तवा बांध से पानी छूटा, दोनों मुख्य नहर के वितरण केंद्र पर कल तक पहुंचने की संभावना
हरदाPublished: Apr 03, 2020 08:36:07 pm
जिले में 25 हजार हेक्टेयर में ग्रीष्मकालीन मूंग फसल की सिंचाई के लिए मिलेगा नहर का पानी
जिले में 25 हजार हेक्टेयर में ग्रीष्मकालीन मूंग फसल की सिंचाई के लिए मिलेगा नहर का पानी
हरदा। जिले के किसानों के लिए अच्छी खबर है। ग्रीष्मकालीन मूंग फसल की सिंचाई के लिए तवा बांध से लेफ्ट ब्रांच केनाल (एलबीसी) में शुक्रवार शाम 300 क्यूसेक पानी छोड़ दिया गया। चेन क्रमांक 3008 (उंद्राकच्छ) स्थित एलबीसी और हंडिया ब्रांच केनाल (एचबीसी) के वितरण केंद्र पर पानी के रविवार तक पहुंचने की संभावना है। ज्ञात हो कि जल संसाधन विभाग ने पहले जिले के १६५०० हेक्टेयर में पानी देने की योजना का प्रस्ताव रखा था। किसानों की मांग पर इसे बढ़ाकर २५ हजार हेक्टेयर पानी देने का प्रस्ताव तैयार किया गया। विभाग ने पहले 1 अप्रैल से पानी छोडऩे की घोषणा भी की थी। बाद में अधिकारियों को लॉकडाउन का उल्लंघन होने का अंदेशा होने लगा। इसके चलते शासन से मार्गदर्शन मांगा गया और यह निर्णय टल गया कि पानी कब से छोड़ा जाए। विधायक कमल पटेल के मुताबिक शुक्रवार को उन्होंने एक बार फिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा कर किसानों की मंशा से अवगत कराया। सीएम को बताया गया कि मूंग फसल के लिए नहर का पानी मिलता है तो तंगी का सामना कर रहे किसानों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी। मुख्यमंत्री ने इस पर रजामंदी जताई। इसके बाद शुक्रवार शाम पानी छोडऩे का निर्णय हुआ। विधायक पटेल ने किसानों से आग्रह किया है कि वे लॉकडाउन का पालन करते हुए कृषि कार्य करें।
आज से बढ़ेगा पानी का बहाव
जल संसाधन विभाग के हरदा संभाग के प्रभारी कार्यपालन यंत्री राकेश दीक्षित के मुताबिक शनिवार को पानी की मात्रा बढ़ाकर 800 क्यूसेक की जाएगी। इसके बाद आवश्यकतानुसार पानी बढ़ता रहेगा। टिमरनी संभाग के कार्यपालन यंत्री एफके भिमटे ने बताया कि वितरण व्यवस्था की तैयारी पूर्ण है। ऐलान वाले क्षेत्र में प्राथमिकता से पानी पहुंचाया जाएगा।
नहर का पानी मिलने पर लक्ष्य से ज्यादा में होगी बोवनी
कृषि विभाग ने जिले में ३९५०० हेक्टेयर रकबे में ग्रीष्मकालीन मूंग की बोवनी का अनुमान लगाया है। निजी जल स्रोतों से सिंचाई करने वाले किसान पहले ही मंूग की बोवनी कर चुके हैं। उप संचालक कृषि एमपीएस चंद्रावत के अनुसार अब तक करीब 18 हजार हेक्टेयर रकबे में बोवनी हो चुकी है। नहर में पानी छूटने पर लक्ष्य से ज्यादा रकबे में बोवनी का अनुमान है। बीते ग्रीष्मकाल में 13500 हेक्टेयर रकबे में ही मूंग की बुवाई हो सकी थी। अधिकारियों के अनुसार जिले में जब से ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती शुरू हुई है तब से करीब 5 वर्ष पूर्व अधिकतम 52500 हेक्टेयर रकबे में इसकी बुवाई हो चुकी है। लेफ्ट ब्रांच केनाल व हंडिया ब्रांच केनाल की लाइनिंग तथा बारिश की कमी के कारण तवा बांध में पर्याप्त पानी नहीं होने की वजह से बीते तीन साल से किसानों को सिंचाई के लिए नहर का पानी नहीं मिल रहा है।
सिंचाई कार्य में लगेंगे सैंकड़ों लोग
मालूम हो कि लॉकडाउन के दौरान 10 हजार से ज्यादा लोगों के घरों से बाहर रहने की चिंता में ही विभाग के आला अधिकारियों ने पानी छोडऩे के निर्णय पर पुर्नविचार के लिए शासन से मार्गदर्शन मांगा था। उनके अनुसार एचबीसी से जुड़े १२५०० हेक्टेयर रकबे तथा एलबीसी के इतने ही रकबे में सिंचाई के लिए पानी दिया जाएगा। यानि दोनों नहरों से जुड़े ११३३२ किसान, उनके मजदूर तथा पानी वितरण व्यवस्था में लगे हरदा व टिमरनी डिवीजन के क्रमश: ८९ और ८२ अधिकारी, कर्मचारी बाहर रहेंगे। हालांकि सभी को 1 मीटर की सामाजिक दूरी बनाए रखने व बार-बार साबुन से हाथ धोने की समझाईश दी जा रही है।
जरुरत के अनुसार छोड़ा जाए पानी : भाकिसं
सिंचाई विभाग द्वारा तवा डैम से 300 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जबकि प्रत्येक सीजन में शुरू दिन से 500 क्यूसेक पानी छोड़ा जाता रहा है। इसमें बदलाव किया जाए। भाकिसं के टिमरनी तहसील अध्यक्ष दीपचंद नवाद ने बताया कि 4 अप्रैल को 800 क्यूसेक दिया जाएगा। इससे नहर का लेवल बनाने में ही 10 अप्रैल तक का समय लग जाएगा। विभाग का इसी प्रकार का रवैया रहा तो जनप्रतिनिधियों द्वारा किए गया प्रयासों पर पानी फिर सकता है। जिले की डिमांड 2250 क्यूसेक की है, तो थोड़ा-थोड़ा पानी छोड़कर टाइमपास क्यों किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि संघ द्वारा इसकी शिकायत विधायक कमल पटेल एवं संजय शाह से की गई है। नवाद ने जिले के आधे रकबे को सिंचाई करने वाली ६ नहरों में लाइनिंग का काम 45 दिन के लिए बंद करते हुए पानी उपलब्ध कराने की मांग की है। जिस पर जनप्रतिनिधियों ने जिले में 2250 क्यूसेक पानी उपलब्ध कराने एवं सभी नहरों में पानी चलाने का आश्वासन दिया है।