स्वाइन फ्लू के मरीजों के वार्ड में अन्य रोगी
जिला अस्पताल के महिला वार्ड के बाजू से अस्पताल प्रबंधन ने स्वाइन फ्लू के मरीजों के लिए आईसोलेशन वार्ड बनाया है। किंतु इसका उपयोग महिला टीबी रोगियों एवं पायजन मरीजों के लिए किया जा रहा है। वर्तमान में यहां पर टीबी की दो और जहरीला पदार्थ खाने वाली दो महिलाएं भर्ती हैं। 6 पलंग वाले इस वार्ड में नियमों की अनदेखी की जा रही है। इसमें टीबी रोगियों को भर्ती रखा जा रहा है। जबकि उक्त बीमारी के रोगियों के लिए सामान्य मरीजों से दूर रखा जाना चाहिए।किंतु इसको लेकर अनदेखी की जा रही है।
जिला अस्पताल के महिला वार्ड के बाजू से अस्पताल प्रबंधन ने स्वाइन फ्लू के मरीजों के लिए आईसोलेशन वार्ड बनाया है। किंतु इसका उपयोग महिला टीबी रोगियों एवं पायजन मरीजों के लिए किया जा रहा है। वर्तमान में यहां पर टीबी की दो और जहरीला पदार्थ खाने वाली दो महिलाएं भर्ती हैं। 6 पलंग वाले इस वार्ड में नियमों की अनदेखी की जा रही है। इसमें टीबी रोगियों को भर्ती रखा जा रहा है। जबकि उक्त बीमारी के रोगियों के लिए सामान्य मरीजों से दूर रखा जाना चाहिए।किंतु इसको लेकर अनदेखी की जा रही है।
शहर में गंदगी से बढ़ सकती है बीमारी
शहर की अधिकांश कॉलोनियों में गंदा पानी जमा हुआ है, जहां पर सुअरों का जमावड़ा लगा रहता है। स्वाइन फ्लू बीमारी सुअरों के कारण ही फैलती है। सुअरों का यह वायरस तेजी से लोगों को अपनी चपेट में लेता है। शुरुआत में इसके लक्षण बुखार, सर्दी-खांसी से शुरू होते हैं, जो बाद में जानलेवा साबित होते हैं। इस वायरस को ही एच1 एन1 कहा जाता है। ठंड बढऩे के कारण स्वाइन फ्लू का वायरस एक्टिव हो जाता है।इसके लिए शहर में सफाई व्यवस्था बेहतर होना चाहिए, लेकिन नगर पालिका द्वारा शहर की कॉलोनियों में फैल रही गंदगी हटाने की तरफ ध्यान नहीं दे रही है।
शहर की अधिकांश कॉलोनियों में गंदा पानी जमा हुआ है, जहां पर सुअरों का जमावड़ा लगा रहता है। स्वाइन फ्लू बीमारी सुअरों के कारण ही फैलती है। सुअरों का यह वायरस तेजी से लोगों को अपनी चपेट में लेता है। शुरुआत में इसके लक्षण बुखार, सर्दी-खांसी से शुरू होते हैं, जो बाद में जानलेवा साबित होते हैं। इस वायरस को ही एच1 एन1 कहा जाता है। ठंड बढऩे के कारण स्वाइन फ्लू का वायरस एक्टिव हो जाता है।इसके लिए शहर में सफाई व्यवस्था बेहतर होना चाहिए, लेकिन नगर पालिका द्वारा शहर की कॉलोनियों में फैल रही गंदगी हटाने की तरफ ध्यान नहीं दे रही है।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
– नाक का लगातार बहना, छींक आना
– कफ, कोल्ड और लगातार खांसी
– मांसपेशियों में दर्द या अकडऩ
– सिर में अधिक दर्द
– नींद न आना, ज्यादा थकान
– दवा खाने पर भी बुखार का लगातार बढऩा
– गले में खराश का लगातार बढ़ते जाना
इनका कहना है
वर्तमान में बुखार, सर्दी-खांसी के मरीज आ रहे हैं। स्वाइन फ्लू का एक भी रोगी नहीं मिला है। अस्पताल में स्वाइन फ्लू की दवाओं का स्टॉक रखा हुआ है। स्वाइन फ्लू का मरीज संदिग्ध रोगी मिलने पर उसका सैंपल भोपाल जांच के लिए भिजवाया जाएगा।
डॉ. मनीष शर्मा, प्रभारी, आईसोलेशन वार्ड, जिला अस्पताल, हरदा
– नाक का लगातार बहना, छींक आना
– कफ, कोल्ड और लगातार खांसी
– मांसपेशियों में दर्द या अकडऩ
– सिर में अधिक दर्द
– नींद न आना, ज्यादा थकान
– दवा खाने पर भी बुखार का लगातार बढऩा
– गले में खराश का लगातार बढ़ते जाना
इनका कहना है
वर्तमान में बुखार, सर्दी-खांसी के मरीज आ रहे हैं। स्वाइन फ्लू का एक भी रोगी नहीं मिला है। अस्पताल में स्वाइन फ्लू की दवाओं का स्टॉक रखा हुआ है। स्वाइन फ्लू का मरीज संदिग्ध रोगी मिलने पर उसका सैंपल भोपाल जांच के लिए भिजवाया जाएगा।
डॉ. मनीष शर्मा, प्रभारी, आईसोलेशन वार्ड, जिला अस्पताल, हरदा