इस तरह हुआ था शहर का सर्वे
शहर की संपत्तियों का नप ने एक निजी एजेंसी से सर्वे कराया था। सर्वे एक एप और सेटेलाइट इमेज के माध्यम से किया था। संपत्ति के मालिक को खड़ा कर इमेज ली गई थी। इससे एप में पूरी जानकारी दर्ज हो गई कि संबंधित मकान कच्चा, पक्का, कितनी मंजिल और कितने वर्ग फीट में बना है। यदि छत पर टॉवर लगा है तो सर्वे में यह भी दर्ज हुआ था।
शहर की संपत्तियों का नप ने एक निजी एजेंसी से सर्वे कराया था। सर्वे एक एप और सेटेलाइट इमेज के माध्यम से किया था। संपत्ति के मालिक को खड़ा कर इमेज ली गई थी। इससे एप में पूरी जानकारी दर्ज हो गई कि संबंधित मकान कच्चा, पक्का, कितनी मंजिल और कितने वर्ग फीट में बना है। यदि छत पर टॉवर लगा है तो सर्वे में यह भी दर्ज हुआ था।
दस्तावेजों की पूर्ति में नप नहीं दिखा रही रुचि
नई संपत्तियां जीआइएस सर्वे में सामने आने के बाद नगर परिषद ने अभी तक दस्तावेजों की पूर्ति करने में रुचि नहीं दिखाई है। जीआइएस सर्वे में जो 1400 नई संपत्तियां सामने आई। उनके मालिकों से नगर परिषद अभी तक दस्तावेज ही नहीं ले सकी है। साथ ही मौके पर पहुंचकर नप की टीम ने संपत्ति का सत्यापन भी नहीं किया है। ऐसे में संपत्ति का उपयोग करने के बाद भी नगर परिषद की टैक्स वसूली रुकी हुई है।
नई संपत्तियां जीआइएस सर्वे में सामने आने के बाद नगर परिषद ने अभी तक दस्तावेजों की पूर्ति करने में रुचि नहीं दिखाई है। जीआइएस सर्वे में जो 1400 नई संपत्तियां सामने आई। उनके मालिकों से नगर परिषद अभी तक दस्तावेज ही नहीं ले सकी है। साथ ही मौके पर पहुंचकर नप की टीम ने संपत्ति का सत्यापन भी नहीं किया है। ऐसे में संपत्ति का उपयोग करने के बाद भी नगर परिषद की टैक्स वसूली रुकी हुई है।
नप पुराने रिकॉर्ड से वसूल रही टैक्स
नगर परिषद द्वारा शहरी क्षेत्र में अभी सिर्फ 4600 संपत्तियों पर ही टैक्स की वसूली की जा रही है। नगर परिषद द्वारा संपत्तिकर, समेकित कर, शिक्षा उपकर, नगरीय विकास, उपकर, जल कर की वसूली नागरिकों से की जाती है। इसमें समेकित कर 120 रुपए सालाना और जल कर 50 रुपए मासिक लिया जाता है। वहीं दूसरे टैक्स नागरिकों की संपत्ति के आकार के हिसाब से तय होकर वसूल किए जाते हैं।
नगर परिषद द्वारा शहरी क्षेत्र में अभी सिर्फ 4600 संपत्तियों पर ही टैक्स की वसूली की जा रही है। नगर परिषद द्वारा संपत्तिकर, समेकित कर, शिक्षा उपकर, नगरीय विकास, उपकर, जल कर की वसूली नागरिकों से की जाती है। इसमें समेकित कर 120 रुपए सालाना और जल कर 50 रुपए मासिक लिया जाता है। वहीं दूसरे टैक्स नागरिकों की संपत्ति के आकार के हिसाब से तय होकर वसूल किए जाते हैं।