मथुराप्रसाद के मुताबिक एक बार स्कूल की टीचर ने उनसे यह तक कहा कि छात्रा का मन नहीं लग रहा। उसे घर ले जाए। जबकि हकीकत यह है कि सलोनी वहीं पढऩा चाहती है। मथुराप्रसाद के मुताबिक बेटे ने दूसरी शादी कर ली है। सलोनी को रखने वाला उनके सिवाय कोई नहीं। बुजुर्ग अवस्था में वे उसका पालन ठीक ढंग से नहीं कर पाते। नवोदय स्कूल में प्रवेश मिलने से उन्हें उम्मीद थी कि बेटी का भविष्य बनेगा, लेकिन पिछले दिनों से आ रहे कॉल ने उनकी चिंता बढ़ा दी है। उन्होंने प्रशासन से इस दिशा में सकारात्मक कार्रवाई की मांग की है। इधर, इस संबंध में चर्चा के लिए नवोदय स्कूल के प्राचार्य जे. लाल से चर्चा के लिए उनके मोबाइल पर दो बार संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।
मथुराप्रसाद के मुताबिक सलोनी के प्रवेश के दौरान उन्होंने एसडीएम द्वारा जारी पिछड़ा वर्ग का जाति प्रमाण पत्र दिया था। फॉर्म पर एक जगह चूक से अजजा के कॉलम पर टिक लग गया था। तीन साल बाद अब इस मुद्दे को उठाकर उनकी बेटी को स्कूल से निकालने को कहा जा रहा है।