—बीते डेढ़ साल से बिजली कंपनी लगभग हर माह ही मेंटेनेंस के नाम पर कटौती कर रही है।इसके बाद भी बिजली व्यवस्था कभी भी बिगड़ जाती है। कई बार बिना हवा आंधी चलने और बारिश के बगैर भी अचानक कटौती शुुरु कर दी जाती है। जिससे लोगों की रातों की नींद ***** हो गई है। रातभर लोग बच्चों और बुुुजुर्गों को हवा करते रहे हैं। कामकाजी लोगों की नींद पूरी नहीं होेने से उनमें चिढ़चिढ़ापन और अनिद्रा के कारण अन्य बीमारियां बढ़ रही है।
सादानी कॉलोनी निवासी बीएल ठाकरे ने बताया कि बुधवार को सुबह 9 से दोपहर ढाई बजे तक लगातार कटौती ने बेहाल किया। मेंटेनेंस से उम्मीद थी कि अब व्यवस्था ठीक रहेगी,लेकिन ऐसा नहीं हुआ। गुरुवार रात को तीन से चार बार लंबे समय बिजली गुल रही। इस कारण परिवार के बुजुर्ग व बच्चे सो नहीं पाए। मच्छरों के बीच उन्हें रुमाल से हवा करना पड़ा। जिला पंचायत के पास रहने वाले कमलेश ने बताया कि हर माह ही मेंटेनेंस के नाम पर कटौती के बाद भी कब बिजली गुल हो जाए पता नहीं। उन्होंने कहा कि ज्यादातर कटौती अब रात को 11-12 के बाद शुरु होती है,जो सुबह 4 बजे तक रहती है। इस बीच ठीक से नहीं ही नहीं हो पाती है। गृहिणी ममता बाई ने बताया कि मेंटेनेंस फिर अघोषित कटौती इसके बाद भी मनमाने बिल भेजे जा रहे हैं,जिनकी कोई सुनवाई नहीं होती है।
इनका कहना है
बिजली कटौती शहर और गांव दोनों में बढ़ रही है। जल्द ही बिजली कंपनी ने व्यवस्था में सुधार नहीं किया तो जनता के साथ आंदोलन करेंगे। प्रशासन को इसकी सूचना दे दी है।
-लक्ष्मीनारायण पंवार,पूर्व जिलाध्यक्ष कांग्रेस
हवा में झूलते तार,बिजली के तार वायर पर लटकने वाली पेड की टहनियों की कटाई छंटाई कर उसे ठीक करने में समय लगता है। कई बार ट्रांसफार्मर आदि की शिफ्टिंग भी जरुरत और लोड के अनुसार करना पड़ता है। जिसमें समय लगता है। कभी कभी तकनीकी खामी या फाल्ट आने से यह स्थिति बन जाती है।
-आरके अग्रवाल,डीजीएम,बिजली कंपनी हरदा
बिजली कटौती शहर और गांव दोनों में बढ़ रही है। जल्द ही बिजली कंपनी ने व्यवस्था में सुधार नहीं किया तो जनता के साथ आंदोलन करेंगे। प्रशासन को इसकी सूचना दे दी है।
-लक्ष्मीनारायण पंवार,पूर्व जिलाध्यक्ष कांग्रेस
हवा में झूलते तार,बिजली के तार वायर पर लटकने वाली पेड की टहनियों की कटाई छंटाई कर उसे ठीक करने में समय लगता है। कई बार ट्रांसफार्मर आदि की शिफ्टिंग भी जरुरत और लोड के अनुसार करना पड़ता है। जिसमें समय लगता है। कभी कभी तकनीकी खामी या फाल्ट आने से यह स्थिति बन जाती है।
-आरके अग्रवाल,डीजीएम,बिजली कंपनी हरदा