डीपीसी ने कहा- डीईओ ने छात्रावास का प्रभार छोड़कर पढ़ाने संबंधी आदेश दिए, इसी पर अमल कराने के प्रयास किए तो लगाए जा रहे आरोप
हरदा/ आदिम जाति कल्याण विभाग के आश्रम व छात्रावासों का प्रभार संभाल रहीं तीन शिक्षिकाओं ने शुक्रवार को शहर कोतवाली में डीपीसी डॉ. आरएस तिवारी की शिकायत दर्ज कराई। उनका आरोप था कि एक दिन पहले डीपीसी से कार्यालयीन समय के बाद उन्हें बुलाया और जातिसूचक बातें बोलकर अपमानित किया।
इधर, डीपीसी डॉ. तिवारी ने बताया कि शिक्षा विभाग के 11 शिक्षक, शिक्षिकाएं आदिम जाति कल्याण विभाग के आश्रम व छात्रावास का अतिरिक्त प्रभार संभालते हैं। इससे उनके मूल स्कूलों में शैक्षणिक कार्य प्रभावित हो रहा है। एक महीने पहले जिला शिक्षा अधिकारी ने आदेश जारी कर उक्त शिक्षक, शिक्षिकाओं को स्कूलों में पढ़ाने को कहा था। इसके बावजूद इन स्कूलों की शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार नहीं आया। इसी संबंध में शिक्षक-शिक्षिकाएं उनके गुरुवार को उनके कार्यालय पहुंचे थे। वहां ऐसी कोई बात नहीं हुई, जो उन पर आरोप लगाए जा रहे हैं। तब उक्त शिक्षिकाएं कलेक्टर एस. विश्वनाथन से भी मिली थीं। कलेक्टर ने उन्हें भी बुलाया था, तब वस्तुस्थिति बता दी गई थी। शिक्षिकाओं द्वारा लगाए जा रहे सभी आरोप निराधार हैं।
पढ़ाई के साथ ही छात्रावास और आश्रम की व्यवस्थाओं पर भी पड़ रहा असर
आदिम जाति कल्याण विभाग के पद लंबे समय से खाली होने के कारण बनी स्थिति
हरदा/ सरकारी स्कूल में पदस्थ जिले के 11 शिक्षक-शिक्षिकाएं विभाग की बगैर अनुमति के सालों से आश्रम व छात्रावास के अधीक्षक का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे हैं। खास बात यह है कि जिन स्कूलों में यह शिक्षक-शिक्षिकाएं पदस्थ हैं, वहां से अतिरिक्त प्रभार वाले आश्रम व छात्रावासों की दूरी लंबी है। इस स्थिति में अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे दोनों जगह की व्यवस्थाओं का संचालन कितनी जिम्मेदारी से करते होंगे। शिक्षकों की कमी से जूझते जिले के स्कूलों में शैक्षणिक व्यवस्थाएं बनाए रखने के लिए शासन के निर्देश पर जिला शिक्षा अधिकारी व जिला परियोजना समन्वयक बीते पांच महीनों में इन्हें कई बार पत्र भी लिख चुके, लेकिन स्थिति में बदलाव नहीं आया। सभी शिक्षक-शिक्षिकाएं अतिरिक्त प्रभार छोड़कर केवल बच्चों को पढ़ाने को तैयार नहीं। उल्लेखनीय हैं कि जिले में करीब 124 प्राथमिक व माध्यमिक स्कूल शिक्षकविहीन एवं 200 से अधिक प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूल एक शिक्षकीय हैं। इससे शैक्षणिक कार्य प्रभावित हो रहा है। जिला परियोजना समन्वय द्वारा हाल ही में संयुक्त संचालक शिक्षा को लिखे गए पत्र के अनुसार11 शिक्षक-शिक्षिकाएं आदिम जाति कल्याण विभाग के
ज्ञात हो कि छात्रावासों में अधीक्षक का पद संभाल रहीं प्राथमिक शाला गुठानिया की शिक्षिका ममता परते, हाईस्कूल खामापड़वा की शिक्षिका प्रमिला धोत्रे व माध्यमिक शाला मगरधा की शिक्षिका निर्मला बराड़े ने डीपीसी डॉ. तिवारी के खिलाफ कलेक्टर व पुलिस को शिकायती आवेदन आवेदन दिया है। इसमें उन्होंने अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। डीपीसी ने आरोपों को निराधार बताया है।
में पति के साथ रहतीं हैं अधीक्षिका
बताया जाता है कि कन्या छात्रावास की एक अधीक्षिका तो नियमविरुद्ध वहां अपने पति के साथ निवास भी करती हैं। इनके पति की पदस्थापना यहां से लंबी दूरी पर है। सांठगांठ से पति को भी इसी गांव के बालक छात्रावास के अधीक्षक का प्रभार मिल गया। दंपति ने यहां अलग से मकान लेकर रहने के बजाए कन्या छात्रावास को ही अपना निवास बना लिया।
आदिम जाति कल्याण विभाग के जिले में 44 आश्रम व छात्रावास हैं। इनमें विभाग के सिर्फ १८ कर्मचारी नियुक्त है। शिक्षा विभाग के 11 कर्मचारी यहां बगैर विभागीय अनुमति के काम कर रहे हैं। इन्हें यहां से मानदेय या वेतन भी नहीं मिलता। बचे छात्रावासों का दोहरा प्रभार आदिम जाति कल्याण विभाग के स्टाफ के पास है। लिहाजा यहां की व्यवस्थाओं का संचालन ठीक ढंग से नहीं हो पाता।
जानकारी के अनुसार संयुक्त संचालक को लिखे पत्र के अनुसार इनमें से कुछ शिक्षक अपनी पदस्थापना की संस्था से 10 से 40 किलोमीटर से भी अधिक दूरी पर छात्रावास अधीक्षक का कार्य कर रहे हैं। डीपीसी व डीईओ को इसकी जानकारी लगने पर 16 अप्रैल से २२ जुलाई तक तीन बार लिखित सूचना देकर इन्हें प्रभार छोड़कर स्कूलों में पढ़ाने के निर्देश दिए गए, लेकिन सभी ने इसे नजरअंदाज किया।
एक छात्रावास अधीक्षिका मध्याह्न भोजन का गेहूं बेचने के आरोप में निलंबित हो चुकी हैं। स्कूल में नहीं पढ़ाने के कारण इनकी एक वेतनवृद्धि भी रोकी जा चुकी है। इसके बावजूद इन्होंने सर्व शिक्षा अभियान के छात्रावास के वार्डन पद की भर्ती में आवेदन किया। जबकि विज्ञापन में स्पष्ट था कि वे ही महिला शिक्षक इसमें आवेदन करें जिनके विरुद्ध कोई जांच प्रचलित न हो या दंडित नहीं किया गया हो। संबंधित शिक्षिका से इस आशय का प्रमाण पत्र भी चाहा गया था। जानकारी के अनुसार अधीक्षिका ने यह सभी तथ्य छिपाते हुए न सिर्फ आवेदन किया, बल्कि खुद लिखकर दिया कि उन्हें दंडित नहीं किया गया है।
पूरे मामले की जांच महिला अधिकारी से कराई जाएगी। अपर कलेक्टर को इस संबंध में निर्देशित किया गया है। जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।।
एस. विश्वनाथन, कलेक्टर, हरदा
प्रशिक्षण नहीं लिया, बना दिया छात्रावास अधीक्षक, कलेक्टर को भी भ्रमित किया
हरदा/आदिम जाति कल्याण विभाग के छात्रावास व आश्रमों में इस वर्ष अधीक्षकों की नियुक्त में नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गई हैं। आदिवासी सीनियर एवं महाविद्यालयीन छात्रावासों के लिए शासन द्वारा लागू एमपी टास योजना के तहत जिन शिक्षकों ने प्रशिक्षण नहीं लिया उन्हें भी एक ही आदेश के तहत नियुक्ति दी गई। कलेक्टर के हस्ताक्षर से जारी आदेश में शिक्षा विभाग के सभी 11 शिक्षकों को यह प्रशिक्षण लेना बताया जा रहा है। जबकि हकीकत इससे उलटे है। इनमें से कई शिक्षक एससी वर्ग के छात्रावासों में नियुक्त किए गए हैं, जहां यह योजना लागू ही नहीं।
सूत्रों के अनुसार कलेक्टर के निर्देश पर पिछले महीने हुए छात्रावासों के आकस्मिक निरीक्षण के दौरान महिला एवं बाल विकास विभाग के एक अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया था कि अधीक्षिका का पति गैरकानूनी रूप से बालिकाओं के छात्रावास में रहता है। वे जब भी छात्रावास गए, अधीक्षिका का पति उन्हें वहीं मिला था। अधिकारी ने यह अपनी रिपोर्ट में भी लिखा है। आजाक के जिला संयोजक को भी यह बताया गया, लेकिन कार्रवाई करने के बजाए दंपती को एक ही गांव के छात्रावासों का प्रभार दिया गया।
डीपीसी और अधीक्षिकाओं के बीच हुए विवाद के बाद से शिक्षा विभाग के कार्यों में सुस्ती छा गई है। दूरस्थ अंचल के स्कूल समय से पहले बंद हो रहे हैं। निरीक्षण भी औपचारिक हो रहे हैं। खबर है कि डीपीसी का विरोधी धड़ा यह मानकर चल रहा है कि जल्द ही उन्हें हटा दिया जाएगा।
शिक्षिकाओं द्वारा डीपीसी पर लगाए आरोपों की जांच के लिए कलेक्टर ने डिप्टी कलेक्टर की अगुवाई में तीन सदस्यीय दल गठित किया है। उधर, डीपीसी द्वारा संयुक्त संचालक शिक्षा को 20 सितंबर को लिखे पत्र के बाद उप संचालक जेके मैहर के नेतृत्व में तीन सदस्यीय समिति जांच करेगी।
छात्रावासों में अधीक्षक का पद संभाल रहीं प्राथमिक शाला गुठानिया की शिक्षिका ममता परते, हाईस्कूल खामापड़वा की शिक्षिका प्रमिला धोत्रे व माध्यमिक शाला मगरधा की शिक्षिका निर्मला बराड़े ने डीपीसी डॉ. तिवारी के खिलाफ कलेक्टर व पुलिस को शिकायती आवेदन देकर गंभीर आरोप लगाए हैं। डीपीसी ने आरोपों को निराधार बताया है। वहीं डीपीसी डॉ. आरएस तिवारी ने संयुक्त संचालक शिक्षा को पत्र लिखकर सहायक अध्यापक निर्मला बराड़े, शांति धोत्रे, गोविंद मर्सकोले व ममता पर्ते के खिलाफ कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को कहा है। पत्र में कहा गया है कि इनके द्वारा पढ़ाने व स्कूल संबंधी कार्य नहीं किए जाते हैं। इसके उलट सभी आर्थिक लाभ प्राप्त करने पूरे समय छात्रावास के कार्यों में व्यस्त रहते हैं।