समर्थन मूल्य से कम भाव पर बिक रही मंूग-
मंडी में समर्थन मूल्य से कम पर भाव पर मूंग की खरीदी की जा रही है, जिसकी किसी के द्वारा भी सुध नहीं ली जा रही है। शासन द्वारा तय समर्थन मूल्य एवं मंडी में की जा रही खरीदी के मूल्यों मे बड़ा अंतर है। शासन द्वारा मूंग का समर्थन मूल्य 5575 रुपए तय किया गया है। जबकि मंडी में मूंग 3500 से 3700 रुपए प्रति क्विंटल ही बिक रही है। जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। शासन द्वारा गत वर्ष तो गर्मी में मूंग की खरीदी की गई थी, लेकिन इस वर्ष खरीदी को लेकर अभी तक कोई सूचना नहीं है।
मंडी में समर्थन मूल्य से कम पर भाव पर मूंग की खरीदी की जा रही है, जिसकी किसी के द्वारा भी सुध नहीं ली जा रही है। शासन द्वारा तय समर्थन मूल्य एवं मंडी में की जा रही खरीदी के मूल्यों मे बड़ा अंतर है। शासन द्वारा मूंग का समर्थन मूल्य 5575 रुपए तय किया गया है। जबकि मंडी में मूंग 3500 से 3700 रुपए प्रति क्विंटल ही बिक रही है। जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। शासन द्वारा गत वर्ष तो गर्मी में मूंग की खरीदी की गई थी, लेकिन इस वर्ष खरीदी को लेकर अभी तक कोई सूचना नहीं है।
किसानों को हो रहा आर्थिक नुकसान-
मंड़ी में मूंग की उपज बेचने पर किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है। कृषक गयाप्रसाद खोरे, नीलेश राठौर, आशीष वर्मा, वसीम खान सहित अन्य ने बताया कि अगर किसानों को समय रहते समर्थन मूल्य पर खरीदी की सूचना दे दी जाए, तो किसान अपनी उपज रोककर हो रहे नुकसान से बच सकते है। गतवर्ष जहां किसानों को समर्थन मूल्य से 1500 रुपए क्विंटल कम पर भाव पर अपनी उपज बेचना पड़ा था, वही इस वर्ष भी यही स्थिति है। किसानों ने बताया कि 1 ट्राली मूंग बेचने पर करीब 50 हजार रुपए का नुकसान उठाना पड़़ रहा है।
मंड़ी में मूंग की उपज बेचने पर किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है। कृषक गयाप्रसाद खोरे, नीलेश राठौर, आशीष वर्मा, वसीम खान सहित अन्य ने बताया कि अगर किसानों को समय रहते समर्थन मूल्य पर खरीदी की सूचना दे दी जाए, तो किसान अपनी उपज रोककर हो रहे नुकसान से बच सकते है। गतवर्ष जहां किसानों को समर्थन मूल्य से 1500 रुपए क्विंटल कम पर भाव पर अपनी उपज बेचना पड़ा था, वही इस वर्ष भी यही स्थिति है। किसानों ने बताया कि 1 ट्राली मूंग बेचने पर करीब 50 हजार रुपए का नुकसान उठाना पड़़ रहा है।
दो माह में 30 हजार क्विंटल की आवक –
स्थानीय कृषि उपज मंडी में मूंग की आवक बड़ी मात्र मेें होती है। इसलिए इसे मूंग की मंडी भी कहा जाता है। ग्रीष्मकालीन मूंग की कटाई के बाद आवक तेज हो गई है, किसानों द्वारा पुराना मूंग भी बेचने के लिए लाया जा रहा है। रबी के महज दो माह में अप्रैल एवं मई माह में अब तक 30 हजार क्विंटल उपज की आवक हो चुकी है। शासन व विभाग द्वारा समर्थन मूल्य की तिथि एवं समर्थन मूल्य की खरीदी को लेकर स्पष्ट जानकारी नहीं दिए जाने से किसानों में नाराजगी भी है।
स्थानीय कृषि उपज मंडी में मूंग की आवक बड़ी मात्र मेें होती है। इसलिए इसे मूंग की मंडी भी कहा जाता है। ग्रीष्मकालीन मूंग की कटाई के बाद आवक तेज हो गई है, किसानों द्वारा पुराना मूंग भी बेचने के लिए लाया जा रहा है। रबी के महज दो माह में अप्रैल एवं मई माह में अब तक 30 हजार क्विंटल उपज की आवक हो चुकी है। शासन व विभाग द्वारा समर्थन मूल्य की तिथि एवं समर्थन मूल्य की खरीदी को लेकर स्पष्ट जानकारी नहीं दिए जाने से किसानों में नाराजगी भी है।
मूल्य तय, लेकिन खरीदी नही-
शासन द्वारा समर्थन मूल्य पर मूंग की उपज के लिए मूल्य तय कर दिए है, लेकिन इसकी खरीदी तय नहीं है। इसको लेकर किसानों में संशय की स्थिति ही बनी हुई है कि इस वर्ष खरीदी होगी या नहीं। शासन द्वारा समर्थन मूल्य पर 5575 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से मूंग की खरीदी की जाना है, लेकिन फिलहाल खरीदी को लेकर कोई तिथि तय नहीं है।
शासन द्वारा समर्थन मूल्य पर मूंग की उपज के लिए मूल्य तय कर दिए है, लेकिन इसकी खरीदी तय नहीं है। इसको लेकर किसानों में संशय की स्थिति ही बनी हुई है कि इस वर्ष खरीदी होगी या नहीं। शासन द्वारा समर्थन मूल्य पर 5575 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से मूंग की खरीदी की जाना है, लेकिन फिलहाल खरीदी को लेकर कोई तिथि तय नहीं है।
इनका कहना है-
गत वर्ष समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीदी की गई थी। इस वर्ष फिलहाल खरीदी के लिए कोई आदेश नही है। मूंग का समर्थन मूल्य तय है।
केसी सारन, नोडल अधिकारी, हरदा
गत वर्ष समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीदी की गई थी। इस वर्ष फिलहाल खरीदी के लिए कोई आदेश नही है। मूंग का समर्थन मूल्य तय है।
केसी सारन, नोडल अधिकारी, हरदा