ग्राम चारखेड़ा के कई खेतों में इसका प्रकोप देखा गया। बताया गया कि गांव के बसन्त रायखेरे के खेत में इस बीमारी के शुरुआती लक्षण दिखाई दिए। किसान कांग्रेस के प्रदेश महासचिव शैलेन्द्र वर्मा ने भी खेत में देखकर इस बीमारी की पुष्टि की। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इसका रासायनिक ओर जैविक दोनों तरीके से निदान किया जा सकता है। फंगस बबेरिया बेसियाना से इसकी बहुत अच्छी तरह से रोकथाम की जा सकती है। इधर कृषि विभाग की टीम भी खेतों का दौरा कर किसानों को जागरूक कर रही है और प्राथमिक अवस्था में ही रोकथाम की सलाह दे रही है। कृषि विभाग के उपसंचालक पीएस चंद्रावत ने भी इस बीमारी के प्रकोप की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि सोमवार तक हर हाल में सभी ब्लाक मुख्यालय पर इसकी दवाई उपलब्ध करा दी जाएगी।
इस कीड़े का प्राथमिक अवस्था में ही इलाज कर किसान मक्का फसल को नुकसान से बचा सकते हैं अन्यथा देरी होने पर फसल की बचाना सम्भव नहीं हो पाता है। गत वर्ष मध्यप्रदेश के साथ ही कई अन्य मक्का उत्पादक राज्यों में इस कीड़े ने फसल को पूरी तरह बर्बाद कर दिया था।