करीब 15 साल पहले तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने सड़क को लोक निर्माण विभाग से एमपीआरडीसी (मप्र रोड डेव्हलपमेंट कॉर्पोरेशन) के सुपुर्द कर बीओटी (बिल्ट, ऑपरेट देन ट्रांसफर) योजना के तहत ठेके पर इसका निर्माण कराया था। इस अवधि में होशंगाबाद से खंडवा तक करीब 210 किमी में चार स्थानों (होशंगाबाद, पगढाल, छीपावड़ व खंडवा) पर टोल वसूली होती थी। इसके अलावा स्टेट हाईवे से मिलने वाली अन्य छोटी सड़कों पर भी बैरियर लगाकर टोल वसूली की गई थी। इस दौरान सड़क के रखरखाव का जिम्मा निर्माण कंपनी का था। टोल वसूली चली तब तक तो सड़क का मेंटेनेंस कुछ हद तक हुआ भी, लेकिन इसकी मियाद खत्म होने के चलते यह भी बंद हो गया। सड़क एमपीआरडीसी के सुपुर्द होने के बाद से इसका मेंटेनेंस पूरी तरह बंद है।
टोल वसूली के दौरान भी सड़क के रखरखाव की ओर उतना ध्यान नहीं दिया गया जितना जरूरी था। दोनों ओर की कंटीली झाडिय़ों को तक साफ नहीं किया गया नतीजतन सड़क के किनारे कटने से कई स्थानों पर यह संकरा होता जा रहा है। भारी वाहनों की क्रासिंग के दौरान यहां हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
पत्रिका ने दुर्दशा का शिकार होते हाईवे के सुधार कार्य संबंधी चर्चा के लिए एमपीआरडीसी के एजीएम दिनेश लोवंशी से चर्चा के लिए उनके मोबाइल पर तीन बार कॉल किए। दो बार में कॉल रिसीव नहीं हुए। तीसरी बार में दूसरी ओर से बात करने वाले ने खुद को कार्यालय का ऑपरेटर बताते हुए साहब द्वारा मोबाइल छोड़कर जाने की बात कही। स्टेट हाईवे के मेंटेनेंस संबंधी जानकारी मांगने पर अनभिज्ञता जताई।
मप्र सड़क विकास प्राधिकरण का कार्यालय जिले में नहीं होने से निर्माण कंपनी को इसके सुधार की याद दिलाने वाला भी कोई नहीं रहता। स्थानीय अधिकारी और जनप्रतिनिधि भी दुर्घटना के इन स्थानों पर सुधार को लेकर फिक्रमंद नहीं रहते। नतीजतन वाहन चालकों को कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
स्टेट हाईवे के किनारे कई स्थानों पर मुरम खुदाई होने तथा नालों के पानी के तेज बहाव से कटाव बढ़ रहा है। इसके चलते यहां दुर्घटना का अंदेशा रहता है। सड़क के दोनों ओर साइड सोल्डर नहीं भरे जाने से यहां कटाव बढ़ गया है। वाहनों की क्रासिंग के दौरान यहां खतरा बना रहता है। पिछली बारिश के पूर्व जिन स्थानों पर मटेरियल डाला गया था वह या तो बह चुका है या दब चुका है। लिहाजा चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। तेज रफ्तार वाहनों की क्रासिंग के दौरान चालक की जरा सी चूक उसे बड़ी मुसीबत में डाल सकती है।
सड़क पर कई स्थानों पर संकेतक भी गायब हैं। अंधे मोड़ व पुल-पुलियाओं के पास इनके अभाव में चालक सचेत नहीं हो पाते। रात के समय यहां दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है।