हरदा सब डिवीजन के अंतर्गत लगभग २०० गांवों के ३५ हजार किसानों को जल संसाधन विभाग द्वारा प्रतिवर्ष रबी सीजन में नहर से पानी दिया जाता है। उक्त किसानों द्वारा पिछले बीस सालों से लगभग ५० हजार हेक्टेयर रकबे में नहर से सिंचाई की जा रही है। किंतु किसानों द्वारा समय पर सिंचाई कर जमा नहीं किया जा रहा है। इसके चलते किसानों पर 10 से लेकर 1 लाख रुपए तक का सिंचाईकर बकाया है। हर साल बकाया होने के चलते किसानों पर करीब ४ करोड़ ७२ लाख १८ हजार ४०० का कर बाकी है।
यहां से किसानों को मिलता है पानी
जिले के किसानों को रबी सीजन में तवा डैम के साथ ही खिरकिया माचक उप नहर, इमलीढाना, जामन्या डैम, आमाखाल जलाशय से नहर के पानी दिया जाता है। विभाग किसानों को एक पलेवा और तीन पानी सिंचाई के देता है। किंतु इस बार तवा डैम में पानी नहीं होने की वजह से एक पलेवा और दो पानी ही दिया जाएगा। विभाग द्वारा किसानों से 2२५ रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से सिंचाई कर लिया जाता है। कई किसानों के पास सैकड़ों एकड़ जमीन है, जिससे उन पर लाखों रुपए का कर बकाया है, किंतु वे भरने को तैयार नहीं है।
सालभर वसूली फिर भी बकाया
जल संसाधन विभाग द्वारा बकायादारों से सिंचाई कर वसूलने के लिए सालभर अभियान चलाया जाता है, लेकिन इसके बावजूद भी वसूली नहीं हो पा रही है। 5 करोड़ में से विभाग केवल 1 करोड़ ही वसूल पाया है। ४ करोड़ ७२ लाख १८ हजार ४०० की राशि बकाया है। वर्तमान में विभाग के १२ अमीन, 11 सब इंजीनियर किसानों के घर-घर जाकर वसूली कर रहे हैं।
चल-अचल संपत्ति होगी कुर्क
विभाग के अनुसार करोड़ों का सिंचाई कर वसूलने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। वहीं डिफाल्टर किसानों की सूची तैयार कर ली गई है। 10 हजार, 1 लाख के लगभग 5 हजार बकायादार किसानों को नोटिस दिए गए हैं। नोटिस के माध्यम से किसानों को चेतावनी दी गईहै कि यदि वे निर्धारित समयावधि में सिंचाई कर जमा नहीं करते हैं तो उनकी चल-अचल संपत्ति कुर्ककर सिंचाई कर की राशि समायोजित की जाएगी।