जल्दबाजी के कारण विफल हुई योजना – करीब आठ साल पहले नगर पालिका ने सरकारी अस्पताल चौराहा, अंबेडकर चौराहा पर ट्रैफिक सिग्नल लगाने के बाद टांक बंधु चौराहा, परशुराम चौक और खंडवा बायपास चौराहे पर करीब ३२ लाख रुपए की लागत से सिग्नल लगवाए थे। किंतु ये सिग्नल केवल एक साल ही काम कर पाए। बाद में इनके बंद होने के बाद से ये उसी हालत में हैं। सिग्नल चौक-चौराहों पर जगह कम होने के कारण वाहन ठीक से खड़े नहीं हो पाते हैं। जबकि सिग्नलों को लगाने के पहले चौक-चौराहों के आसपास के अतिक्रमण को हटवाया जाना चाहिए था ताकि सड़कें चौड़ी होने से दोनों तरफ के वाहन खड़े हो सकें। किंतु इस दिशा में ध्यान न देकर केवल जल्दबाजी में सिग्नल लगा दिए गए। यही कारण है कि लाखों की यह योजना विफल हो गई।
ठंडे बस्ते में पड़ा ट्रैफिक पार्क- पुलिस ने स्कूली बच्चों को हफ्ते में एक दिन यातायात नियम बताने के लिए ट्रैफिक पार्क योजना बनाई थी, किंतु यह आज भी ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है। विभाग ने इंदौर रोड पर स्थित नक्षत्र उद्यान को ट्रैफिक पार्क के लिए चिह्नित किया था। इसमें यातायात नियम को बताने के लिए सिग्नल, जेबरा लाइन सहित अन्य व्यवस्था की जानी थी। इसके लिए प्रति रविवार को यातायात विभाग के कर्मचारी अलग-अलग स्कूलों के बच्चों को नियमों को बता सकें।