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स्वाइन फ्लू वार्ड में टीबी रोगियों का कब्जा, फ्लू पीडि़तोंं को दवा देकर घर भगाया

locationहरदाPublished: Feb 09, 2019 10:24:30 pm

Submitted by:

sanjeev dubey

स्वाइन फ्लू के दो संदिग्ध मिले, दवाईयां देकर घर पर चल रहा इलाज, आईसोलेशन वार्ड में टीबी और अन्य रोगियों का हो रहा इलाज

patrika

Two suspected swine flu patients found

हरदा. जिला अस्पताल में सालों बाद भी टीबी रोगियों के लिए अलग से वार्ड नहीं बनाया गया। उक्त बीमारी के पुरुष मरीजों को जहां मेल वार्डमें तो महिलाओं को स्वाइन फ्लू के रोगियों के लिए बनाए गए आईसोलेशन वार्ड में भर्ती रखा जा रहा है। वार्ड में रोगियों के साथ टीबी मरीजों को रखकर उनके स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ दो महीनों में जिला अस्पताल में स्वाइन फ्लू के दो संदिग्ध मरीज मिलने पर उन्हें भर्ती रखने की बजाय दवाएं देकर घर पर इलाज दिया जा रहा है। अस्पताल की इस लापरवाही के चलते स्वाइन फ्लू के रोगियों की संख्या बढ़ सकती है। वैसे तो स्वाइन फ्लू बीमारी का कहर पूरे देश में देखने को मिल रहा है। किंतु वर्तमान में इसका असर सबसे ज्यादा राजस्थान में है। जहां पर लगातार लोगों की मौतें हो रही हैं। किंतु उक्त बीमारी को लेकर अस्पताल प्रबंधन सचेत नहीं है। जिला अस्पताल में ठंड के बढ़ते प्रकोप के चलते बुखार, सर्दी-खांसी के सैकड़ों मरीज आ रहे हैं। गत जनवरी और इस फरवरी माह में एक-एक मरीज स्वाइन फ्लू बीमारी के संदिग्ध नजर आने पर डॉक्टर द्वारा उन्हें अस्पताल के औषधि केंद्र से टैमी फ्लू दवाईयां दी जा रही हैं।किंतु उनका सैंपल जांच के लिए भेजा गया कि नहीं इसका कोई रिकार्ड नहीं है, लेकिन औषधि केंद्र में इन्हें दवाइयां दिए जाने की जानकारी रजिस्टर में दर्जहै। यदि उक्त रोगियों की हालत ठीक नहीं होती हैतो उनसे सामान्य लोग भी प्रभावित हो सकते हैं।
स्वाइन फ्लू के मरीजों के वार्ड में अन्य रोगी
जिला अस्पताल के महिला वार्ड के बाजू से अस्पताल प्रबंधन ने स्वाइन फ्लू के मरीजों के लिए आईसोलेशन वार्ड बनाया है। किंतु इसका उपयोग महिला टीबी रोगियों एवं पायजन मरीजों के लिए किया जा रहा है। वर्तमान में यहां पर टीबी की दो और जहरीला पदार्थ खाने वाली दो महिलाएं भर्ती हैं। 6 पलंग वाले इस वार्ड में नियमों की अनदेखी की जा रही है। इसमें टीबी रोगियों को भर्ती रखा जा रहा है। जबकि उक्त बीमारी के रोगियों के लिए सामान्य मरीजों से दूर रखा जाना चाहिए।किंतु इसको लेकर अनदेखी की जा रही है।
शहर में गंदगी से बढ़ सकती है बीमारी
शहर की अधिकांश कॉलोनियों में गंदा पानी जमा हुआ है, जहां पर सुअरों का जमावड़ा लगा रहता है। स्वाइन फ्लू बीमारी सुअरों के कारण ही फैलती है। सुअरों का यह वायरस तेजी से लोगों को अपनी चपेट में लेता है। शुरुआत में इसके लक्षण बुखार, सर्दी-खांसी से शुरू होते हैं, जो बाद में जानलेवा साबित होते हैं। इस वायरस को ही एच1 एन1 कहा जाता है। ठंड बढऩे के कारण स्वाइन फ्लू का वायरस एक्टिव हो जाता है।इसके लिए शहर में सफाई व्यवस्था बेहतर होना चाहिए, लेकिन नगर पालिका द्वारा शहर की कॉलोनियों में फैल रही गंदगी हटाने की तरफ ध्यान नहीं दे रही है।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
– नाक का लगातार बहना, छींक आना
– कफ, कोल्ड और लगातार खांसी
– मांसपेशियों में दर्द या अकडऩ
– सिर में अधिक दर्द
– नींद न आना, ज्यादा थकान
– दवा खाने पर भी बुखार का लगातार बढऩा
– गले में खराश का लगातार बढ़ते जाना

इनका कहना है
वर्तमान में बुखार, सर्दी-खांसी के मरीज आ रहे हैं। स्वाइन फ्लू का एक भी रोगी नहीं मिला है। अस्पताल में स्वाइन फ्लू की दवाओं का स्टॉक रखा हुआ है। स्वाइन फ्लू का मरीज संदिग्ध रोगी मिलने पर उसका सैंपल भोपाल जांच के लिए भिजवाया जाएगा।
डॉ. मनीष शर्मा, प्रभारी, आईसोलेशन वार्ड, जिला अस्पताल, हरदा

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