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जल उपभोक्ता संथाओं के अधिकार समाप्त, नहरों के रखरखाव की आधी राशि भी अटकी

locationहरदाPublished: Jan 17, 2020 11:08:07 pm

Submitted by:

rakesh malviya

नई संथाओं के गठन को लेकर फिलहाल कोई निर्देश नहीं, बकाया भुगतान को लेकर भी वित्त विभाग का मुंह ताका जा रहा जल संसाधन विभाग

जल उपभोक्ता संथाओं के अधिकार समाप्त, नहरों के रखरखाव की आधी राशि भी अटकी

जल उपभोक्ता संथाओं के अधिकार समाप्त, नहरों के रखरखाव की आधी राशि भी अटकी

हरदा। राज्य सरकार ने प्रदेश की 18 58 जल उपभोक्ता संथाओं के प्रशासकीय व वित्तीय अधिकार समाप्त कर दिए है। इनका कार्यकाल बीते साल 3 जुलाई को ही समाप्त हो चुका था। छह महीने का कार्यकाल और बढ़ाने के बाद यह अवधि भी 3 जनवरी को पूर्ण हो गई। इसके बाद सहभागिता सिंचाई प्रबंधन, जल संसाधन विभाग के संचालक द्वारा यह आदेश जारी किए गए हैं। नए आदेश पर अमल होने से जिले के हरदा संभाग (लेफ्ट ब्रांच केनाल) की 29 में से 22 (इमलीढाना तथा जामन्या जलाशय की एक शामिल) तथा टिमरनी संभाग (हंडिया ब्रांच केनाल) की सभी 28 संथाएं निष्प्रभावी हो गई हैं। हरदा संभाग में माचक उपनहर की छह तथा आमाखाल जलाशय की एक संथा का कार्यकाल इस वर्ष मार्च तक होने से इनके प्रशासिनक व वित्तीय अधिकार यथावत रहेंगे। बहरहाल सरकार के इस निर्णय से संथाओं की आर्थिक परेशानी और बढ़ सकती है। क्योंकि नहर संचालन के पूर्व संथाओं को रखरखाव के लिए मिलने वाली आधी राशि अभी अटकी है। हर साल इस राशि की पहली किश्त जून-जुलाई और दूसरी किश्त नहर संचालन के पूर्व यानि अक्टूबर-नवंबर में मिल जाती थी। लेकिन इस वर्ष ऐसा नहीं हो सका। जिले के हरदा व टिमरनी संभाग की 57 जल उपभोक्ता संथाओं को ९०७०१ हेक्टेयर रकबे में सिंचाई के हिसाब से पहली किस्त के रूप में फिलहाल ७२ लाख ५९ हजार रुपए का ही भुगतान हुआ है। लगभग इतनी ही राशि उन्हें और मिलना है। इधर, जल संसाधन विभाग के कार्यालय में आए दिन पहुंच रहे संथा अध्यक्ष जब राशि की मांग करते हैं तो जिले के अधिकारियों के पास ठोस जवाब ही नहीं रहता था। वे शासन से राशि नहीं मिलने की बात कहते रहे। संथा अध्यक्षों का कहना है कि वे अपनी जेब से राशि खर्च कर काम करा चुके हैं। कइयों ने उधारी में मशीनों से काम कराया। अब इस राशि को चुकाने का दबाव बन रहा है। उन्होंने नहरों के रखरखाव के कार्य का भुगतान तो जैसे-तैसे कर दिया, लेकिन गेटों पर तैनात किए गए चौकीदारों को समय पर राशि नहीं दे पा रहे। इससे उनके परिवार के भरण पोषण की समस्या है। वे काम छोड़ देंगे तो नहर संचालन बाधित होगा।
फिलहाल 20 प्रतिशत राशि और जारी होगी
अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक शासन द्वारा संथाओं को दी जाने वाली बकाया 50 प्रतिशत राशि में से फिलहाल 20 प्रतिशत ही दिया जाएगा। सरकार का खजाना खाली होने को इसके पीछे का कारण बताया जा रहा है। संथाओं के प्रशासनिक व वित्तीय अधिकार समाप्त होने के कारण इस राशि का भुगतान कैसे होगा, अभी यह तय नहीं है। विभाग के अधिकारी शासन से मिलने वाले नए निर्देशों की राह ताक रहे हैं।
14328 हेक्टेयर रकबे में सिंचाई संबंधी रखरखाव का पैसा नहीं मिलता
विभाग द्वारा संथाओं को उतने ही रकबे में सिंचाई के हिसाब से पैसा दिया जाता है जितने में नहरों से सीधे पानी पहुंचता है। यानि लिफ्ट इरीगेशन के कमांड एरिया में सिंचाई के रकबे को भुगतान में शामिल नहीं किया जाता। इस वर्ष जिले में १०५०२९ हेक्टेयर रकबे में सिंचाई का ऐलान हुआ है। इसके उलट संथाओं को ९०७०१ हेक्टेयर रकबे के मान से ही पहली किस्त का भुगतान किया गया।
मुख्यमंत्री से मिलेंगे संथा अध्यक्ष
जल उपभोक्ता संथा बाजनिया के अध्यक्ष दीपचंद नवाद के मुताबिक नहरों के रखरखाव की बकाया आधी राशि के भुगतान की मांग व लाइनिंग के दौरान हुई गड़बड़ी को बताने के लिए अध्यक्षों का ग्रुप जल्द ही मुख्यमंत्री कमलनाथ से मिलेगा। इसके लिए सीएम हाउस से संपर्क किया जा रहा है।
इनका कहना है
शासन के आदेशानुसार जिले की 50 जल उपभोक्ता संथाओं के प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार समाप्त हो चुके हैं। संथाओं को दूसरी किस्त का भुगतान जल्द ही होगा। खर्च के रूप में इसका भुगतान शासन के निर्देशानुसार कराया जाएगा।
– अमरदीप कंसोरिया, कार्यपालन यंत्री, जल संसाधन विभाग हरदा
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