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पुल नहीं होने जान जोखिम में डालकर नदी पार करते है ग्रामीण

locationहरदाPublished: Jul 19, 2018 11:41:05 pm

Submitted by:

sanjeev dubey

नदी के दोनों छोर पर कच्ची सड़क में फंसते है वाहन, जिम्मेदार अधिकारी व जनप्रतिनिधि नहीं दे रहे ध्यान

Life is at risk by crossing the river

पुल नहीं होने जान जोखिम में डालकर नदी पार करते है ग्रामीण

खिरकिया. गांवों को एक दूसरे से जोडऩे वाले मार्गो की दयनीय स्थिति होने से ग्रामीणों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मार्गों पर पडऩे वाले नदी नालों पर पुल पुलियाओं का भी अभाव है। वर्तमान में बारिश के चलते परेशानियां खासी बढ़ गई है। ऐसे में ग्रामीणों को या तो कई किमी का फेरा लगाना पड़ता है, या फिर जान जोखिम में डालकर नदी नालों को पार करना पड़ता है। कुछ ऐसी ही स्थिति ग्राम सांगवा में स्थित पामड़ी नदी की भी बनी हुई है। जहां पर नदी के दोनों ओर आवागमन के लिए मार्ग का निर्माण है, लेकिन नदी को पार करने के लिए पुल नहीं है। जिसके चलते ग्रामीणों के वाहनों का आवागमन तो दूर पैदल निकलना भी दूभर हो रहा है। आवागमन के दौरान मार्ग पर दोनों ओर मिट्टी होने के कारण वाहन फंस रहे है। इससे कई गांवों का आवागमन प्रभावित हो रहा है।
दोनों ओर मार्ग का निर्माण, लेकिन नदी पर नहीं है पुल –
नदी पर पुल ना होने से आए दिन ग्रामीणों को परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। खिरकिया आंवलिया मार्ग से चारुवा के समीप से अंजरूद माल सड़क बनाई गई है। जो सांगवा नदी पर जाकर समाप्त होती है। वहीं नदी के उस पार भी प्रधानमंत्री सड़क उपलब्ध है। जो आगे के गांवों को जोड़ती है, लेकिन नदी पर पुल का निर्माण नहीं होने से ग्रामीणों को मुश्किले बढ़ जाती है। खासकर बारिश के दिनों में जब नदी उफान पर होती है तो मार्ग पूरी तरह बाधित हो जाता है। विभाग द्वारा मार्ग का निर्माण तो किया गया है, लेकिन नदी को पार करने के लिए पुल या रपटे का निर्माण नहीं किया है।
जान जोखिम में डालकर करते है नदी पार –
नदी में पानी होने पर यह सीधा मार्ग बंद हो जाता है। नदी में कम पानी होने की स्थिति में अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार करनी होती है। जिसमें बुजुर्ग महिलाएं एवं बच्चे भी शामिल होते हैं। सांगवा के निवासियों की जमीन भी नदी के उस पार होने से उन्हें भी अपने खेतों तक पहुंचने एवं फसलों को परिवहन करने में काफी कठिनाइयां होती है। वर्तमान में नदी के किनारे मार्गो पर मिट्टी जमा हो गई है। जिससे वाहन फंस रहे है। जिन्हें टे्रक्टर ट्रालियों से खिंचवाया जाता है। पुल के निर्माण को लेकर कोई भी जिम्मेदार जनप्रतिनिधि ध्यान नहीं दे रहे है।
50 आदिवासी गांवों को जोड़ता है मार्ग –
खिरकिया आंवलिया मार्ग से चारूवा होते हुए यह मार्ग कई ५० से अधिक आदिवासी गांवों को जोडता है। घुंघराघाट, सावलखेड़ा, कुकड़ापानी, अंजरुद समेत दर्जनों आदिवासी अंचल के ग्रामों को मुख्य मार्ग से जोड़ती है। नदी में पानी बढऩे पर ग्रामीणो को कड़ोला सारसूद से लगभग 8 किलोमीटर का फेर लगाते हुए चारूवा आना पड़ता है। जिससे उनका समय व धन दोनों ही बर्बाद होता है। ग्रामीणों द्वारा इसकी कई बार मांग भी की जा चुकी है। जपं सदस्य दशरथ पटेल ने बताया कि इस संबंध में विधायक डा. आरके दोगने को पांच गांवों के ग्रामीणों ने हलफनामे देकर अवगत भी कराया था। जिस पर उन्होंने विधानसभा में प्रश्न भी उठाया था, बावजूद इसके पुल का निर्माण नहीं हुआ है। पुल के निर्माण के लिए पूर्व राजस्व मंत्री कमल पटेल व सांसद ज्योति धुर्वे को भी अवगत कराया जा चुका है।
इनका कहना है-
नदी पर पुल निर्माण के लिए भौतिक सत्यापन कराया जाएगा। नियमानुसार शासन को पत्र लिखकर अवगत कराया जाएगा।
वीपी यादव, एसडीएम, खिरकिया

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