल, सब्जी सहित अन्य कृषि उत्पादों की सप्लाई ठप करने के लिए 1 से 10 जून तक घोषित देशव्यापी गांव बंद आंदोलन को लेकर आम किसान यूनियन ने रविवार को गंजाल नदी के किनारे के गांवों का दौरा किया। इस दौरान यहां के सब्जी उत्पादक किसानों से संपर्क किया गया। संगठन के राम इनानिया ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल ने छिदगांव मेल, बघवाड़, रायबोर, बिच्छापुर, नयागांव, गोदड़ी, काथड़ी, गाडरापुरा आदि गांवों में चौपाल लगाकर किसानों से दूध व सब्जी की आपूर्ति रोककर आंदोलन का समर्थन करने का आग्रह किया गया। किसानों ने भरोसा दिलाया कि वे शहरों में सब्जी व दूध बेचने लेकर नहीं जाएंगे। इनानिया के मुताबिक चना की खरीदी समर्थन मूल्य पर शासन द्वारा की जा रही है। अत: इसे आंदोलन से मुक्त रखा गया है। किसान केंद्रों पर चना बेचने जाएंगे। किसान अन्य कोई भी उपज मंडी में बेचने नहीं जाएंगे।
15 सालों में जो मिला उसे भूले किसान : भाकिसं
इधर, भारतीय किसान संघ की ओर से गांव बंद आंदोलन पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा गया है कि प्रदेश में किसानों का स्वर्णिम युग अंत की ओर जाता दिख रहा है। संघ के जिला मंत्री भगवानदास गौर की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि किसानों को 15 साल में जो मिला वे उसे अब भूल रहे हैं। खेती के लिए 10 घंटे बिजली, शून्य प्रतिशत ब्याज पर कृषि ऋण, खाद खरीदी पर 10 प्रतिशत सरकार द्वारा भुगतान, शहर, गांव व खेतों तक पक्की सड़कें सहित अन्य कई सौगातें सरकार द्वारा दी गईं। इसके बावजूद मुख्यमंत्री व सरकार को दोषी ठहराना कहां तक उचित लगता है।
आजादी के ७० साल बाद पहुंची बिजली
टिमरनी. विकासखंड के खेड़ीटप्पर के 10 परिवारों को आजादी के 70 साल बाद बिजली नसीब हुई है। इन ंपरिवारों को प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना के तहत ट्रांसफार्मर, मीटर एवं बल्व लगाकर बिजली शुरू की गई। इससे ग्रामीणों खुश है। वर्षों से रात के अंधेरे में डूबे रहने वाला गांव अब रात में बिजली की रोशनी में चमक रहा है। यह आदिवासी परिवार नौसर एवं पुरा गांव के बीच स्थित खेड़ी टप्पर पर शासकीय भूमि पर रहते हैं। कुछ सालों पहले आदिवासी परिवारों के लिए हैंडपंप लगाया गया था। इससे पहले वे झिरी का पानी पीते थे। ग्रामीण सुखराम ने बताया कि पहले अंधेरा रहने से रतजगा कर सुरक्षा करनी पड़ती थी। चिमनी की रोशनी में ही खाना पकाना पड़ता था। इस संबंध में बिजली कंपनी के जेई बिहारीसिंह ने बताया कि सौभाग्य योजना के अंतर्गत बिजली सप्लाई शुरू कर दी गई है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो