अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक शासन द्वारा संथाओं को दी जाने वाली बकाया 50 प्रतिशत राशि में से फिलहाल 20 प्रतिशत ही दिया जाएगा। सरकार का खजाना खाली होने को इसके पीछे का कारण बताया जा रहा है। संथाओं के प्रशासनिक व वित्तीय अधिकार समाप्त होने के कारण इस राशि का भुगतान कैसे होगा, अभी यह तय नहीं है। विभाग के अधिकारी शासन से मिलने वाले नए निर्देशों की राह ताक रहे हैं।
विभाग द्वारा संथाओं को उतने ही रकबे में सिंचाई के हिसाब से पैसा दिया जाता है जितने में नहरों से सीधे पानी पहुंचता है। यानि लिफ्ट इरीगेशन के कमांड एरिया में सिंचाई के रकबे को भुगतान में शामिल नहीं किया जाता। इस वर्ष जिले में १०५०२९ हेक्टेयर रकबे में सिंचाई का ऐलान हुआ है। इसके उलट संथाओं को ९०७०१ हेक्टेयर रकबे के मान से ही पहली किस्त का भुगतान किया गया।
जल उपभोक्ता संथा बाजनिया के अध्यक्ष दीपचंद नवाद के मुताबिक नहरों के रखरखाव की बकाया आधी राशि के भुगतान की मांग व लाइनिंग के दौरान हुई गड़बड़ी को बताने के लिए अध्यक्षों का ग्रुप जल्द ही मुख्यमंत्री कमलनाथ से मिलेगा। इसके लिए सीएम हाउस से संपर्क किया जा रहा है।
शासन के आदेशानुसार जिले की 50 जल उपभोक्ता संथाओं के प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार समाप्त हो चुके हैं। संथाओं को दूसरी किस्त का भुगतान जल्द ही होगा। खर्च के रूप में इसका भुगतान शासन के निर्देशानुसार कराया जाएगा।
– अमरदीप कंसोरिया, कार्यपालन यंत्री, जल संसाधन विभाग हरदा