हरदोई

चुनाव के बाद इस पार्टी के नेता के लिए आ सकती है बड़ी खुशखबरी, मिल सकता है बड़ा उपहार..

मतगणना का दिन प्रत्याशियों के भाग्य के फैसले का दिन होगा

हरदोईMay 05, 2019 / 12:12 pm

Ruchi Sharma

नरेन्द्र मोदी


हरदोई. लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में हरदोई में 29 अप्रैल को मतदान होने के साथ ही लोकसभा सीट हरदोई के प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में बंद हो चुका है। मतदाता अपना फैसला सुना चुके हैं और मतदाताओं के फैसले का और प्रत्याशियों के भाग्य खुलासा 23 मई को होने वाली मतगणना के दिन होगा। मतगणना का दिन प्रत्याशियों के भाग्य के फैसले का दिन होगा।

पूरे देश के लिए काफी खास है, क्योंकि इस दिन पता चलेगा देश में सरकार किसकी बनने जा रही है और हरदोई के लिए यह दिन स्थानीय स्तर पर भी बेहद खास इसलिए माना जा रहा हैं क्योंकि सपा से भाजपा में आए पूर्व राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल के अपने गढ़ हरदोई में उनकी राजनीतिक पकड़ और लोकप्रियता का रिजल्ट भी हरदोई और मिश्रिख लोकसभा सीटों के चुनाव परिणाम से जोड़कर देखा जाएगा । दोनों सीटों से नरेश अग्रवाल को जोड़कर देखने वालों की मानें तो अगर हरदोई से भारतीय जनता पार्टी पुनः सीट पर कब्जा करती है तो उसका श्रेय भाजपा के चुनावी स्टार प्रचारक पूर्व सांसद नरेश अग्रवाल को दिया जाएगा और ऐसी स्थिति में केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार वापसी करती है तो भाजपा सरकार की तरफ से नरेश अग्रवाल को बड़ा उपहार मिलने के कयास लगायेजा रहेे है। यदि चुनावी रिजल्ट भाजपा के मुताबिक नहीं जाते हैं तो इसका कहीं न कहीं असर नरेश अग्रवाल से जोड़ कर देखा जा सकता है।

भारतीय जनता पार्टी में आने के बाद से लगातार भाजपा को मजबूत करने का प्रयास करते रहे नरेश अग्रवाल जिस वजह से सपा छोड़कर भाजपा में आए थे वह वजह भी सामने बनी हुई है। आपको याद होगा की नरेश अग्रवाल ने समाजवादी पार्टी द्वारा राज्यसभा का टिकट काटे जाने से नाराज होकर भाजपा का दामन एक साल पहले थाम लिया था और तब उन्होंने ऐलान किया था कि समाजवादी पार्टी ने उनका टिकट काटकर जो अपमान किया है उस अपमान का बदला जरूर लेंगे और उनका यह ऐलान लोकसभा चुनावों में साफ-साफ उनकी बातों में सुनाई पड़ा। नरेश अग्रवाल समर्थकों को उम्मीद 23 मई के रिजल्ट पर टिकी हुई है । इसके उलट नरेश विरोधी खेमे में जरूर मनौती चल रही है कि हरदोई में भारतीय जनता पार्टी की हार सुनिश्चित हो ताकि उनको भाजपा से कोई उपहार ना मिल सके और इसके पीछे लोग गठबंधन के आंकड़ों की ताकत बताते हुए अपने अपने कयास लगा रहे हैं ।
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