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जिले में ग्रीष्मकालीन मूंग का रकबा तीन गुना बढऩे का अनुमान

locationहरदाPublished: Feb 23, 2020 11:05:33 pm

Submitted by:

sanjeev dubey

नहर से भी ज्यादा रकबे में होगी सिंचाई, किसानों को मूंग के लिए 25 मार्च से दिया जा सकता है नहर का पानी

 Moong acreage increased threefold

patrika News

हरदा. बीते वर्षाकाल के दौरान जिले में सामान्य से ज्यादा बारिश होने से इस वर्ष ग्रीष्मकालीन मूंग फसल का रकबा तीन गुना बढऩे का अनुमान है। प्राकृतिक जलस्रोतों में सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी होने को इसका कारण बताया जा रहा है। वहीं रबी सीजन की सिंचाई का कार्य निपटने के बाद तवा बांध में भी पानी होने से किसानों को नहर का पानी भी ज्यादा रकबे में मिल सकता है।
उल्लेखनीय है कि जिले में बीते ग्रीष्मकाल में 13500 हेक्टेयर रकबे में ही मूंग की बुवाई हो सकी थी। अब तक तक अधिकतम रकबे 52500 हेक्टेयर के मुकाबले यह आंकड़ा बहुत कम रहा था। नहर का पानी नहीं मिलने और प्राकृतिक जलस्रोतों के दम तोडऩे को इसका कारण माना गया था। लेकिन इस बार स्थिति एकदम उलट है। तवा बांध में भी पानी भरा है और प्राकृतिक जलस्रोत भी इन दिनों में पहले से बेहतर स्थिति में हैं। इसके चलते बड़ी संख्या में किसान ग्रीष्मकालीन मूंग की बुवाई कर सकते हैं। कृषि विभाग का अनुमान है कि इस साल 39 हजार 500 हेक्टेयर रकबे में ग्रीष्मकालीन मूंग की बुवाई हो सकती है। नहर का पानी ज्यादा क्षेत्र तक पहुंचने पर यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।
१६४०० के बजाए २५ हजार हेक्टेयर में मिल सकता है नहर का पानी
पिछले दिनों हुई जिला जल उपयोगिता समिति की बैठक में जल संसाधन विभाग की ओर से कहा गया था कि जिले के १६४०० हेक्टेयर में ही नहर का पानी मिल सकेगा। विभागीय योजना में हंडिया ब्रांच केनाल (एचबीसी) का ८४०० तथा लेफ्ट ब्रांच केनाल का ८००० हेक्टेयर रकबा शामिल किया गया था। किसानों ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि बांध में पर्याप्त पानी है। लिहाजा डिस्ट्रीब्यूटरीज की लाइनिंग का कार्य रोककर किसानों को मूंग के लिए नहर से पानी दिया जाए। तब किसानों ने यह भी कहा था कि होशंगाबाद जिले के किसानों को अधिक मात्रा में नहर का पानी दिया जाता है। यह भेदभाव खत्म कर दोनों जिलों को बराबर पानी दिया जाए। विभागीय सूत्रों के मुताबिक अधिकारियों ने किसानों की मांग शासन स्तर तक पहुंचाई। इस पर वरिष्ठ अधिकारियों ने भी रजामंदी देते हुए हरदा जिले को ज्यादा पानी देने की बात कही है। यानि २५००० हेक्टेयर की फसल के लिए नहर का पानी मिल सकता है। विभाग ने इसके प्रस्ताव तैयार कर भेज दिए हैं। इसमें से १२५०० हेक्टेयर रकबा एचबीसी तथा इतना ही एलबीसी की कमांड का रहेगा। हालांकि अंतिम निर्णय कमिश्नर की मौजूदगी वाली संभागीय जल उपयोगिता समिति की बैठक में ही होगा। बैठक में यह भी तय होगा कि मूंग फसल के लिए मुख्य नहर में कब से पानी छोड़ा जाएगा।
चेन क्रमांक ३००८ पर मिले ३००८ क्यूसेक पानी
जल उपभोक्ता संथा बाजनिया के निवृत्तमान अध्यक्ष दीपचंद नवाद व जल उपभोक्ता संथा रिजगांव के निवृत्तमान अध्यक्ष दिनेश लेगा के मुताबिक रबी सीजन की सिंचाई निपटने के बाद तवा बांध में पर्याप्त पानी बचेगा। लिहाजा जहां से जिले को पानी दिया जाता है उस चेन क्रमांक ३००८ (उंद्राकच्छ) पर २२५० क्यूसेक पानी दिया जाए। इससे अधिक संख्या में किसान मूंग की बुवाई कर सकेंगे। नवाद के मुताबिक पिछले साल अच्छी बारिश होने से किसानों को कई साल बाद तीसरी फसल लेने का मौका मिला है। विभाग नहरों की लाइनिंग का काम रोककर मूंग की सिंचाई के लिए पानी दे।
हरदा संभाग में ६०, टिमरनी में ३२ प्रतिशत हुई लाइनिंग
ज्ञात हो कि विभाग ने हरदा संभाग की सोनतलाई, माचक व रेवापुर डिस्ट्रीब्यूटरी में लाइनिंग का कार्य शुरू कराया है। करीब 42 करोड़ की लागत से होने वाले काम में से 19 करोड़ का काम हो चुका है। कार्य पूर्णता का प्रतिशत 6 0 बताया जा रहा है। वहीं टिमरनी संभाग की हरदा, रुंदलई और अजनई डिस्ट्रीब्यूटरी में 2६ करोड़ ८१ लाख की लागत से लाइनिंग हो रही है। इसमें से ८ करोड़ ६७ लाख का काम हो चुका है। यहां कार्य पूर्णता का प्रतिशत ३२ बताया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक ग्रीष्मकालीन मूंग के लिए नहर का पानी देने की योजना इस अनुसार तैयार होगी कि यहां लाइनिंग का कार्य प्रभावित न हो। इधर, रबी सीजन की सिंचाई का काम लगभग पूर्ण होने से दोनों मुख्य नहरों में पानी कम किया जा रहा है।
इनका कहना है
किसानों की मांग ज्यादा रकबे में नहर का पानी देने की है। इससे वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है। संभागीय बैठक में अंतिम निर्णय होगा कि जिले को कितना पानी मिलेगा।
– अमरदीप कंसोरिया, कार्यपालन यंत्री, हरदा संभाग

संभाग की तीनों डिस्ट्रीब्यूटरीज में लाइनिंग का कार्य रुके बगैर मूंग की सिंचाई के लिए पानी देने की योजना बनाई जा रही है। ज्यादा रकबे में नहर का पानी मिले, इसके प्रयास किए जा रहे हैं।
– एफके भिमटे, कार्यपालन यंत्री, टिमरनी संभाग

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