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खरीदी के दौरान रकबा कम किया, अब प्रोत्साहन राशि में भी कटौती का डंडा चला

locationहरदाPublished: Oct 09, 2018 11:59:15 pm

Submitted by:

sanjeev dubey

– किसानों को 5 के बजाए 3 एकड़ रकबे की उपज का ही भुगतान

Less harvested during the purchase of the crop

खरीदी के दौरान रकबा कम किया, अब प्रोत्साहन राशि में भी कटौती का डंडा चला

हरदा. किसानों से खरीदी गई ग्रीष्मकालीन मूंग की प्रोत्साहन राशि में कटौती का डंडा चला है। खरीदी के पहले जांच के दौरान पंजीकृत रकबा कम किया गया। अब उन्हें भुगतान की जा रही प्रोत्साहन राशि भी कम आ रही है। वहीं बड़ी संख्या में ऐसे किसान हैं जिनका भुगतान ही नहीं हो सका।
ज्ञात हो कि समर्थन मूल्य पर चना तथा मूंग बेचने वाले किसानों को उपज बेचने के चार महीने बीतने के बावजूद बोनस की राशि नहीं मिल सकी थी। शासन के निर्देश पर जिले में रबी सीजन का चना व ग्रीष्मकालीन मूंग, सरसों व मसूर की खरीदी समर्थन मूल्य पर की गई थी। सरकार ने चना, मसूर व सरसों पर 100-100 रुपए प्रति क्विंटल तथा मूंग पर ८०० रुपए प्रति क्विंटल बोनस राशि देने की घोषणा की थी। कृषि विभाग ने इसकी गणना कर शासन से राशि की मांग की थी। विभाग ने शासन से 21 करोड़ रुपए मांगे थे। विभाग ने मसूर बेचने वाले १४ किसानों लिए १८५०० रुपए, सरसों बेचने वाले ३७ किसानों के लिए ७४७६७ रुपए तथा चना बेचने वाले १९१७० किसानों के लिए करीब ८ करोड़ ३८ लाख रुपए की डिमांड की थी। वहीं मूंग बेचने वाले ८४२२ किसानों के लिए करीब १३ करोड़ रुपए मांगे गए थे।
72 हजार मिलना थे 66 हजार आए
ऐड़ाबेड़ा के किसान पंकज पिता कोमलराम विश्नोई ने बताया कि उसने पिताजी के पंजीयन पर 45 क्विंटल तथा उसके पंजीयन पर 55 क्विंटल मूंग तुलना था। उन्होंने दोनों पंजीयन पर 90 क्विंटल मूंग तुलाए थे। इसके 72 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि आना था। लेकिन पिताजी के खाते में 30 और उनके खाते में 36 हजार रुपए ही आए हैं। रातातलाई के किसान रेवाराम डूडी के मुताबिक उन्होंने अपने नाम के 3.30 एकड़ रकबे तथा पूनम चंद्र डूडी के नाम पर 2.86 एकड़ का पंजीयन कराया था। रेवाराम के नाम पर 13 क्विंटल मूंग तुलाया था। इसमें से 10 क्विंटल 40 किलो की प्रोत्साहन राशि ही मिली। वहीं दूसरे नाम से 8 क्विंटल में से 7 की ही प्रोत्साहन राशि मिली। इसी तरह छोटी हरदा के कृष्णकांत पिता कैलाश पटेल ने बताया कि उन्होंने पांच हेक्टेयर का पंजीयन कराया था। मूंग वेयरहाउस में रखे थे। जांच टीम आई तब सोयाबीन की बुवाई चल रही थी। टीम से कहा था वेयरहाउस में उपज का मिलान कर लें, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। उनका पंजीयन कम कर एक हेक्टेयर किया गया। उन्होंने मंडी में मूंग ज्यादा बेचा इसकी रसीद भी है। इसके बावजूद प्रोत्साहन राशि कम मिली।
खाते में राशि ही नहीं आई
इधर, टेमागांव के मनोज पिता रमेश सिंहल ने बताया कि उन्होंने मूंग २७ क्विंटल ३० किलो तथा १२६ क्विंटल ५० किलो बेचा था। दोनों ही उपज की प्रोत्साहन राशि नहीं मिली है। आम किसान यूनियन के राम इनानिया व संजय खेरवा ने बताया कि जिले के कई किसान ऐसे हैं जिनका पंजीयन रकबा तो कम किया ही गया, प्रोत्साहन राशि देने के दौरान भी कटौती की जा रही है।
आठ लाख क्विंटल हुई थी चना की खरीदी
सहकारी समितियों द्वारा इस वर्ष जिले के 14 केंद्रों पर 10 जून तक चना खरीदा था। इस दौरान 19170 किसानों ने 8 02512.8 8 क्विंटल चने की खरीदी की गई थी। इसी तरह 747 क्विंटल चना व 185 क्विंटल मसूर खरीदा गया था।
इधर, डीएपी के रेट में दो सौ रुपए का इजाफा
एक ओर सरकार समर्थन मूल्य पर देरी से खरीदी करती है और भुगतान में भी महीनों लग रहे हैं, दूसरी ओर बुवाई में उपयोगी डीएपी के रेट बढ़ाकर किसानों की आर्थिक परेशानी और बढ़ा रही है। आम किसान यूनियन के राम इनानिया के मुताबिक डीएपी का भाव 1200 रुपए प्रति बोरी से बढ़कर 1400 रुपए बोरी हो गया है। पिछले साल सोसायटी में 1170 तथा बाजार में इसके भाव 115० रुपए थे। इस बार सोसायटी में 1400 तथा बाजार में 1380 रुपए प्रति बोरी मिल रही है। सरकार किसान हित की बात तो करती है, लेकिन वास्तविक रूप में उन्हें लाभ नहीं मिल रहा।
183500 हेक्टेयर रकबे में होगी रबी की बोवनी
– 145000 हेक्टेयर में गेहूं
– 35000 हेक्टेयर में चना
– 3500 हेक्टेर में मक्का सहित अन्य फसल

इनका कहना है
प्रोत्साहन राशि कम मिलने की शिकायतें मिली हैं। इनकी संख्या कितनी है यह फिलहाल नहीं बताया जा सकता। गेहूं बिक्री के दौरान भी ९९ शिकायत आई थीं। परीक्षण के बाद उनका निराकरण किया गया। इनका भी पंजीयन अनुसार गणना कर किसानों को भुगतान कराया जाएगा।
– डीएस वर्मा, सहायक संचालक कृषि
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